नई दिल्ली, 15 अप्रैल 2020. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) माकपा के महासचिव कॉमरेड सीताराम येचुरी ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए भारत सरकार द्वारा घोषित 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज को काफी कम बताते हुए इसे बढ़ाने की मांग की है।
कोरोना के खिलाफ जंग में राहत पैकेज के रूप में ज्यादा खर्च करने वाले देशों का जिक्र करते हुए येचुरी ने कहा कि भारत में कम से कम जीडीपी का पांच फीसदी खर्च किया जाना चाहिए।
माकपा महासचिव ने कहा कि राहत पैकेज की यह राशि देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के एक फीसदी से भी कम है जबकि मलेशिया जैसा देश इस महामारी से अपने लोगों को बचाने के लिए अपने जीडीपी का 16 फीसदी खर्च कर रहा है।
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर माकपा के फेसबुक पेज पर पोस्ट एक वीडियो के जरिए येचुरी ने कोरोना महामारी की रोकथाम के काम में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा का मसला उठाया।
कोरोना के खिलाफ जंग में एक प्रभावी कदम के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि को आगे बढ़ाने की घोषणा मंगलवार को करने के बाद येचुरी ने कहा,
"मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और नर्सों की सुरक्षा के लिए उनको पर्याप्त पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्वीमेंट दिया जाना चाहिए क्योंकि स्वास्थ्यकर्मी अगर इस वायरस के शिकार होंगे तो कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर हो जाएगी।"
माकपा महासचिव ने कहा कि देश में कोरोना के साथ-साथ भूख से भी लोगों की मौत हो रही है।
येचुरी ने कहा कि कोरोनावायरस के कारण देश में करीब 340 लोगों की मौत (Number of deaths in the country due to corona virus) हो चुकी है
माकपा नेता ने कहा कि इस तरह कोविड-19 के अलावा अन्य कारणों से भी लोगों की मौत हो रही है।
येचुरी ने कहा,
"आज (मंगलवार) सुबह प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा की। प्रधानमंत्री क्या कहेंगे इस उत्सुकता से पूरा देश उनकी बातों को सुन रहा था। सबकी उम्मीद थी कि इस खतरनाक जानलेवा बीमारी से बचने के उपायों और लोगों को स्वस्थ रहने व भुखमरी से बचाने, रहने की जगह जैसी समस्याओं को लेकर कुछ कहेंगे। अफसोस की बात है कि इन सबके बारे में प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा।"
उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग जीतने के लिए दो बातों पर ध्यान देना जरूरी है। सबसे पहले उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षा देने की मांग की और दूसरा, टेस्ट की सुविधा बढ़ाने पर जोर दिया।
येचुरी ने कहा,
"भयानक खबर आ रही है कि हजारों व लाखों की तादाद में लोगों की नौकरियों से छंटनी हो रही है जबकि प्रधानमंत्री ने पिछली बार कहा था कि किसी की नौकरी नहीं जाएगी और किसी की तन्ख्वाह नहीं काटी जाएगी।
अस्थाई व दिहाड़ी श्रमिक बेरोजगार हो चुके हैं और अब नियमित श्रमिक हैं उनकी भी संख्या घटाई जा रही है। दुनिया के कई मुल्कों ने कहा कि किसी की छंटनी नहीं होगी और बिना उत्पादन के श्रमिकों पर जो मालिकों का खर्च होगा वह सरकार उठाएगी। मगर, हमारी सरकार उस तरीके से कुछ भी नहीं कर रही है जो जरूरी है।"
येचुरी ने कहा कि सरकार को यह आश्वासन देना होगा कि अगले तीन महीने तक किसी की छंटनी न हो और न ही किसी के वेतन में कटौती की जाए।