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नई दिल्ली। चुनाव के इस माहौल में पत्रकार सड़क पर है। इंडियन एक्सप्रेस प्रबंधन ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें मानने से इनकार कर दिया है जिसके बाद एक्सप्रेस यूनियन के एलान पर पत्रकार और गैर पत्रकार भूख हड़ताल पर बैठ गए है। बहादुर शाह जफ़र मार्ग पर स्थित एक्सप्रेस बिल्डिंग के गेट पर कर्मचारियों ने तम्बू गाड दिया है जिसमे जनसत्ता के वरिष्ठ पत्रकार पारुल शर्मा, पीयूष वाजपेयी से लेकर पूर्व समाचार संपादक अरविन्द उप्रेती तक भूख हड़ताल पर बैठे।
क्सप्रेस यूनियन के महासचिव सीके नायडू से लेकर कई कर्मचारी नेता हड़ताल पर बैठे हुए हैं। किसान नेता डा. सुनीलम और नर्मदा आन्दोलन के नेता मधुरेश भी इस हड़ताल के समर्थन में एक्सप्रेस बिल्डिंग के सामने धरना स्थल पर बैठे। कर्मचारी नेता डीएन पांडे और नायडू ने बताया कि वे तो अदालती आदेश को अमल में लाने के लिए हड़ताल पर मजबूर हुए हैं। वह भी देश की सबसे बड़ी अदालत के आदेश पर अमल की मांग कर रहे हैं।
अदालत ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को 11 नवम्बर 2011 से लागू करने का निर्देश दिया है जिसे अखबार मालिकों ने चुनौती दी और लम्बी अदालती लड़ाई के बाद बीती 7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने का निर्देश दिया। बावजूद इसके एक्सप्रेस प्रबंधन इसे मानने से इनकार कर रहा है। यूनियन के पूर्व अध्यक्ष अरविन्द उप्रेती ने दावा किया कि इस आन्दोलन को जनसत्ता के पत्रकारों का पूरा समर्थन मिल रहा है। पत्रकार आर्येन्द्र उपाध्याय से लेकर विवेक सक्सेना ने भी धरना स्थल पर पहुँच कर हड़ताल का समर्थन किया है। सभी ने चेतावनी दी है कि प्रबंधन नहीं माना तो अखबार में पूर्ण हड़ताल की नौबत आ सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि नए प्रबंधन ने जनसत्ता की उपेक्षा कर रखी है। कई सालों से नई नियुक्तियों पर रोक

है जिसकी वजह से एक पत्रकार को कई लोगों का काम करना पड़ता है। यही वजह है की समूचे चुनाव में बड़े से बड़े राज्य में स्ट्रिंगरों के जरिये चुनाव की कवरेज की गई जिससे स्टाफ की कमी का अंदाजा लगाया जा सकता है। पर अब पत्रकार और गैर पत्रकार लड़ाई के लिए तैयार हो गए हैं।
जनादेश न्यूज़ नेटवर्क

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