हिन्दू धर्म का मल ही उन्हें चन्दन है ! हिंदुत्व की राजनीति (Hindutva politics) हिन्दू धर्म के मलादि उत्सर्जन को चन्दन की तरह माथे पर मलती है, आतंकवाद के आरोप की मुल्जिम प्रज्ञा ठाकुर ( Sadhvi Pragya Thakur accused of terrorism charges) को भोपाल से उम्मीदवार (Candidate from Bhopal) बना कर बीजेपी ( BJP) ने फिर यही पुष्ट किया है।
किसी ने ठीक ही कहा है कि बीजेपी ने प्रज्ञा को भोपाल से उम्मीदवार बना कर यह परखने की कोशिश की है कि वह हिंदुत्व के नाम पर हिंदुओं को और कितने नीचे तक ले जा सकती है। बीजेपी ने प्रेस कांफ्रेंस करके इसे 'हिंदुओं को बदनाम करने की कोशिश का जबाब' बताया है। जबकि गौर से देखें तो हिंदुत्व के नाम पर यह उम्मीदवारी खुद में हिंदुओं की बदनामी का आधार है।
प्रज्ञा ने मुंबई हमले के शहीद हेमंत करकरे (Shaheed Hemant Karkare) को लेकर जो बयान दिया है उसपर आईपीएस एसोसिएशन सहित देश भर से तीखी प्रतिक्रिया हुई है।
प्रज्ञा का देश के लिए सिर्फ यह योगदान है कि उसके विरुद्ध आतंकवादी गतिविधियों में संलग्न होने का आरोप है। यह आतंकवादी क्रियाकलाप हिन्दू धर्म के नाम पर मुसलमानों के प्रति द्वेष से प्रेरित होकर किया गया था, जिस द्वेष को आरएसएस-बीजेपी की हिंदूवादी राजनीति ने अनगिनत लोगों के दिमाग में जगह देकर उन्हें जहरीला बनाया है।
प्रज्ञा को आगे लाकर बीजेपी ने उस अंधे उन्माद पर मुहर लगाई है जो सचेतन देशप्रेम से प्रेरित होकर कर्तव्यनिष्ठा में प्राणोत्सर्ग करने वाले पुलिस अफसर को भी खलनायक बना सकता है।
मधुवन दत्त चतुर्वेदी
(मधुवन दत्त चतुर्वेदी की फेसबुक टाइमलाइन से)