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किसान नेताओं की गिरफ़्तारी
लखनऊ। हजरतगंज स्थ्त गांधी प्रतिमा के सामने किसान सभा के धरने को हटाने के साथ पुलिस ने सोमवार को कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी कर लिया।
रना 24 सितम्बर से चल रहा था। तीसरे दिन गिरफ़्तारी कर ली गई।
किसान सभा  के महा मंत्री राजेन्द्र यादव, पूर्व विधायक इम्तियाज बेग, अध्यक्ष छित्तर  सिंह व राधा चौधरी सहित से ज्यादा  किसान सभा के  400 कार्यकर्ता गिरफ्तार कर पुलिस  लाइन्स  लखनऊ ले जाया गया है!  शाम को रिहा होकर पुलिस लाइन्स लखनऊ से बाहर आए साथियों  का स्वागत बाराबंकी के साथी ब्रज मोहन वर्मा एडवोकेट  व रणधीर सिंह सुमन एडवोकेट ने किया।
गिरफ्तार किए गए किसान सभा के नेता राजेन्द्र यादव पूर्व विधायक ने कहा कि सरकारें किसानो के वोट से बनती हैं लेकिन सरकार में आने के बाद राजनीतिक दल उद्योगपतियों के हाथ के मोहरे हो जाते हैं। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद लगभग दो लाख से अधिक किसानो ने आत्महत्याएं कर ली हैं।
श्री यादव ने मांग की कि किसानों को आत्महत्या से बचाने के लिए दस हज़ार रुपये प्रतिमाह की पेंशन केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर अविलम्ब घोषित करें। उन्होंने कहा कि जब समय आता है तो कभी केंद्र सरकार लाखों-लाख करोड़ रुपये के कर व कर्जे उद्योगपतियों के माफ़ कर देती है और समय आने पर राज्य सरकारें भी यह कार्य करती हैं। किसानों व खेत मजदूरों की बात आते ही इनके खजाने में दमड़ी भी नहीं बचती है।
किसान सभा के संरक्षक व पूर्व विधायक जयराम सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का प्रमुखता से ध्यान कॉरपोरेट और मैन्यूफैक्चरिंग पर है, उसकी प्राथमिकता में कृषि क्षेत्र  नहीं आता है। यही कारण है कि मोदी सरकार के पहले साल में किसानों का संकट घटने की बजाय बढ़ा है।
किसान सभा के अध्यक्ष इम्तियाज बेग ने कहा कि पिछले बजट में सरकार ने 1,000

करोड़ रुपए की प्रधानमंत्री सिंचाई योजना का ऐलान किया था, लेकिन जिस देश में करीब 60 फीसदी कृषि योग्य भूमि ग़ैर-सिंचित है वहां हर खेत को पानी पहुँचाने के लिए यह राशि बेहद कम है।
किसान सभा मथुरा की नेता सुश्री राधा चौधरी ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के दो ही उपाय हैं। पहला, उसकी पैदावार और उपज का दाम बढ़ाना और दूसरा, उत्पादन लागत को कम करना। इन दोनों मोर्चों पर मोदी सरकार ने अभी तक कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है, जबकि कृषि क्षेत्र का संकट बढ़ा है। किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं।
किसानों की सभा को अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने संबोधित करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि किसान संघर्ष को नयी दिशा देते हुए वैचारिक आधार भी दिया जाए जिससे सशक्त किसान आन्दोलन पैदा हो सके।
बाराबंकी किसान सभा के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि गेंहू के दाम प्रति कुंतल 7600 रुपये तथा धान के दाम 5100 रुपये प्रति कुंतल दिलाया जाए।
किसान सभा द्वारा 24 सितम्बर से 28 सितम्बर 2016 तक विधानसभा के बगल में स्थित गाँधी मूर्ति के समक्ष धरना प्रदर्शन चल रहा है।

किसान सभा की मांग है कि
राष्ट्रीय किसान आयोग की संस्तुतियों को केंद्र और राज्य सरकारें तत्काल लागू करें।
साठ वर्ष के सभी स्त्री-पुरुष किसानो, खेत मजदूरों, ग्रामीण दस्तकारों को 10 हजार मासिक पेंशन केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर देना सुनिश्चित करें।
किसानों के सभी सहकारी और सरकारी कर्जे माफ़ किये जाएं और कृषि उत्पादों का लाभकारी मूल्य दिया जाए।

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को तत्काल वापस लिया जाए।
केरल राज्य की भांति किसान कर्ज एवं आपदा रहत ट्रिब्यूनल की स्थापना की जाए।
नहरों में टेल तक पानी पहुँचाया जाए खेती किसानी के लिए बढ़ी बिजली दरें तुरंत वापस लिया जाए।
नंदगंज, रसड़ा, छाता, देवरिया और औराई चीनी मिलों को तुरंत चालू किया जाए।
शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था को सरकार अपने हाथ में ले।

गन्ने का मूल्य 850 रु प्रति कुंतल कर दिया जाए तथा बकाया भुगतान किसानो को शीघ्र किया जाय।
आपदा राहत प्रदेश के सभी किसानो तथा राज्य और केंद्र सरकार की घोषणा के अनुसार पहुँचाया जाए।
प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल समाजवादी एक्सप्रेस वे छ: लेन की बनायीं जा रही है इसमें किसानों की उपजाऊ जमीन जा रही है, इसको मऊ-मुहम्मदबाद रोड में जोड़कर बनाया जाए जिससे सरकारी योजना भी पूरी हो जाएगी और किसानों की जमीन भी बच जाएगी।
कृषि को बढ़ावा देने हेतु प्रत्येक न्याय पंचायत में एम्.एस.सी. कृषि पास नौजवानों को किसान सहायक के रूप में रखा जाए।
खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत 80 प्रतिशत लोगों को इस योजना का लाभ मिलना है जिसमें पात्र गृहस्थों की सूची बनने में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है, इसे सही किया जाए तथा राशन वितरण में धांधली हुई जिनकी जांच करायी जाए।
समेजित बाल दिवस परियोजना के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों को सक्रिय किया जाए तथा मिलने वाली सुविधाओं में अधिकारियों के स्तर से कमीशनखोरी बंद किया जाए तथा बाल पुष्टाहार बच्चों को दिया जाए इसकी व्यवस्था की जाय, कानून व्यवस्था सत्ता पक्ष के नेताओं, मंत्रियों के हस्तक्षेप के कारण अधिक ख़राब है इसे दुरुस्त किया जाए।

फसल बीमा की धनराशि किसानों को तत्काल दिया जाए,
प्रदेश के समस्त साधन सहकारी समितियों पर रासायनिक खादों के साथ कीटनाशक दवा प्रमाणिक कंपनियों से व कृषि उपकरण उपलब्ध कराये जाए तथा जो साधन सहकारी समितियां डिफाल्टर हैं उन्हें चालू किया जाए.

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