Hastakshep.com-समाचार-Donald Trump-donald-trump-peace talks-peace-talks-Taliban threatens Trump-taliban-threatens-trump-अमेरिका-amerikaa-उग्रवादी समूह-ugrvaadii-smuuh-तालिबान-taalibaan-शांति वार्ता-shaanti-vaartaa

मॉस्को जाने वाले तालिबान प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने कहा है कि यदि अमेरिका ने भी दिलचस्पी दिखाई तो तालिबान समूह फिर से बातचीत शुरू करने में दिलचस्पी रखेगा।

नई दिल्ली, 15 सितंबर 2019. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (US President Donald Trump) की इस घोषणा कि उग्रवादी समूह तालिबान के साथ शांति वार्ता (Peace talks with militant group Taliban) समाप्त हो गई है, तालिबान ने पलटकर ट्रम्प को चेतावनी दी है कि अगरअमेरिका शांति वार्ता को पुनर्जीवित करने के लिए तैयार नहीं है, तो तालिबान  "100 साल" के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं।

हाल ही में अफगानिस्तान में एक अमेरिकी सैनिक के मारे जाने के बाद ट्रम्प ने सिलसिलेवार ट्वीट करके घोषणा की थी कि उन्होंने कैंप डेविड में तालिबान समूह के प्रतिनिधियों के साथ एक अभूतपूर्व बैठक को रद्द करने का फैसला किया है।

ट्रम्प के उल्लेखनीय ट्वीट्स ने कूटनीतिक हलकों में अराजकता और भ्रम पैदा किया। ट्वीट से पहले से ही व्याप्त शांति प्रक्रिया में लगे लोगों के बीच खतरे की घंटी बज गई।

अरब न्यूज़ ने एक खबरTaliban ‘ready to fight’ if US unwilling to talk” में रूसी टीवी स्टेशन आरटी के हवाले से मास्को गए तालिबानी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य शेर मोहम्मद अब्बास स्टैनकजई का बयान प्रकाशित किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि "हम अभी भी प्रतिबद्ध हैं, हम अफगानिस्तान में शांति चाहते हैं, हम विदेशी सैनिकों को अफगानिस्तान से जाने के लिए एक सुरक्षित मार्ग देना चाहते हैं, अगर अमेरिकी पक्ष वार्ता के लिए तैयार नहीं है (...) तो हम अपना बचाव करने के लिए बाध्य होंगे, भले ही यह 100 वर्षों तक जारी रहे।"

अब्बास ने पिछले साल से कतर में अमेरिकी राजनयिकों के साथ कम से कम नौ दौर की वार्ता में हिस्सा लिया है। उन्होंने ट्रम्प पर तालिबान के साथ संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने का आरोप लगाया

क्योंकि समूह ने समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले उनसे (ट्रम्प से) मिलने से इनकार कर दिया था।

उन्होंने कहा कि तालिबान उन क्षेत्रों में अमेरिकी सैनिकों के सुरक्षित मार्ग के लिए अनुमति देने के लिए सहमत हो गया था जहां से अमेरिका ने वापसी की योजना बनाई थी। उन्होंने कहा कि तालिबान 23 सितंबर को अफगान पक्ष से मिलने की योजना बना रहा था ताकि राष्ट्रव्यापी संघर्ष विराम और भविष्य की सरकार के राजनीतिक सेटअप पर चर्चा की जा सके।

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के प्रवक्ता, सेडिक सेडडकी ने ट्वीट किया कि अब्बास की टिप्पणी से पता चलता है कि तालिबान बातचीत के इच्छुक नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि “इस बार तालिबान ने मास्को से आवाज उठाई है और कहा है कि (वे) अफगानों की हत्या (में) जारी रखेंगे; अफगान सुरक्षा बल आपका इंतजार कर रहे हैं।”

इसे समय का फेर ही कहा जाएगा कि जो तालिबान कभी सोवियत संघ के विरुद्ध खूनी संघर्ष कर रहे थे और उनको अमेरिका संरक्षण व मदद दे रहा था, आज वही तालिबान अमेरिका से कुट्टी होने के बाद रूस की शरण में पहुंचे हैं। रूस अपनी पूर्व दुश्मन, तालिबान के साथ घनिष्ठ संबंध रखने वाली क्षेत्रीय शक्तियों में से एक है, जिसने अमेरिकी सैनिकों की बढ़ती उपस्थिति के बावजूद अफगानिस्तान में लाभ कमाया है। तालिबान और रूस दोनों ही देश से अमेरिका के नेतृत्व वाली सेनाओं की पूर्ण वापसी चाहते हैं।