Hastakshep.com-देश-Heat Cramps-heat-cramps-heat edema-heat-edema-Heat rash-heat-rash-Yashoda Hospital Kaushambi-yashoda-hospital-kaushambi-लू के उपचार-luu-ke-upcaar-लू के लक्षण इन हिंदी-luu-ke-lkssnn-in-hindii-हीट एडेमा-hiitt-eddemaa-हीट क्रेम्प्स-hiitt-kremps-हीट रैश-hiitt-raish

यशोदा हॉस्पिटल कौशाम्बी के चिकित्सकों ने बताए हीट स्ट्रोक और सनस्ट्रोक से बचाव के उपाय Doctors of Yashoda Hospital Kaushambi have explained ways to prevent heat stroke and stroke…. लू किसे कहते हैं

Dr. G.J. singh यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ जी जे सिंहगाजियाबाद, 09 मई, 2019। यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ जी जे सिंह ने बताया है कि आजकल की तपिश भरी गर्मियों में लू लगने की समस्या आम बात है, अंग्रेजी में इसे हीट स्ट्रोक और सनस्ट्रोक के नाम से भी जाना जाता है. इस भीषण गर्मी में तापमान चरम पर होता है और गर्म हवा के झोंके चलते हैं, तब लू लग सकती है. इसमें हमारे शरीर में उपस्थित तरल पदार्थ सूखने लग जाते हैं जिससे पानी और नमक की कमी हो जाती है और लू लगने का खतरा (The risk of hot wind) उत्पन्न हो जाता है. लू लगने पर शरीर में गर्मी, खुश्की और थकावट महसूस होने लगती है.

The risk of brain stroke and heart stroke due to heat stroke and sunstroke

यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ ए पी सिंह ने कहा कि Dr. A. P. singh यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ ए पी सिंहलू लगने के कारण कई और मामूली बीमारियां जैसे कि हीट एडेमा- heat edema (शरीर का सूजना), हीट रैश (Heat rash), हीट क्रेम्प्स- Heat Cramps (शरीर में अकड़न) और हीट साइनकॉप (बेहोशी) आदि भी हो सकती हैं. चिकित्सकीय भाषा में शरीर के तापमान को 105 डिग्री फारेनहाइट से अधिक रहने पर और शरीर के सेंट्रल नर्वस सिस्टम में जटिलताओं के पेश आने पर लू लगना कहते हैं., सिर में भारीपन मालूम होने लगता है। नाड़ी की गति बढ़ने लगती है।  खून की गति

भी तेज हो जाती है। सांस की गति भी ठीक नहीं रहती तथा शरीर में ऐंठन-सी लगती है।

लू के लक्षण इन हिंदी heat stroke symptoms in Hindi

Dr. anshuman tyagi यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ अंशुमान त्यागी Dr. anshuman tyagi

यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ अंशुमान त्यागी ने बताया कि लू लगने पर शरीर में गर्मी, खुश्की, सिरदर्द, कमजोरी, शरीर टूटना, बार-बार मुंह सूखना, उलटी, चक्कर, सांस लेने में तकलीफ, दस्त और कई बार निढाल या बेहोशी जैसे लक्षण नजर आते हैं. ध्यान रहे कि लू लगने पर पसीना नहीं आता है.

  • लू लगने पर आँखों में जलन भी होती है.

  • लू लगने के कारण अचानक बेहोशी व अंततः रोगी की मौत तक हो सकती है.

  • इस दौरान शरीर का तापमान एकदम से बढ़ जाता है. अक्सर बुखार बहुत ज्यादा मसलन 105 या 106 डिग्री फॉरनहाइट तक पहुंच जाता है.

  • हाथ और पैरों के तलुओं में जलन-सी होती रहती है

Dr.Asit Khanna यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के वरिष्ठ ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ असित खन्ना Dr.Asit Khanna

यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के वरिष्ठ ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ असित खन्ना एवं डॉ धीरेन्द्र सिंघानिया ने बताया कि लू लगने की वजह से रक्तचाप बहुत गिर सकता है और लिवर-किडनी में सोडियम पोटैशियम का संतुलन बिगड़ जाता है. इसलिए बेहोशी भी आ सकती है. इसके अलावा ब्रेन या हार्ट स्ट्रोक की स्थिति भी बन सकती है.

लू लगने पर प्राथमिक उपचार, लू के उपचार

लू लगने के सामान्य उपचार के बारे में चर्चा करते हुए यशोदा हॉस्पिटल की फिजीशियन डॉक्टरों की टीम ने बताया कि लू लगने वाले व्यक्ति को आसानी से कुछ सामान्य उपचार के जरिए भी बचाया जा सकता है. कुछ छोटे-मोटे आसन उपायों से लू के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।

Dr Dhirendra Singhania यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के वरिष्ठ ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ धीरेन्द्र सिंघानिया Dr Dhirendra Singhania

  • जब भी बाहर गर्मी चरम पर हो तो कम से कम बाहर निकलकर लू से बचा जा सकता है. लेकिन यदि बाहर जाना आवश्यक हो तो अधिक से अधिक पानी पीकर निकलें. ध्यान रहे कि खाली पेट न निकलें.

  • पीड़ित व्यक्ति को सबसे पहले छांव में लायें. फिर उसके लिए हवा का इंतजाम करें. गर्मी के कारण शरीर का तापमान हुई वृद्धि, छाया में लाने से तापमान सामान्य आना शुरु हो जाता है.

  • उस व्यक्ति को नमक शक्कर और पानी का घोल मुँह से पिलायें, उसके कपड़े निकालकर सिर्फ अंदरूनी वस्त्र रखें. बेहतरी के लिए शरीर पर हल्का सा गर्म पानी भी छिड़क सकते हैं.

  • आप चाहें तो गीली चादर में लपेटकर भी तापमान को कम करने का प्रयास कर सकते हैं.

  • हाथ पैर की मालिश करें जिससे रक्त संचरण प्रभावित होता है.

  • संभव हो तो बर्फ के टुकड़े कपड़े में लपेटकर गर्दन, बगलों और जांघों पर रखें. इससे गर्मी जल्दी निकलती है.

  • धूप में घर से बाहर निकलें तो छतरी का इस्तेमाल करें. नंगे बदन और नंगे पैर धूप में ना खड़े हों.

  • तरल पदार्थों के रूप में आप नींबू पानी, आम पना, छाछ, लस्सी, नारियल पानी, बेल या नींबू का शर्बत, खस का शर्बत जैसे तरल पदार्थों का उपयोग करते रहें.

  • ढीले और सूती कपड़े पहनना ज्यादा उचित होता है.

  • अचानक से गर्मी से एकदम ठंडे कमरे में ना जाएं.

  • जितना ज्यादा हो सके हरी सब्जियों का सेवन करें. खीरा, ककड़ी, लौकी, तौरी आदि का भरपूर सेवन करें.

  • यदि आपके पास सुविधा हो तो ठंडे वातानुकूलित कमरे में रहें.

  • इमली के गूदे को हाथ पैरों पर मलें.

  • शरीर का तापमान तेज होने पर सिर पर ठंडी पट्टी रखें.

  • घर से बाहर निकलते समय जेब में कटा प्याज रखें.