नई दिल्ली, 18 मई (इंडिया साइंस वायर): चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करके विकसित किए गए नैनो-आकार के रोबोट (nano-sized robots) अब दंत नलिकाओं के अंदर बैक्टीरिया (bacteria inside the dental tubules) को मारने में मदद कर सकते हैं, और रूट कैनाल उपचार की सफलता की दर (Root canal treatment success rate) को बढ़ा सकते हैं।
भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) और इसके द्वारा इनक्यूबेटेड स्टार्टअप - थेरानॉटिलस के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नये अध्ययन में यह बात उभरकर आयी है।
दाँतों के संक्रमण के इलाज के लिए रूट कैनाल प्रक्रिया (root canal procedure) नियमित उपचार का एक अहम हिस्सा है। इस प्रक्रिया में दाँत के भीतर संक्रमित नरम ऊतकों को हटाना, जिसे पल्प कहा जाता है, और संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को मारने के लिए एंटीबायोटिक या रसायनों के साथ दाँत को फ्लश किया जाता है। लेकिन, कई बार यह उपचार बैक्टीरिया को पूरी तरह से हटाने में विफल रहता है।
एंटरोकोकस फ़ेकलिस (Enterococcus faecalis) जैसे एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया इनमें विशेष रूप से शामिल हैं, जो दाँतों की माइक्रोस्कोपिक कैनाल (दंत नलिकाओं) के भीतर छिपे रहते हैं, जिन्हें डेंटिनल ट्यूबल (dentinal tubules) कहा जाता है।
आईआईएससी के सेंटर फॉर नैनो साइंस ऐंड इंजीनियरिंग (CeNSE) के रिसर्च एसोसिएट और थेरानॉटिलस के सह-संस्थापक, शनमुख श्रीनिवास बताते हैं - "वर्तमान में प्रचलित तकनीक पूरी तरह से भीतर पहुँचकर बैक्टीरिया को मारने के लिए पर्याप्त कुशल नहीं हैं।"
शोध पत्रिका एडवांस्ड हेल्थकेयर
इन नैनोबॉट्स को निकाले गए दाँत नमूनों में इंजेक्ट किया गया है, और शोधकर्ताओं ने माइक्रोस्कोप का उपयोग करके उनके मूवमेंट को ट्रैक किया है।
चुंबकीय क्षेत्र की आवृत्ति को कम करके, शोधकर्ता नैनोबॉट्स को आवश्यकतानुसार स्थानांतरित करने में सक्षम थे, और दाँतों की नलिकाओं के अंदर गहराई से प्रवेश कर सकते थे।
श्रीनिवास कहते हैं, "हमने यह भी दिखाया है कि हम उन्हें पुनः प्राप्त कर सकते हैं, और उन्हें रोगी के दाँतों से वापस खींच सकते हैं।"
महत्वपूर्ण रूप से, शोधकर्ताओं को नैनोबॉट्स के चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन करके उसकी सतह पर गर्मी उत्पन्न करने में सफलता मिली है, जो आसपास के बैक्टीरिया को मार सकती है।
सेंटर फॉर नैनो साइंस ऐंड इंजीनियरिंग के रिसर्च एसोसिएट और थेरानॉटिलस के एक अन्य सह-संस्थापक देबयान दासगुप्ता कहते हैं, ''बाजार में उपलब्ध कोई अन्य तकनीक अभी ऐसा करने में सक्षम नहीं है।''
पहले वैज्ञानिकों ने रूट कैनाल उपचार की दक्षता में सुधार के उद्देश्य से बैक्टीरिया और ऊतक अपशिष्ट को बाहर निकालने के लिए उपयोग किए जाने वाले तरल पदार्थ में शॉकवेव पैदा करने के लिए अल्ट्रासाउंड या लेजर तरंगों का उपयोग किया है। लेकिन, ये तरंगें केवल 800 माइक्रोमीटर की दूरी तक ही प्रवेश कर सकती हैं, और उनकी ऊर्जा तेजी से नष्ट हो जाती है। जबकि, नैनोबॉट 2,000 माइक्रोमीटर तक तक प्रवेश कर सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि बैक्टीरिया को मारने के लिए गर्मी का उपयोग हानिकारक रसायनों या एंटीबायोटिक दवाओं का एक सुरक्षित विकल्प भी प्रदान करता है।
शोधकर्ताओं ने चूहों के मॉडल में दंत नैनोबॉट्स का परीक्षण किया और उन्हें सुरक्षित और प्रभावी पाया है। वे एक नये प्रकार के चिकित्सा उपकरण को विकसित करने पर भी काम कर रहे हैं, जो आसानी से मुँह के अंदर फिट हो सकते हैं, और दंत चिकित्सक को रूट कैनाल उपचार के दौरान दाँतों के अंदर नैनोबॉट्स को इंजेक्ट और उनमें बदलाव करने में सक्षम बनाते हैं।
सेंटर फॉर नैनो साइंस ऐंड इंजीनियरिंग के प्रोफेसर अंबरीश घोष कहते हैं, "हम इस तकनीक को क्लिनिकल सेटिंग में लागू करने के बहुत करीब हैं, जिसे तीन साल पहले तक भविष्य की प्रौद्योगिकी माना जाता था।" "यह देखना खुशी की बात है कि कैसे एक साधारण वैज्ञानिक जिज्ञासा एक चिकित्सा हस्तक्षेप के रूप में आकार ले रही है, जो सिर्फ भारत में ही लाखों लोगों को प्रभावित कर सकती है।"
(इंडिया साइंस वायर)
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