78 का वाकया है हम दिल्ली गए थे उनसे मिलने। उन दिनों वे उद्योग मंत्री बना दिए गए थे। बना दिए गए की एक अंतर्कथा है। 77 में जनतापार्टी की सरकार बनी तो जार्ज को पोस्ट और टेलीग्राफ मंत्रालय मिला। उद्योग मंत्री थे एक वर्मा जी जो व्यापम सूबे से आते थे। कोका कोला वालों से मंत्री ने घूस लिया और पकड़े गए। पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर अध्यक्ष थे। मामला उनके पास गया। मीटिंग बुलाई गयी। नेता जी ( राज नारायण ) फ़ैल गए। अटल जी के अनुरोध पर बीच का रास्ता निकाला गया, मंत्रालय बदल दो। इस तरह जार्ज को उद्योग मंत्रालय मिला।
1953 के बाद 78 में दूसरी बार औद्योगिक नीति बनी और आज तक चल रही है। तो हम जार्ज के साथ उनके कमरे में बैठे थे, नीचे जमीन पर पेट के बल लेटे फ़ाइल देख रहे थे और हम बगल में बैठे प्रतिपक्ष देख रहे थे।
हमने यूँ ही पूछा - यह कोका कोला का क्या मामला है ?
जार्ज मुस्कुराये, कोका कोला ने घूस दिया। अचानक सावधान हुए छोड़ो कुछ करना है इसका। दो बून्द केमिकल को पानी में मिला कर करोडो कमा रहा है पूंजी विदेश जा रही है। पानी हमारा, मजदूर हमारे। चलो देखेंगे। और दो दिन बाद पता चला कोका कोला देश से बाहर निकाल दिया गया। मोरार जी भाई बहुत नाराज हुए। बगैर कैबिनेट में लाये, जार्ज ने अकेले कैसे फैसला कर लिया। जार्ज का उत्तर था, अब कैबिनेट में उठा लो। कौन और क्या बोलेगा इस फैसले के खिलाफ ? देश जाने तो।
इस तरह के अनेको फैसले लिए हैं जार्ज ने। वे सब मील के पत्थर हैं। बहुत लंबी जिंदगी जिया हूँ उस शख्स के साथ । लिख रहा हूँ आनेवाली किताब में। जन्मदिन
(यह लेख June 3,2016 10:51 को प्रकाशित हुआ। आज 29 जनवरी को जार्ज फर्नांडिस को श्रद्धांजलि के रूप में पुनर्प्रकाशन)
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