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नई दिल्ली। मोदीरीज में बैंकों की मनमानी और नोटबंदी, जीएसटी गरीबों की जान का क्लेश बन गई हैं। हस्तक्षेप.कॉम के पेसबुकपेज पर आए एक कमेंट में एक फेसबुक उपभोक्ता Raj Dhiman ने कहा है कि उनको उनके गरीब होने की सजा मिल रही है।

राज धीमान का पूरा कमेन्ट निम्नवत् है -

साहब मेरा बैंकखात्ता स्टेटबैंक ऑफ इण्डिया मे है, मैने मेरे खाते मे पांच सौ रुपये जमा करवाये थे -कुल मिलाकर ग्यारह सौ रुपये खाते मे जमा थे , पिछले डेढ़ महीने मे मैने मेरी जरूरत अनुसार उसमे से दोसौ रुपये निकलवाये थे , उसके बाद मैने कोई रुपया नहीं निकलवाया लेकिन लगभग हर सप्ताह मेरे खाते से कुछ रुपयों की कटौती हो रही है - मैने बैंक मे जाकर पता किया तो वो बोले कि ATM चार्ज , SMS चार्ज , सेवाकर , GST , कर ही कर ये तो सब कटेंगे ही कटेंगे -इसके साथ ही आपके खाते मे राशि कम है , इसका जुर्माना भी कटेगा —मतलब सब काटपीटकर मेरे खाते मे सिर्फ 58 रुपये ही रह गये , यानी कि मुझे मेरे गरीब होने की सजा मिल रही है —कोई मुझे बताये कि निर्धारित राशि मैं कहां से लाऊं ? अगर निर्धारित राशि जमा करने के बाद अचानक कभी भी मुझे रुपयों की जरूरत पड़ी तो मुझे बैंक से ये सजा मिलेगी ही मिलेगी / मतलब मोदीराज मे गरीबों को ठिकाने लगाकर ही गरीबी मिटेगी !!!!!!!

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