कारपोरेट घरानों के मन की बात का एक साल
गरीबी, भूख, कुपोषण, बीमारी, बेरोजगारी, आत्महत्याओं में बढ़ोतरी
नई दिल्ली। सोशलिस्ट पार्टी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पूर्ण बहुमत वाली सरकार के मार्फत पिछले एक साल में देशी-विदेशी कारपोरेट घरानों को करों से लेकर देश के बेशकीमती संसाधनों और श्रम को लुटाने का काम पिछली कांग्रेसनीत यूपीए सरकार से ज्यादा तेजी से किया है। प्रधानमंत्री बार-बार जो ‘मन की बात’ सरकारी रेडियो पर कहते हैं, वह दरअसल कारपोरेट घरानों के मन की बात होती है। इसीलिए जाहिरा तौर पर गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, बीमारी, बेरोजगारी और किसानों की आत्महत्याओं का पहले से जारी सिलसिला और तेज हुआ है। किसानों, आदिवासियों, छोटे व्यापारियों/उद्यमियों, मजदूरों, कारीगरों की तबाही का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
पार्टी अध्यक्ष भाई वैद्य ने कहा कि पिछले एक साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक संसाधनों, श्रम और हुनर से समृद्ध भारत की छवि पूरी दुनिया में भिखारी की बना दी है। वे स्वतंत्रता और स्वावलंबन की विरासत को पिछले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी ज्यादा तेजी से नष्ट कर देश को पूरी तरह से नवसाम्राज्यवादी शिकंजे में फंसाने में लगे हैं। आरएसएस के स्वयंसेवक प्रधानमंत्री का निर्णायक रूप से मानना है कि भारत का विकास विदेशी कंपनियां और सरकारें करें। राष्ट्रवाद और स्वदेशी का राग अलापने वाले आरएसएस और भाजपा के ‘बौद्धिक’ पूरी तरह चुप हैं। इस एक साल में आरएसएस और भाजपा का मजदूर-किसान-अल्पसंख्यक विरोधी चेहरा ही नहीं, राष्ट्रद्रोही चेहरा भी पूरी तरह उजागर हो गया है।
इसमें कोई हैरत की बात नहीं है कि सरकार की कारपोरेटपरस्त नीतियों से लाभान्वित होने वाला तबका और मीडिया अभी भी नरेंद्र मोदी की देश के उद्धारक नेता की छवि बनाने में लगा है, इसी से उसका स्वार्थ सधता है। लेकिन देश को बेचने और तोड़ने की असलियत सच्ची देशभक्त ताकतों से छिपी नहीं रह सकती।
सोशलिस्ट पार्टी