पाकिस्तान के मलकानगिरी, कश्मीर, छत्तीसगढ़ और गुम होते नजीब
शमशाद इलाही शम्स
पाकिस्तान भला हिन्दोस्तान से पीछे कैसे रहे, दिल्ली में नजीब गुम हो या मलकानगिरी, कश्मीर, छत्तीसगढ़ में चल रहा सरकारी कत्लगाह अगर एक नजीर हैं तो बलोचिस्तान में पाकिस्तानी हकुमत की दरिंदगी किससे छिपी है?
हाल ही में वहां सरकारी दमन एक नया मोड़ ले रहा है।
सोशल मीडिया पर सरकार की फजीहत करने वाले यकायक ग़ायब हो रहे हैं। इनमें से कुछ लोग बाकायदा वाम जन संगठनों के कार्यकर्ता भी हैं। प्रोफ़ेसर सलमान हैदर इनमे सबसे बड़ा नाम है।
बाकी अहमद वकास गोराया, आसिम सईद, अहमद रज़ा नसीर और समर अब्बास ब्लॉग और सोशल मीडिया पर सरकारी खूरेजी के खिलाफ मुखर रूप से बोलते लिखते थे, सो गायब हो गए।
कुछ अखबारी खबरों के मुताबिक अब तक ऐसे नौ शख्स पकिस्तान छाप लोकतंत्र में गायब हो चुके हैं।
अच्छी बात यह है कि आमतौर पर धर्म की अफीम से सोये पड़े समाज में इस बार हरकत हो रही है और इन गुमशुदगियों के खिलाफ पाकिस्तान के कई बड़े शहरो में प्रदर्शन हुए हैं। विदेशों में भी पाकिस्तान के शहरियों ने इस बार कुछ हरकत की है। आओ सत्ता के इस जनविरोधी सार्वभौमिक स्वरूप की मुखालिफत करें। शुरुआत मोती से करें। चोट निःसंदेह पाकिस्तान, सऊदी, तुर्की होते हुए अमरीका में ट्रम्प तक लगेगी।
हकुमत के धंधे इधर भी हैं और उधर भी घिनौने खूनी पंजे इधर भी हैं और उधर भी. ज़रदारो का निज़ाम इधर भी है और उधर भी दहशत का व्योपार इधर भी है और उधर भी. चरागों के दुश्मन इधर भी हैं और उधर भी अंधेरों के मुहाफिज इधर भी है और उधर भी. फ़ौज का डर इधर भी है और उधर भी. खौफे सियासत इधर भी है और उधर भी. सिसकते-बिलखते आवाम इधर भी है और उधर भी नजीब की मां के आँसू इधर भी है और उधर भी. थोड़ी रोशनी
चित्र साभार : गूगल ( ग़ायब हुए राजनैतिक- सामाजिक कार्यकर्ता, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट की तस्वीरें )