Hastakshep.com-समाचार-प्लास्टिक-plaasttik

राज ठाकरे ने पूछा, रविंद्र मराठे की गिरफ्तारी तो अमित शाह की क्यों नहीं

नई दिल्ली, 26 जून। बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रविंद्र मराठे की गिरफ्तारी तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह तथा बैंक से संबंधित अन्य अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने सवाल उठाए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ठाकरे ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा,

"मराठे को इस तरह निशाना क्यों बनाया जा रहा है और क्या आप में अमित शाह के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस नहीं है?"

राज ठाकरे कथित रूप से पुणे के डीएसके समूह द्वारा किए गए 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले में मराठे तथा बीओएम के अन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी और अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक से संबंधित हाल के खुलासों का जिक्र कर रहे थे, जिसके अनुसार अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में नोटबंदी के बाद पांच दिनों के भीतर सर्वाधिक विमुद्रित नोट जमा कराए गए थे। खास बात यह है कि अमित शाह अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के निदेशक हैं।

देवेंद्र फडणवीस को बताया 'झूठ बोलने वाला'

राज ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को 'झूठ बोलने वाला' बताते हुए कहा कि वह पुणे पुलिस द्वारा मराठे की गिरफ्तारी की जानकारी नहीं होने का दावा कैसे कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बीओएम को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि बैंक ने कृषि ऋण माफी तथा संबंधित मुद्दों पर सहयोग करने से मना कर दिया था।

बीओएम का 'बैंक ऑफ बड़ौदा' में विलय करने की साजिश

राज ठाकरे ने कहा,

"यह बीओएम का 'बैंक ऑफ बड़ौदा' में विलय करने की साजिश है। मैंने यही सुना है और यह डरावना है।"

उन्होंने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि जब मराठे को जेल में डाला जा सकता है तो आईसीआईसीआई बैंक प्रमुख चंदा कोचर और पंजाब नेशनल बैंक के

शीर्ष अधिकारी आजाद कैसे घूम रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदेश सरकार द्वारा एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक बैग पर प्रदेशव्यापी प्रतिबंध लगाने के आदेश की निंदा करने के लिए बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने यह बयान दिए।



style="display:inline-block;width:600px;height:250px"
data-ad-client="ca-pub-9090898270319268"
data-ad-slot="8630546136">

ख़बरें और भी हैं

 

मोदी सरकार के चार साल : अच्छे दिनों के फीके नतीजे

2019 : सत्ता के मामले में मोदी की बदहवासी को देखते हुए चुनाव न होने की आशंका पूरी तरह से निराधार नहीं

मोदी सरकार के चार साल : नए सिरे से जुमलों को गढ़ने की जरूरत क्यों ?

रोपमुक्त नहीं मोदी, लंबी श्रंखला है आरोपों की