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Year after sedition row, where stand JNU and Kanhaiya Kumar with his friends

आज नौ फरवरी है... नौ फरवरी यानी पिछले साल आज ही के दिन जेएनयू चर्चा में आया था। कन्हैया कुमार और उमर खालिद समेत कई छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया और इसी के साथ छात्रसंघ और विश्वविद्यालयों में एक ऐसे युग की शुरुआत हुई, जो देशद्रोह और राष्ट्रवाद में बंट गया।

विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय राजनीति दाखिल हो चुकी थी और इस मुद्दे को वहां से निकालकर दुनिया में फैला दिया।

पिछले साल नौ फरवरी को संस्थान के छात्रों ने वर्ष 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को दी गयी फांसी के खिलाफ एक कथित तौर पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था। इस दौरान कुछ अज्ञात छात्रों ने कथित रुप से भारत विरोधी नारेबाजी की।

घटना के चार दिन बाद दिल्ली पुलिस ने जेएनयू छात्रसंघ के नेता कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ देशद्रोह और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया। बाद में दो और छात्र उमर खालिद एवं अनिरबान भट्टाचार्य को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

शुरुआती जांच के आधार पर कन्हैया और सात अन्य छात्रों की शैक्षणिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गयी।

जेएनयू छात्रों पर देशद्रोह का मामला चलाने का सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफी विरोध हुआ। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने तो इसे जायज ठहराया, लेकिन विपक्षी दलों ने इसकी निंदा की। साथ ही नोम चोमस्की, ओरहान पामुक, शेल्डन पोलॉक सहित 130 से अधिक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय विद्वानों ने एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने आलोचनाओं को दबाने के लिए छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने को ‘‘भारत सरकार की शर्मनाक कार्रवाई'' बताया।

बाद में कन्हैया को पटियाला हाउस अदालत में सुनवाई के लिए ले जाते समय वकीलों के एक समूह ने उसके साथ मारपीट की....

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