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डेंगू, ड्रग्स और डॉक्टर तीनों से सुरक्षा की आवश्यकता
स्थान- 2 अक्टूबर 2016, रमन ऑडीटॉरियम, ए बी ई एस,  इन्जियरिंग कॉलेज, एन एच 24,
गाजियाबाद। विश्व विख्यात डॉ बिश्वरूप रॉय चौधरी का कहना है कि मरने वाले लोगों की मृत्यु डेंगू से नहीं बल्कि डेंगू के इलाज से हुई थी।
डॉ बिश्वरूप रॉय चौधरी यहाँ एसोमैक मशीन लिमिटेड और राष्ट्रीय सैनिक संस्था द्वारा आयोजित व्याख्यान और प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे।
 राष्ट्रीय सैनिक संस्था की एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि दो घण्टे के इस आयोजन का उददेश्य डेंगू, ड्रग्स और डॉक्टर के प्रति लोगों को सावधान करना और उपाय बताना था।

विज्ञप्ति के मुताबिक विश्व विख्यात डॉ बिश्वरूप रॉय चौधरी ने स्लाइड्स और विज्ञान के माध्यम से निम्नलिखित बातों को, संदेह से परे होकर, साबित किया।

डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के वायरस को डिटेक्ट नहीं किया जा सकता। जितने भी टैस्ट हैं वो केवल वायरस की आकृति बदलने की श्रेणी के बारे में ही बता सकते हैं, मूल वायरस के बारे में नहीं बता सकते अर्थात् वायरस का टैस्ट कराने में व्यापार छुपा है। यह बहुत बड़ा षड़यन्त्र है।
डेंगू का वायरस रक्त धारा में जा कर नहीं मिलता, बल्कि शरीर के सेल में जज्ब होता है। लिहाजा कोई भी दवाई, जो आपके खून की धारा में मिलती है, वो डेंगू का इलाज कैसे कर सकती है?
उन्होंने बकायदा नाम लेकर बताया कि अपोलो अस्पताल में मरने वाले लोगों की मृत्यु डेंगू से नहीं बल्कि डेंगू के इलाज से हुई थी।

चिकनगुनिया, डेंगू, मलेरिया, एच 1, एन 1, इन सभी बीमारियों के वायरस एक जैसे होते हैं। परन्तु थोड़ी- थोड़ी देर में आकार बदलते रहते हैं और कुछ समय पश्चात स्वयं ही खत्म हो जाते हैं। लिहाजा बुखार का ईलाज शरीर पर ठण्डी पट्टी रखना और आराम करने के अलावा कोई दूसरा नहीं है।

राष्ट्रीय सैनिक संस्था के

अध्यक्ष ने कहा कि ईश्वर ने मनुष्य को स्वस्थ पैदा किया है इसलिए बड़े- बड़े नये अस्पतालों की संख्या में वृद्वि, विकास का नहीं विनाश का कारण है।
इस अवसर पर एसोमैक मशीन लिमिटेड के चेयरमेन राज कुमार ने इन्कम टैक्स, सेल्स टैक्स और पुलिस के आला अधिकारियों को सम्मानित किया।
कार्यक्रम का संचालन वेदान्त आनन्द ने किया। इस अवसर पर 500 से अधिक गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

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