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हेडगेवार का पथ : मिथक और यथार्थ

‘आधुनिक भारत के निर्माताः डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार’ के बारे में चंद बातें

सुभाष गाताडे

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुसंगिक संघ न भाजपा के केंद्र में तथा कई राज्यों में सत्ता की बागडोर थामने के बाद शिक्षित जगत उनके खास निशाने पर रहा है। विभिन्न अकादमिक संस्थाओं में अपने विचारों के अनुकूल लोगों की महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति करने से लेकर, स्वतंत्रता के बाद शेष संस्थाओं के अंतर्गत जिनके खास निशाने पर रहा है, विभाजन अकादमिक संस्थानों में अपने विचारों के अनुकूल लोगों की महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति करने से लेकर, स्वतंत्रता के बाद शेष संस्थाओं के अंतर्गत जिनके खास निशाने पर रहा है, विभाजन के बाद शेष संस्थाओं के अंतर्गत जिनके खास निशाने पर रहा है। विभाजन के बाद हेडगेवार के अध्ययन उनके खास निशाने पर रहा है। विभाजन के बाद हेडगेवार के अध्ययन उनके खास निशाने पर रहा है। विभाजन के बाद शेष संस्थाओं के अंतर्गत जिनके खास निशाने पर रहा है। विभाजन के बाद हेडगेवार के अध्ययन उनके खास निशाने पर रहा है। विभाजन के बाद शेष संस्थाओं के अंतर्गत जिनके खास निशाने पर रहा है। विभाजन के बाद हेडगेवार के अध्ययन उनके खास निशाने पर रहा है। विभाजन के बाद हेडगेवार के अध्ययन उनके खास निशाने पर रहा है। विभाजन के बाद शेष संस्थाओं के अंतर्गत जिनके खास निशाने पर रहा है। विभाजन के बाद हेडगेवार के अध्ययन उनके खास निशाने पर रहा है। विभाजन के बाद शेष संस्थाओं के अंतर्गत जिनके खास निशाने पर रहा है।

सूबा राजस्थान - जो केंदर में सत्ता से संतोषी भाजपा सरकार की कई नीतियों के लिए एक किस्म की प्रयोजक की तरह काम करता रहा है, फिर चाहें श्रमिक कानूनों में बदलाव हों, पंचायतों के चुनावों में खड़े रहने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता तय करने का मामला हो - एक तरह से शिक्षित जगत में

आसन्न बदलावों के मामले में भी एक किस्म की ‘मिसाल’ कायम करता दिख रहा है। स्कूलों में बार-बार बाइबिल की तरह पाठ्यक्रम में हेडगेवार के बारे में बताया जाता है, जो सीधे तौर पर संघ परिवार के शिक्षितों के विमर्श के खुराफातों की दिशा में संकेत करता है।

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