जब भी हिन्दू आतंकवाद की बात की जाती थी तो संघ परिवार की ओर से जबरदस्त विरोध होता था। उसका दावा होता था कि किसी धर्म विशेष का नाम आतंकवाद से नहीं जोड़ा जा सकता है। वैसे एक समय था जब नरेन्द्र मोदी यह कहा करते थे कि सभी मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं लेकिन सभी आतंकवादी मुसलमान हैं।
परंतु दिनांक 10 अगस्त को महाराष्ट्र में कुछ ऐसे लोग पकड़े गए हैं जो आतंकवादी हमलों की तैयारी कर रहे थे। गिरफ्तार किए गए लोगों का संबंध दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों से पाया गया है। इन गिरफ्तारियों का समाचार अनेक समाचार पत्रों में छपा है। जैसे दिनांक 12 अगस्त के इंडियन एक्सप्रेस में छपे समाचार की हेडलाईन है “Searches across Maharashtra terror attack foiled x with links to hardlien Hindu groups held” (महाराष्ट्र में मारे गए छापों से आतंकी हमला विफल, हिन्दू समूह से जुड़े तीन व्यक्ति गिरफ्तार)।
गौरी लंकेश की हत्या के षड़यंत्र में भी शामिल
समाचारों के अनुसार एटीएस ने छापा मारकर तीन ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जो हिन्दू संगठन से जुड़े हुए हैं। इन लोगों के पास से बड़े पैमाने पर विस्फोटक सामग्री भी बरामद हुई है। इनमें से कुछ बम, जिलेटिन स्टिक आदि भी पाए गए। गिरफ्तारी के बाद एटीएस ने यह भी बताया कि ये लोग अनेक स्थानों पर आतंकी हमले करने की तैयारी कर रहे थे। जो लोग गिरफ्तार किए गए उनमें 40 वर्षीय वैभव राऊत भी शामिल है। वह हिन्दू गौरक्षा समिति का सदस्य है। इसके सनातन संस्था से भी संबंध हैं। इस बात के भी स्पष्ट संकेत मिल चुके हैं कि सनातन संस्था से जुड़े ये लोग नरेन्द्र दाभोलकर, गोविंद पंसारे, एमएम कलबुर्गी और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के षड़यंत्र में भी शामिल हैं।
सुधनवा गोंधलेकर नाम के एक अन्य व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया गया है जो
तीसरा अभियुक्त शरद कसालकर है। इन्हें राऊत के निवास स्थान से गिरफ्तार किया गया है। एटीएस के अनुसार कमालकर के पास एक दस्तावेज पाया गया है जिसमें बम बनाने की प्रक्रिया का विवरण है। इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री का मिलना इस बात का संकेत है कि ये लोग किसी गंभीर हिंसक कार्रवाई की तैयारी कर रहे थे। शायद उनका इरादा स्वतंत्रता दिवस और बकरीद के आसपास ऐसी घटना करने का था। एटीएस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वे ऐसी वारदात कब और कहां करने वाले थे। एटीएस इस बात का भी पता लगा रही है कि इन लोगों का दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी और लंकेश की हत्याओं से सीधा संबंध तो नहीं थे। पालघर के पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ भिनसे के अनुसार पिछले कई दिनों से राऊत की गतिविधियों पर नज़र रखी जा रही थी। राऊत के पड़ोसियों के अनुसार राऊत की पहचान एक गौरक्षक के रूप में थी और वह प्राय: उन लोगों के घरों और दुकानों पर छापा मारता था जहां गौमांस मिलने की संभावना होती थी।
सनातन संस्था ने वैभव राऊत से पल्ला झाड़ा
वैसे तो सनातन संस्था की ओर से कहा गया है कि राऊत उनकी संस्था का औपचारिक सदस्य नहीं था परंतु जो भी हो, वह हिन्दुत्व संबंधी गतिविधियों में भाग लेता था और उसे हम अपना मानते हैं। इसलिए हम उसकी हर संभव कानूनी सहायता करेंगे।
बाद में छानबीन के बाद यह पता लगा कि जिन लोगों को एटीएस ने गिरफ्तार किया था वे मराठा आंदोलन के दौरान बम विस्फोट करना चाहते थे। उनका इरादा महाराष्ट्र सरकार को डराने का था। इन लोगों की योजना थी कि मुंबई, पुणे, सतारा और शोलापुर में भी इसी तरह की वारदातें की जाएं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गिरफ्तार किए गए लोगों का संबंध दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों से था।
दाभोलकर हत्याकांड में मुख्य शूटर सचिन प्रकाशराव अंदुरे
सचिन प्रकाशराव अंदुरे नामक एक व्यक्ति को 18 अगस्त की रात पुणे से गिरफ्तार किया गया। अदालत ने उसे 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड पर भेज दिया।
सीबीआई के मुताबिक औरंगाबाद का रहने वाला अंदुरे ही दाभोलकर हत्याकांड में मुख्य शूटर था। इसके पहले सीबीआई की चार्जशीट में आरोपियों के रूप सारंग आकालेकर और विनय पवार के नाम थे और दोनों को फरार बताया गया था। ऐसे में अब अंदुरे को आरोपी बनाए जाने के सवाल पर सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि मामले में पड़ताल जारी है। सीबीआई के मुताबिक एटीएस ने पिछले हफ्ते राज्य में कथित तौर पर कुछ धमाकों की साजिश के संबंध में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। उन्हीं में से एक शरद कलस्कर है जिसने नरेन्द्र दाभोलकर हत्याकांड में शामिल होने की बात कबूली है। उसी ने बताया कि दाभोलकर की हत्या में अंदुरे भी शामिल था।
एटीएस ने यह जानकारी सीबीआई को दी थीं साथ ही कलस्कर को उसके हवाले कर दिया था। इस मामले में सीबीआई ने जून 2016 मे हिंदू जन जागृति समिति के सदस्य वीरेन्द्र तावड़े के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। सीबीआई ने तब तावड़े को घटना का मुख्य साजिशकर्ता बताया था। आरोपी की गिरफ्तारी पर दाभोलकर की बेटी मुक्ता ने मीडिया से कहा ''उनकी हत्या के बाद इसी अंदाज में तीन और हत्याएं की गईं। जांच एजेंसियों का कहना था कि इन चारों हत्याओं का आपस में संबंध है। उन्हें विचारधारा के टकराव की वजह से मार दिया गया।''
सचिन अंदूरे ने पूछताछ के दौरान नरेन्द्र दाभोलकर की हत्या के मामले में जालना नगरपालिका के शिवसेना के एक पूर्व पार्षद श्रीकांत पंगारकर का भी नाम लिया। उसके बयान के आधार पर श्रीकांत को 19 अगस्त को गिरफ्तार किया गया। पंगारकर हिंदू जनजागृति समिति का पदाधिकारी है।