संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में दुनिया भर से आए देश एक वैश्विक संधि (Global treaty) को पारित करने के लिए एकजुट हैं जो यह सुनिश्चित करे कि जब बहुराष्ट्रीय उद्योग (Multinational industry) व्यापार करें तो किसी भी क़िस्म का मानवाधिकार उल्लंघन (Human rights violation) न हो, और दोषी को जवाबदेह ठहराया जा सके।
इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां व्यापार के दौरान, वीभत्स मानवाधिकार उल्लंघन हुए। स्थानीय क़ानून भी ऐसे ग़ैर ज़िम्मेदार बहुराष्ट्रीय उद्योग को जवाबदेह ठहराने में असमर्थ रहा है। इसीलिए वैश्विक एवं क़ानूनन रूप से बाध्य संधि, की आवश्यकता है जो बहुराष्ट्रीय उद्योग को व्यापार करने दे परंतु हर प्रकार के मानवाधिकार उल्लंघन पर अंकुश (Curb human rights violations) लगाए और दोषी को जवाबदेह ठहराये। उद्योग द्वारा किए जा रहे पर्यावरण के अनियंत्रित दोहन और जलवायु परिवर्तन का जो क़हर है वह सबसे ज़्यादा गरीब और समाज में हाशिये पर रह रहे लोग झेल रहे हैं।
इस वैश्विक संधि बैठक में दुनिया के अनेक देशों से 321 सांसद और अनेक स्थानीय नगर निगम अधिकारियों ने क़ानूनन रूप से बाध्य संधि का समर्थन किया।
मलेशिया के सांसद चार्ल्स संतिआगो ने कहा कि दवा की क़ीमतें बहुत ज़्यादा बढ़ती जा रही हैं और अनेक लोग इस लिए मृत हो रहे हैं क्योंकि जीवनरक्षक दवा उनकी पहुँच से बाहर है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि बहुराष्ट्रीय उद्योग का एकाधिराज है।
40 देशों से आए वह लोग जो बहुराष्ट्रीय उद्योग के मानवाधिकार उल्लंघन से कुप्रभावित हो रहे हैं, वह भी मज़बूत वैश्विक संधि के लिए अपनी आवाज़ उठा रहे हैं।
ब्राज़ील में बड़े बांध के ख़िलाफ़ आंदोलन (ला विया कम्पेसिना) से जुड़े चीना मासो ने कहा कि उन्हें इस संधि के संशोधित मसौदे से दिक़्क़त है क्योंकि इस मसौदे में, उनकी महत्वपूर्ण माँगें और सुझाव दरकिनार कर दिए गए हैं। उदाहरण के तौर पर, मूल निर्णय 26/9 के अनुसार, इस संधि का मुख्य निशाना बहुराष्ट्रीय
अफ़्रीका की किया सेयीपातो ने कहा कि दक्षिण अफ्रीकी क्षेत्र के लोगों की माँग है कि स्थानीय विकास कैसा हो यह तय करने में स्थानीय लोगों की अहम भूमिका है। ऐसा तब मुमकिन होगा जब मज़बूत और क़ानूनन रूप से बाध्य संधि लागू हो।
जब बहुराष्ट्रीय उद्योग द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन होता है तो जनमानस जो इसका सबसे भीषण प्रभाव झेल रहे होते हैं, वह स्थानीय क़ानून व्यवस्था आदि के ज़रिए इसको रोकने में क्यों असफल हो रहे हैं? संधि को यह सुनिश्चित करना होगा कि आम जनमानस की भूमिका ऐसे निर्णय में अहम रहे और मानवाधिकार उल्लंघन करने वाले को जवाबदेह ठहराया जा सके।
The World Health Organization Framework Convention on Tobacco Control (WHO FCTC)
वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि एक अनुकरणीय उदाहरण हैं जहां सरकारों ने यह यह किया कि जन स्वास्थ्य में तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप पर अंकुश लगाना ज़रूरी है। वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि, को औपचारिक रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन फ़्रेम्वर्क कन्वेन्शन ऑन टुबैको कंट्रोल (डबल्यूएचओ एफ़सीटीसी) कहते हैं। तम्बाकू नियंत्रण संधि के आर्टिकल 5.3 के अनुसार, तम्बाकू उद्योग और जन स्वास्थ्य में सीधा और कभी-न-ख़त्म-होने वाला विरोधाभास है इसीलिए जन स्वास्थ्य में उद्योग का हस्तक्षेप बंद हो। इसी विश्व तम्बाकू नियंत्रण संधि के आर्टिकल 19 के अनुसार, तम्बाकू जनित महामारी, मृत्यु और नुक़सान के लिए तम्बाकू उद्योग को क़ानूनन और आर्थिक रूप से ज़िम्मेदार ठहराना होगा। ऐसे मज़बूत आर्टिकल के बावजूद तम्बाकू उद्योग अनेक कूटनीति और छल कपट से संधि में हस्तक्षेप करता आया है।
दुनिया के 193 देशों की सरकारों के पास, सतत विकास लक्ष्य को पूरा करने के लिए सिर्फ 135 महीने रह गए हैं. जो उद्योग व्यापार करने में मानवाधिकार उल्लंघन करते हैं, उनपर अंकुश लगाये बिना और जवाबदेह ठहराए बिना सतत विकास लक्ष्य पूरे हो ही नहीं सकते.
बॉबी रमाकांत,
सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)