#notinmyname ना शहर,ना धर्म,ना, राजनीति, ना संगठन.... फिर भी सब जगह सब एक साथ निकले, जैसे हमारे मुल्क़ की आत्मा आज सड़क पर हो... फ़िक्र मोहब्बत को बचाए रखने की, संवेदना हर एक दर्द के लिए। यह वह लोग हैं जो कल की खुशबू के लिए आज पसीना बहा रहे हैं। देशभर में इकट्ठे हुए देश और इंसानियत के सच्चे लोग... कश्मीर की वादियों से यहाँ मैदानों तक भीड़ की हिंसा,अमानवीयता के खिलाफ हम सब एक हैं....
ख़ुशी है जब तक आप हैं, तब तक ज़हर घोलने वालों को और मेहनत करनी पड़ेगी। हम सब मिलकर अपने प्यारे मुल्क़ और हमारी पहचान इंसानियत के लिए जूझेंगे।मर भले जाएँ मगर बच्चों की मुस्कान के लिए खड़े रहेंगे....
- हफ़ीज़ किदवई