नई दिल्ली, 05 अक्तूबर 2019. सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश व प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कश्मीर में सरकारी प्रतिबंधों के 60 दिन पूरा होने पर केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि अनुच्छेद 35 ए और अनुच्छेद 370 का हटाना, भारत में आर्थिक संकट से ध्यान हटाने के लिए एक परेशान सरकार की नौटंकी थी, लेकिन नौटंकी भी कभी-कभी हद पार कर जाती है।
जस्टिस काटजू ने अपने सत्यापित ट्विटर हैंडल पर “ Repost #Kashmir “ टिप्पणी के साथ लिखा -
“हर चीज की हद होती है।
आज, 5 अक्टूबर, कश्मीर में बंद का 60 वां दिन है।
अभी तक, इंटरनेट और मोबाइल फोन सुविधाओं को बहाल नहीं किया गया है, और अक्सर कश्मीर में कर्फ्यू और अन्य प्रतिबंध हैं।
इंटरनेट और मोबाइल फोन आज विलासिता नहीं बल्कि आवश्यकताएं हैं। एक दिन के लिए भी उनसे वंचित रहना किसी के जीवन को दयनीय बना देता है, 60 दिनों का तो कहना ही क्या।
मुझे कुछ कश्मीरियों द्वारा बताया गया था कि वे पहले जिस ऑनलाइन फॉर्म को भर सकते थे, अब उन्हें इसे भरने के लिए 20 किलोमीटर दूर एक कार्यालय में जाना होगा।
हर चीज की एक सीमा होती है, और भारत सरकार इसे पार कर रही है।
अनुच्छेद 35 ए और अनुच्छेद 370 का हटाना, भारत में आर्थिक संकट से ध्यान हटाने के लिए एक परेशान सरकार की नौटंकी थी, लेकिन नौटंकी भी कभी-कभी हद पार कर जाती है।“
कौन हैं मार्कंडेय काटजू?
अपने ऐतिहासिक फैसलों के लिए प्रसिद्ध रहे जस्टिस मार्कंडेय काटजू 2011 में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए उसके बाद वह प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन रहे। आजकल वह अमेरिका प्रवास पर कैलीफोर्निया में समय व्यतीत कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर खासे सक्रिय हैं और भारत की समस्याओं पर खुलकर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं।
Repost#Kashmir
— Markandey Katju (@mkatju) October 5, 2019
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