नई दिल्ली, 23 फरवरी। लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ (Lucknow University Students Union) के पूर्व महामंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता रहे रामेंद्र जनवार (Ramendra Jenwar) ने पुलवामा आतंकी हमले (Pulwama terror attack) पर मौजूदा केंद्र सरकार पर सवालों की झड़ी लगाते हुए आरोप लगाया है कि पुलवामा का सच (Truth of Pulwama) सामने नहीं आएगा क्योंकि "चौकीदार चोर ही नहीं हत्यारा भी है"।
The truth of the Pulwama will not come out because "the watchman is not the thief but murderer too" - Ramendra Janwar
श्री जनवार जो एक समय में कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर (Rajbabar) के करीबी रहे हैं (और आजकल नाराज समझे जाते हैं) उन्होंने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर लंबी टिप्पणी की है, जो काफी वायरल हो रही है। आप भी पढ़ें उनकी असंपादित टिप्पणी -
"अब समझ आगया ना, 25 साल तक सरकार बनाने का खम्ब ठोकने के कॉन्फिडेंस की वजह क्या थी ?*
साहब और शाह ने तो पहले ही कहा था हमारे पास मास्टर स्ट्रोक है !
कौनसा ?
गैर विवादित जगह पर राम मंदिर के निर्माण की अर्जी ?
10 प्रतिशत आरक्षण ?
किसानो को 500 रुपए प्रतिमाह और साधुओं को 2000 रुपए प्रतिमाह पेंशन ?
देश में सम्प्रदायिक और जाति आधारित दंगे ?
ना ... ये सब तो तुरुप के इक्के थे, जो लगभग हर राजनेतिक पार्टी चलती है ।
मास्टर स्ट्रोक क्या होता है ?
ये सारा देश जानता है, क्योंकि सबने पहले भी कई बार देखा है ! बस जानते और देखते हुऐ भी समझना कोई नहीं चाहता !
मास्टर स्ट्रोक होता है- पहले चुनाव में ट्रेन में आग लगवाकर जली हुई लाशों की झांकी बनाकर शहर भर
दूसरे चुनाव में मास्टर स्ट्रोक होता है- अक्षरधाम पर हमला करवाना और हिन्दू बहुल राज्य में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण !
2017 में मास्टर स्ट्रोक होता है अमरनाथ यात्रा में गुजराती बस पर हमला- ऐसी बस जो, ना तो काफिले का हिस्सा होती है और ना ही श्राइन बोर्ड में उसका रजिस्ट्रेशन होता है (याद रखिए बिना श्राइन बोर्ड में रजिस्ट्रेशन करवाए मोहन भागवत तक अमरनाथ नहीं जा सके थे ) बस की ना कहीं चेकिंग होती है ना बिना सुरक्षा के अकेले जाने पर रोका जाता है !
देश के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण राज्य यूपी में मास्टर स्ट्रोक होता है उड़ी पर नियोजित हमला कु़छ सैनिकों की मौत और फिर सर्जिकल स्ट्राईक का हौव्वा !
अब जबकि कु़छ ही महिनों में लोकसभा के चुनाव होने है और उन्होंने आखरी मास्टर स्ट्रोक मार ही दिया, जिसकी चर्चा उनके कुनबे के लोग अक्सर करते रहते है !
मैं बस शुरुवाती जांच में सामने आये तथ्य ही रख रहा हूँ -
1- सबसे पहले बात आत्मघाती हमलावार की- 9 /10/ 2017 को भारतीय सुरक्षाबल के जवान मुठभेड़ में दो आतंकियो 'अल्ताफ़ अहमद राथर' और 'अवनीरा जैनपोरा' को मार गिराते है जबकि उनके तीसरे साथी 'आदिल अहमद डार' को गिरफ्तार कर लिया जाता है ! लेकिन मात्र कु़छ ही दिनो में उसे पता नहीं किसके कहने और किन शर्तों पर जेल से रिहा कर दिया जाता है ! जबकि इससे पहले कभी किसी आतंकी को यूँ चुपके से रिहा नहीं किया गया !
चुपके से छोड़े गये इसी 'आदिल डार' ने ही पुलवामा में हमला किया !
2- हमले वाली जगह - जम्मू से श्रीनगर को जोड़ने वाली इस सड़क पर दुनिया में सबसे ज्यादा सुरक्षाबल मौजूद होते है सुरक्षा और चेकिंग की द्रष्टि से यह दुनिया की सबसे सुरक्षित सड़क है ! लेकिन हमले से कु़छ ही महिनों पहले तत्कालीन भाजपा गठबंधन वाली सरकार ने यहाँ की सुरक्षा और गाड़ियों की जाँच बिल्कुल बन्द कर दी ! पुलवामा के पास शिवनगर में तीन चेकपोस्ट थे उनको हटा लिया गया ! कु़छ दिन पहले एक गाड़ी तीनों चेकपोस्टों को तोड़कर भाग रही थी उसको पकड़ने के लिए जिस सैनिक ने फायर किया वो आज तक जेल में बंद है ! उसके बाद सुरक्षाबलों ने गाड़ियों की जाँच बंद कर दी (या नियोजित तरीके से जाँच बंद करवा दी गयी )
3- ऐयरलिफ्ट को बंद करना - लोगो को भावनात्मक तरीके से जोड़ने के लिए एक साथ ज्यादा सैनिकों के मारे जाने की आवश्यकता थी ! ज्यादा सैनिक कहाँ होगे ? सेना के अलग अलग बेस कैम्प पर दो बार हमला पहले ही करवाया जा चुका ! तो इसबार काफिले को चुना गया ! लेकिन समस्या ये थी की जम्मू से श्रीनगर तक सैनिकों को ले जाने के लिए ऐयरलिफ्ट यानी वायुयानों की व्यवस्था थी ! इसलिए कु़छ दिन पहले ऐयरलिफ्ट सुविधा को बंद कर दिया गया !
4- बस का चुनाव - 78 बसों के काफिले में सभी बसे बुलेटप्रूफ थी लेकिन पांचवे नम्बर की जिस बस को निशाना बनाया गया केवल वही बस बुलेटप्रूफ नहीं थी ! ये सटीक सूचना ऐन वक़्त पर किसने दी ?
5- 200 किलो RDX - श्रीनगर हाईवे पर जिस वक़्त बटालियन मूव कर रही थी उसी वक़्त एक कार जिसमे 200 किलो RDX भरा हुआ था वो कई घंटो से वहाँ थी लेकिन किसी की नजर क्यों नहीं पड़ी ? कु़छ ईंटो की आड़ में घंटो तक खड़ी गाड़ी किसीको संदिग्ध क्यों नहीं लगी ? और सबसे बड़ी बात की, आतंकि इतना RDX कहाँ से इक्कट्ठा करते रहे और सुरक्षा एजेंसियो की नजर तक नहीं पड़ी ?
6- आतंकी का वीडियो - हमले के महज पांच मिनिट बाद ही आतंकी आदिल अहमद डार का एक विडियो सामने आगया जिसे उसने ना किसी न्यूज एजेंसी को दिया ना किसी सुरक्षा एजेंसी को धमकी देकर भेजा, उसने केवल यूट्यूब पर डाला और चंद सेकंडों में ही न्यूज चेनल वालों की नजर पड़ गयी ? अब जांच में सामने आरहा है की वीडिओ में आतंकी केवल होंठ हिला रहा है और आवाज किसी और की डब्ड की हुई है !
सबकु़छ इतना क्लियर होने के बाद कोई भी समझ सकता है की ये हमला किसके इशारों पर हुआ है !
सियासत को लहू पीने की आदत हो या ना हो लेकिन इस वक़्त सत्ता के शीर्ष पर जो बैठे है, वो लाशों को सीढ़ी बनाकर ही वहाँ तक पहुंचे है !
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इस RDX विस्फोट में बस और सैनिकों के ही परखच्चे नहीं उड़े बल्कि राफेल, राममंदिर, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, डूबते बैंक, भागते लुटेरे, पिंजरे में कैद तोता और सुप्रीम कोर्ट के बाहर आकर रोते जजों जैसे मुद्दों के भी परखच्चे उड़ गये !
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और केवल दो पहलुओं की जाँच ही सच बताने के लिए काफी होगी और ये जांचे मुश्किल से 1 -2 घंटे में पूरी हो सकती है
ये है --
1- जिस कार से हमला हुआ वो किसके नाम से रजिस्टर्ड थी !
और
2- हमले के पांच मिनिट बाद वाईरल हुआ वीडिओ किस मोबाईल या कम्प्यूटर से अपलोड किया गया था ? -------------------------
लेकिन ये दोनो जाँच कभी पूरी नहीं हो पायेगी
*"चौकीदार चोर ही नहीं हत्यारा भी है"*"
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