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साइटोट्रोन चिकित्सा से आर्थराइटिस को मिल रही मात

विश्व अर्थराइटिस दिवस पर विशेष Special on World Arthritis Day.

नई दिल्ली 12 अक्टूबर 2019 : आर्थराइटिस की बढ़ती समस्याओं को देखते हुए प्रत्येक वर्ष 12 अक्टूबर को विश्व आर्थराइटिस दिवस के रुप में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1996 में की गई थी।

आर्थराइटिस से घुटने की समस्या काफी आम हो गई है। इस बारे में और अधिक जानकारी देते हुए सिबिया मेडिकल सेंटर के निदेशक डा. एस.एस. सिबिया ने बताया कि भारत में लगभग 15 प्रतिशत लोग आर्थराइटिस से पीडित हैं और इसकी बढ़ती संख्या एक चिंता का विषय बनता जा रहा है।

वैसे तो आम धारणा में आर्थराइटिस को वृद्धावस्था की बीमारी समझा जाता है, लेकिन कई मरीजों में ये बीस या तीस की ही उम्र में भी उत्पन्न हो सकती है। 45 व 50 वर्षीय लोग अब अधिक मात्रा में इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। आज लगभग दस करोड़ भारतीय ओस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं। यह आर्थराइटिस का बहुत ही साधारण रूप है, जो बीमारी को बढ़ाने का एक प्रमुख कारण भी है।

RFQMR (Cytotron) therapy,

डा. एस. एस. सिबिया के अनुसार, अब बिना शल्य क्रिया (सर्जरी) के ही साइटोट्रोन चिकित्सा (cytotron meaning) से इस पर काबू पाया जा सकता है। बायो-इलेक्ट्रोनिक उत्तक के कारण घुटने के कार्टिलेज दोबारा भी विकसित हो सकते हैं। जिस जगह को ठीक करना होता है, उस जगह पर साइटोट्रोन के द्वारा उच्च तीव्रता वाला इलेक्ट्रा मैग्रेटिक बीम का प्रयोग किया जाता है।

उन्होंने बताया कि क्वांटम मैग्नेटिक रेजोनेंस, (Quantum magnetic resonance) (क्यूएमआर) पैदा करने वाली इस विधि से न सिर्फ घुटनों के जोड़ों में दर्द से राहत पहुंचती है, बल्कि कॉर्टिलेज का दोबारा निर्माण होने में भी मदद मिलती है। इस तरह घुटनों को शल्य चिकित्सा द्वारा काट कर हटाने की नौबत भी नहीं आती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें रोगी को किसी प्रकार

की तकलीफ का अनुभव भी नहीं होता है।

क्या है रोटेशनल फील्ड क्वांटम मैग्रेटिक रेजोनेंस what is rotational field quantum magnetic resonance therapy

रोटेशनल फील्ड क्वांटम मैग्रेटिक रेजोनेंस (आरएफक्यूएमआर) एक ऐसी तकनीक है, जो उच्च तीव्रता वाले इलेक्ट्रोमैग्रेटिक बीम उत्पन्न करता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित रोगी के घुटने के उसी हिस्से पर इसे केंद्रित किया जाता है। जहां तकलीफ होती है। घुटने के जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने का यह सबसे आसान व सुरक्षित उपाय है।

एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि

"Incidences of Joint replacement surgeries have seen an upsurge in the past 5 years. According to the recent data provided by Joint registry (ISHKS), over 35,000 total knee replacements (TKR) and over 3500 total hip replacement surgeries (THR) have been performed in India in the last 5 years.

But with the advent of technology, cytotron, latest device based on Rotational Field Quantum Magnetic Resonance (RFQMR) has replaced the need of undergoing invasive joint replacement surgeries."

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