जिस हत्यारे ने कनाडा में खालिस्तान आंदोलन के नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या (Khalistan movement leader Hardeep Singh Nijjar murdered in Canada) की, वही अमेरिका में खालिस्तान आंदोलन के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नुं की हत्या की साज़िश (Conspiracy to murder Khalistan movement leader Gurpatwant Singh Pannun in America) कर रहा था। और सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इन हत्याओं के पीछे का षड़यंत्रकारी एक ही व्यक्ति पाया गया है जो नई दिल्ली में रहता है और बाकायदा भारत सरकार का एक वरिष्ठ फ़ील्ड ऑफ़िसर कहा जा रहा है। वह अभी भारत सरकार के ‘सुरक्षा प्रबंधन और खुफियागिरी’ के कामों में नियुक्त बताया जाता है। पहले वह केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल में कार्यरत था। बाद में युद्ध कला और हथियारों के बारे में प्रशिक्षण लेने के उपरांत उसे सुरक्षा प्रबंधन और खुफियागिरी के इस काम में नियुक्त किया गया था।
अमेरिका के न्याय विभाग के द्वारा जारी तथ्यों में और भी चौंकाने वाली बात यह है कि सीसी-1 के नाम से चिह्नित किया गया भारत सरकार का यह अनाम अधिकारी हत्या के षड़यंत्र के लिए गुजरात के निखिल गुप्ता नाम के एक ड्रग माफिया और हत्यारे गिरोह का उपयोग किया करता था। गुजरात के इस निखिल गुप्ता ने न्यूयार्क में पन्नुं की हत्या का ज़िम्मा जिस खास निशानेबाज़ को दिया था, संयोग से वह कोई और नहीं, अमेरिकी ख़ुफ़िया विभाग का व्यक्ति निकला। इसीलिए भारत सरकार के अधिकारी द्वारा हत्या के लिए नियुक्त निखिल गुप्ता तमाम सबूतों के साथ रुपयों का लेन-देन करता हुआ रंगे हाथों पकड़ा गया।निखिल गुप्ता अभी अमेरिका में जेल में बंद है।
ज़ाहिर है कि अमेरिकी सरकार के पास अब दिल्ली स्थित भारत सरकार के उक्त ‘वरिष्ठ’ अधिकारी और उसके भी ऊपर
यद्यपि भारत सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि ऐसी साज़िश रचना उसकी नीति नहीं है। पर कनाडा और अमेरिका में हो रही इन साज़िशों का गुजरात कनेक्शन सारी दुनिया में स्वाभाविक तौर पर गहरे शक पैदा करता है। भारत सरकार का पेगासस-प्रेम, अर्थात् आम नागरिकों की खुफियागिरी और उन्हें झूठे मामलों में फँसाने की नीतियों को सारी दुनिया जानती है। और दुनिया भारत में सत्ता की सारी काली करतूतों के केंद्र मोदी के गुजरात-मॉडल के सच को भी जानती है। हत्या भी राज्य की गोपनीयता और षड़यंत्रकारिता की नीतियों का ही एक और रूप होता है, इससे कौन इंकार कर सकता है !
अरुण माहेश्वरी