नई दिल्ली, 9 फरवरी। देश के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री (Commerce and Industry Minister) रह चुके कमलनाथ (Kamal Nath) एक समय संकट में फंसी विश्व व्यापार वार्ता (World Trade Dialogue) में भारत का चेहरा थे। वह कृषि सब्सिडी (Agriculture Subsidy) पर एक समन्वित पश्चिमी गतिरोध (Integrated Western Standoff) के आगे कभी नहीं झुके और एक तरह से विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) को ठेंगा दिखाते हुए उन्होंने भारतीय किसानों के हितों (interest of Indian farmers) की पैरवी की। संप्रग-2 और इसके पहले की कांग्रेस सरकारों में भी कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके और लोकसभा के लिए नौ बार निर्वाचित हो चुके कमलनाथ हाल ही में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh assembly elections) में कांग्रेस का चेहरा थे। इस 72 वर्षीय राजनेता ने अपने जोरदार चुनावी अभियान के जरिए शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के शासन (13 साल) को समाप्त कर दिया। कमलनाथ ने आईएएनएस के संदीप बामजई के साथ एक बेबाक बातचीत में मध्य भारत के प्रमुख राज्य के बारे में अपनी योजनाएं गिनाई।
कमलनाथ का साक्षात्कार : क्या – क्या कहा मुख्यमंत्री ने
Kamal Nath Interview: What - said the Chief Minister
भाजपा के 15 वर्षो के शासन के बाद, निश्चित रूप से ऐसी कई सारी चीजें होंगी, जिसे उनकी अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार राज्य में दुरुस्त करना चाहती है। आईएएनएस ने उनसे पूछा कि उनके एजेंडे में ऐसी कौन-सी पांच चीजें शीर्ष पर हैं?
नाथ ने कहा, "यह कहना गलत नहीं होगा कि 15 वर्षो के खराब शासन के कारण मध्यप्रदेश बुरी हालत में है। ऐसी बहुत-सी चीजें हैं, जिन्हें दुरुस्त करने की जरूरत है। हमारी पहली प्राथमिकता राज्य में किसानों की बेहतरी और कृषि क्षेत्र का विकास होगी। किसान भाजपा शासित राज्य में सबसे ज्यादा पीड़ित थे। उन्हें बमुश्किल ही कभी उनके काम का इनाम मिला।"
उन्होंने कहा, "कृषि क्षेत्र को मजबूत करने और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में तेजी लाने
उन्होंने कहा, "हमें इसे दुरुस्त करने की जरूरत है। हम राज्य में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। बीते दशक के दौरान संसाधनों को बर्बाद किया गया है, उसे दुरुस्त करने की जरूरत है। जैसा कि हमने वादा किया है, हम महिलाओं के लिए भी राज्य में सुरक्षित और स्वस्थ्य माहौल बनाएंगे। इनसब के अलावा, आपूर्ति प्रणाली को भी मजबूत करने की जरूरत है, ताकि लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।"
उन्होंने सत्ता संभालते ही कृषि ऋण माफ करने के अपने वादे को पूरा किया, जिसे कईयों ने खराब आर्थिक निर्णय कहा। लेकिन क्या उनकी सोच ने किसान समुदाय की बुरी दशा को प्रतिपादित किया है, जिसके कारण उन्हें यह विकल्प चुनना पड़ा?
उन्होंने कहा, "जब से मैं मुख्यमंत्री की भूमिका में हूं, यहां तक कि इसके पहले भी मुझसे बार-बार यह प्रश्न पूछा गया है। मध्यप्रदेश के किसानों की दशा देखते हुए, हमें उनकी बेहतरी के लिए कोई कदम उठाना था और कर्जमाफी एक तर्कसंगत समाधान था। हम एक कृषि प्रधान देश हैं, इसके बावजूद यहां कई किसान कर्ज में पैदा होते हैं और कर्ज में ही मर जाते हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।"
उन्होंने कहा, "हम राज्य के किसानों की मदद करके उनपर कोई अहसान नहीं कर रहे हैं। वे हमारे प्रमुख अन्नदाता हैं और उनके ऋण माफ करना उनकी दशा सुधारने और राज्य में विकास का सूत्रपात करने की दिशा में एक प्रयास है। मैं इसे राज्य की भलाई में किए गए दीर्घकालिक निवेश के तौर पर देखता हूं। इसके अलावा मुझे विश्वास है कि जो इसे खराब अर्थशास्त्र कह रहे हैं, वे कृषि व अर्थव्यवस्था के बारे में बहुत कम जानते हैं। हम सभी इस तथ्य से वाकिफ हैं कि बैंक उद्योगों और व्यापारिक घरानों के ऋण माफ करते हैं, कई मामलों में ऋण 50 प्रतिशत तक माफ किया जाता है। अगर व्यापारिक समुदाय के लिए ऋण माफ करना एक अच्छा अर्थशास्त्र है, तो यह कैसे गलत हो गया जब हम इसे आर्थिक रूप से गरीब किसानों के लिए करते हैं?"
कमलानाथ कई केंद्रीय कैबिनेट में लंबे समय तक शीर्ष मंत्री रहे हैं। उनकी नई जिम्मेदारी बिल्कुल अलग है। ऐसे में राज्य की राजनीति में वह कैसे सामंजस्य बिठाते हैं?
उन्होंने कहा, "राज्य की राजनीति केंद्रीय राजनीति से बहुत अलग होती है। कैबिनेट मंत्री और एक मुख्यमंत्री होने में बड़ा अंतर है। राज्य की राजनीति का दायरा बहुत बड़ा होता है और एक मुख्यमंत्री के तौर, चीजें आपके आस-पास सिमटी रहती हैं।"
कमलनाथ ने कहा, "इसके अलावा, चुनौतियां और जिम्मेदारियां बहुत बड़ी होती हैं। केंद्रीय मंत्री के तौर पर मैंने जो बदलाव किए थे, उसके सकारात्मक नतीजे भी आए थे और मैंने राज्यस्तर पर भी इसे फिर से दोहराने का विचार किया है। हालांकि दोनों के बीच जो एक सामान्य बात है, वह जनसेवा है। जो भी राजनीति में मौजूद है, वह जनता और देश की सेवा करने को उत्सुक रहता है और मैं भी यही कर रहा हूं। पिछले चार दशकों के दौरान मैंने जो भी जिम्मेदारी निभाई, उसका मूल उद्देश्य हमेशा जनता की सेवा ही रहा है। मेरा एक मात्र मकसद जनसेवा है।"
निश्चित ही मध्यप्रदेश जैसे पिछड़े राज्य के लिए अपेक्षाकृत यह चुनौती कठिन होगी, क्योंकि आकार के मामले में देश के एक सबसे बड़े राज्य की अपनी अलग समस्याएं हैं? कमलनाथ ने तपाक से जवाब दिया, "किसान आत्महत्या, बेरोजगारी के लिहाज से मध्य प्रदेश में कई सारी चुनौतियां हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में राज्य का स्तर काफी नीचे है।"
उन्होंने कहा, "राज्य के पिछड़ेपन के पीछे कुछ बड़े कारण हैं। भारत के दूसरे सबसे बड़े राज्य के रूप में, हमारा क्षेत्रफल बहुत बड़ा है और संभावनाएं असीमित हैं। हालांकि पूर्ववर्ती सरकार ने अवसरों का इस्तेमाल करने के बारे में कभी नहीं सोचा और वे संसाधनों का दोहन करने में व्यस्त रहे। राज्य को 'बीमारू राज्य' की श्रेणी से बाहर निकालने के उनके सभी दावे झूठ का पुलिंदा के अलाव कुछ नहीं थे।"
उन्होंने कहा, "पिछले 15 वर्षो में, राज्य की आर्थिक दशा सुधारने से शायद ही कुछ किया गया। विकास का हमारा मॉडल विकेंद्रीकरण का है। हम सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करा रहे हैं, जिससे राज्य का समग्र विकास होगा। हम जिलास्तर पर शासन खड़ा करना चाहते हैं और जमनी स्तर पर विकास सुनिश्चित करना चाहते हैं। सभी सुविधाएं जमीनी स्तर पर मुहैया होंगी, ताकि लोगों को अपना काम कराने के लिए बड़े शहरों में न आना पड़े। राज्य में ऐसे विभाग, परिषद, बोर्ड और विश्वविद्यालय हैं, जहां बदलाव की जरूरत है। हम इन क्षेत्रों की भी पहचान कर रहे हैं।"
कईयों का मानना है कि नाथ एक चालाक राजनेता की तरह प्रतिस्पर्धा में गौ राजनीति कर रहे हैं। गौशालाओं के निर्माण का काम कैसा चल रहा है? सभी जानते हैं कि यह कांग्रेस की एक चुनाव पूर्व योजना थी, लेकिन क्या यह प्रतिगामी नहीं है?
उन्होंने कहा,
"'प्रतिगामी' शब्द मुझे परेशान करता है, क्योंकि मुझे यह समझ में नहीं आता कि मवेशियों के लिए छत का निर्माण प्रतिगामी कैसे हो सकता है। प्रारंभ में गौशाला का निर्माण हमारे घोषणा-पत्र का हिस्सा नहीं था, लेकिन बाद में इसे शामिल किया गया। एक रैली में मैंने देखा कि कैसे गायों के साथ बुरा बर्ताव किया जा रहा है। यह परेशान करने वाला दृश्य था और इसलिए मैंने अपने घोषणा-पत्र के जारी होने के तीन महीने पहले इसकी घोषणा की।"
कमलनाथ ने कहा,
"यह कोई चुनाव पूर्व की योजना नहीं थी, क्योंकि एक पार्टी के नाते हम मवेशी राजनीति में विश्वास नहीं करते हैं। एक देश में जहां गायों को इतना ज्यादा सम्मान दिया जाता है, मैं उनकी रक्षा करने में विश्वास करता हूं और सभी पंचायतों में गौशाला का निर्माण करना महत्वपूर्ण है।"
मुख्यमंत्री ने कहा,
"यह न तो कोई चुनाव-पूर्व की योजना थी और न कोई प्रतिस्पर्धी योजना ही है। अब, चार महीनों में हम मध्यप्रदेश के विभिन्न गांवों में एक हजार गौशालाओं का निर्माण करने जा रहे हैं, जहां अनाथ गायों की देखभाल की जाएगी। इसमें छत, चापाकल, बायोगैस संयंत्र आदि सुविधाएं होंगी।"
कमलनाथ ने कहा, "गौशालाओं का मॉडल इस तरह से डिजाइन किया गया है कि समाज, किसान और आम आदमी गौशाला को चलाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। इससे जनभागीदारी बढ़ेगी और यह मॉडल अधिक विश्वसनीय बनेगा। शहरी विकास विभाग इस परियोजना का नोडल विभाग होगा।"
उन्होंने कहा,
"इस परियोजना से ग्रामीण इलाकों में रोजगार सृजन होगा। इससे विभिन्न तरीके से लोगों की भागीदारी के अवसर पैदा होंगे। लोग सरकार द्वारा आवंटित जमीन पर गौशाला बनाकर, गौशाला निर्माण की देखभाल कर, और गौ अभियान व गौ सदन की जिम्मेदारी अपने हाथों में लेकर इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं।"
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