केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के हज़ारों पद खाली, लाखों छात्रों के भविष्य के साथ भयानक खिलवाड़ क्यों?
खाली पदों को जल्द भरें अन्यथा बेरोजगारों का देशव्यापी आंदोलन
नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक आरटीआई के जवाब No.F.18-5/2014(CU) में बताया है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में टीचिंग के 35 फ़ीसदी से अधिक पद और नॉन-टीचिंग में 30 फ़ीसदी से अधिक पद खाली पड़े हैं।
बेरोजगार युवाओं के एक राष्ट्रीय संगठन ‘यूथ फॉर राइट टू एम्प्लॉयमेंट’ की भेजी आरटीआई के जवाब देते हुए यूजीसी ने बताया कि टीचिंग श्रेणी में कुल स्वीकृत पद 16525 हैं, कार्यरत पदों की संख्या 10538 है, जबकि खाली पड़े पदों की कुल संख्या 5987 है। वहीं दूसरी ओर नॉन-टीचिंग श्रेणी में स्वीकृत पदों की कुल संख्या 27940, भरे गए पद 19914 हैं, जबकि खाली पड़े पदों की कुल संख्या 8026 है। इस प्रकार टीचिंग और नॉन-टीचिंग पदों की कुल स्वीकृत संख्या 44465 में से 14013 पद खाली पड़े हैं। ध्यान रखें कि यह आंकड़े केवल 39 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के ही हैं।
देश के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में ही यदि ऐसी गंभीर स्थिति है, तो राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों और विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में स्थिति कितनी भयावह होगी। शिक्षण संस्थान, चाहे वे किसी भी स्तर के हों, राष्ट्र-निर्माण की सबसे आधारभूत संरचना होते हैं। इन संस्थाओं में ही यदि शिक्षकों के हज़ारों पद खाली हैं, जो लाखों छात्रों के भविष्य के साथ भयानक खिलवाड़ है। ऐसे ही सभी विभागों को मिलाया जाए तो देश में लाखों-लाख पद खाली पड़े हैं और पात्र युवा बेरोज़गारी में अपराधीकरण या आत्महत्या की ओर धकेले जा रहे हैं। स्वीकृत पदों को नहीं भरे जाने तथा रोजगार सृजन के अभाव से देश की युवा पीढ़ी निराशा और अवसाद के खतरनाक स्तर तक पहुँचती जा रही है। अगर इन हालातों को बदलने के लिए जल्द से जल्द यथोचित कदम नहीं उठाये गए तो स्थिति