Hastakshep.com-देश-Osteoarthritis rheumatoid-osteoarthritis-rheumatoid-अर्थराइटिस-arthraaittis-ऑस्टियोआर्थराइटिस रूमेटाइड-onsttiyoaarthraaittis-ruumettaaidd-गठिया-gtthiyaa

Get rid of the problem of arthritis with minimal invasive surgery ?

नई दिल्ली, 05 फरवरी 2020. पिछले पाँच सालों में, जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी (Joint replacement surgery) के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। ऑस्टियोआर्थराइटिस रूमेटाइड (Osteoarthritis rheumatoid) की दूसरी सबसे आम समस्या है, जो भारत में 40% आबादी को अपना शिकार बनाए हुए है। यह एक प्रकार की गठिया (अर्थराइटिस) की समस्या है, जो एक या ज्यादा जोड़ों के कार्टिलेज के डैमेज होने के कारण (Due to joint cartilage damage) होती है। कार्टिलेज प्रोटीन जैसा एक तत्व है जो जोड़ों के बीच कुशन का काम करता है। हालांकि, ऑस्टियोआर्थराइटिस किसी भी जोड़े को प्रभावित कर सकता है, लेकिन आमतौर पर यह हाथों, घुटनों, कूल्हों और रीढ़ के जोड़ों को प्रभावित करता है।

एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि जॉइंट रेजिस्ट्री (आईएसएचकेएस) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 5 सालों में भारत में 35,000 से अधिक टोटल नी रिप्लेसमेंट (टीकेआर) और 3500 से अधिक टोटल हिप रिप्लेसमेंट (टीएचआर) सर्जरी की गईं। आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि, 45-70 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं पर टीकेआर का 75% से अधिक प्रदर्शन किया गया था। टीकेआर के 33,000 यानी लगभग 97% मामले ऑस्टियोआर्थराइटिस के थे। इसके अलावा ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित 60 साल से अधिक उम्र की 60% महिलाएं टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी से गुजर चुकी हैं।

वैशाली स्थित सेंटर फॉर नी एंड हिप केयर के जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के वरिष्ठ ट्रांसप्लान्ट हैड, डॉक्टर अखिलेश यादव ने एक विज्ञप्ति में बताया कि,

“सामान्य तौर पर ऑस्टियोआर्थराइटिस मोटापा, एक्सरसाइज में कमी, चोट आदि से संबंधित है। यह समस्या पीड़ित के जीवन की गुणवत्ता को खराब करती है। इस समस्या का खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में 3 गुना ज्यादा होता है, जिसके बाद उन्हें जॉइंट रिप्लेसमेंट कराना पड़ता है।”

Common symptoms of osteoarthritis ऑस्टियोआर्थराइटिस के सामान्य लक्षण

डॉक्टर अखिलेश यादव

ने बताया कि,

”ऑस्टियोआर्थराइटिस के सामान्य लक्षणों में जोड़ों में दर्द, जकड़न, झनझनाहट, कम लचीलापन, हड्डियों में घिसाव व टूटने का एहसास होना, सूजन आदि शामिल हैं। इस खतरनाक समस्या के चार चरण होते हैं, इसलिए सही समय पर समस्या की रोकथाम करना आवश्यक है, जिससे इसे चौथे चरण तक जाने से रोका जा सके। ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित 25 फीसदी लोग दिनचर्या के काम करने में सक्षम नहीं रहते हैं।”

दरअसल, शुरुआती निदान के साथ, मरीजों को किसी खास इलाज की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस दौरान समस्या को केवल एक्सरसाइज और फिजिकल थेरेपी से ठीक किया जा सकता है। इस प्रकार की थेरेपी में किसी प्रकार के मेडिकेशन की आवश्यकता नहीं होती है। यदि दर्द को केवल एक्सरसाइज की मदद से ठीक नहीं किया जा सकता है, तो उस केस में मेडिकेशन की सलाह दी जाएगी।

डॉक्टर अखिलेश यादव ने और अधिक जानकारी देते हुए बताया कि,

“चौथे चरण में पहुंचने के साथ, डॉक्टर के पास सर्जरी के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता है। फुल नी रिप्लेसमेंट, अर्थराइटिस की समस्या के इलाज का सबसे लोकप्रिय विकल्प माना जाता है। इसकी जरूरत तभी पड़ती है, जब तीनों कंपार्टमेंट प्रभावित हो चुके होते हैं। टोटल नी रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में प्रगति के साथ मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया की मदद से न सिर्फ सही समय पर निदान संभव है, बल्कि सफल इलाज भी संभव है। यह कंप्युटर असिस्टेड रोबोटिक तकनीक है, जिसकी मदद से सर्जरी के बाद मरीज बहुत जल्दी रिकवर करता है और उसका जीवन भी बेहतर हो जाता है। इसके अलावा पार्शियल नी रिप्लेसमेंट जैसी नई तकनीकें और एलॉय इंप्लांट पेहले की तुलना में बेहतर हो गए हैं। ये इंप्लांट लंबे समय तक चलते हैं, जिसके कारण इन्हें बार-बार बदलवाने की जरूरत नहीं पड़ती है। पार्शियल नी रिप्सेमेंट का खास फायदा यह है कि यह एसीएल का बचाव करता है, जो मूवमेंट और जोड़ों के बचाव के लिए जिम्मेदार एक अहम लिगामेंट होता है। इस प्रक्रिया में लीगामेंट को ठीक से सेट किया जाता है, इसलिए मरीजों को ऐसा बिल्कुल महसूस नहीं होता है कि उनके प्राकृतिक घुटने को इंप्लांट के साथ बदला गया है।”

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