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Shamsul Islam

Tavleen Singh ji, please, look at the Hindi version of of today's column reproduced by The Indian Express' sister Hindi daily, JANSATTA. Sadly, the whole thrust of the piece has been changed. To cite one example you wrote: "The truth is that none of these things was ‘appeasement’ as Hindutva hysterics like to call it". What I understand is that you are trying to stress that the bogey of appeasement of Muslims is not responsible for rise of Hindutva as there has been no appeasement. It has been translated in Hindi as "aisee baton se hee tau peda huvey haen aaj ke kattarpanthee Hindu". This translation conveys the message that it was due to appeasement of Muslims that Hindutva was born. Even the title was changed, why.  

हिंदी दैनिक जनसत्ता की गोदी/मोदी पत्रकारिता

जनपक्षीय टीवी पत्रकार, रवीश कुमार, ने आज की मुख्यधारा वाली पत्रकारिता को 'गोदी पत्रकारिता' सही ही बताया है। सच में यह मोदी की गोदी पत्रकारिता है। इस का ताज़ातरीन नमूना देखना/पढ़ना हो तो एक ही प्रकाशन समूह, इंडियन एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड, से निकलने वाले अंग्रेजी (इंडियन एक्सप्रेस) और हिंदी(जनसत्ता) दैनिकों पर दृष्टि डालें। हर रविवार को देश की प्रतिष्ठित और प्रसिद्द पत्रकार, तवलीन सिंह, इंडियन एक्सप्रेस के लिए एक लोकप्रिय राजनैतिक कॉलम (Fifth Column) लिखतीं हैं, इस का अनुवाद साथ-साथ दैनिक जनसत्ता में भी छपता है। तवलीन सिंह कांग्रेसी पार्टी और इस की सरकारों की घोर विरोधी रही हैं और हैं। वे प्रधान-मंत्री मोदी की ज़बरदस्त प्रशंसक रही हैं, लेकिन लगभग पिछले 2 साल से आलोचना से भरे कॉलम लिख रही हैं।  उनका कहना है कि मोदी विकास के मसीहा ना होकर, आखिरकार, एक हिन्दुत्ववादी ही साबित हुए हैं।  उनके राज में मुसलमान और ईसाई ही नहीं हिन्दू भी सुरक्षित नहीं हैं और मोदी

का 2019 में  चुनाव जीतना मुमकिन नहीं है।

इस रविवार के अंग्रेजी में कॉलम का शीर्षक था 'Hindutva and Muslims' और इस में तवलीन ने लिखा कि यह जो तर्क दिया जाता है कि मुसलमानों के तुष्टिकरण की वजह से कट्टरपंथ हिन्दुत्ववाद विकास हुआ, ग़लत है क्योंकि आज भी आम मुसलमान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास के सबसे निचले पायदान पर खड़े हैं (जैसा कि हम संलग्न मूल अंग्रेजी में देखेंगे) ।

गोदी जनसत्ता ने तवलीन के इस तर्क को बदल कर अनुवाद किया कि "ऐसी बातों से ही तो पैदा हुए हैं आज के कटॉतपंथी हिन्दू" (अनुवादित हिस्सा देखें)। शर्म इनको मगर नहीं आती! 

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