रायपुर, 20 अगस्त 2019. अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता समिति, छत्तीसगढ़ इकाई ने केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष प्रावधानों वाले राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और राज्य का विघटन करके राज्य के लोगों के लोकतान्त्रिक अधिकारों को छीनकर उन्हें केंद्र सरकार के प्रशासन के अंदर लाने वाले क़ानूनों को राज्य के लोगों पर थोपने की पूरी कार्यवाही को अलोकतांत्रिक मानते हुए इस पूरी कार्यवाही की तीव्र भर्त्सना की है।
प्रदेश इकाई के सचिव अरुण कान्त शुक्ला ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि जम्मू-कश्मीर के प्रादेशिक नेताओं को पहले नजरबंद और फिर गिरफ्तार कर तथा राज्य के लोगों को कर्फ़्यू में घरों में बंद कर ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल’ (Jammu and Kashmir reorganization bill) लाना और फिर उस पर चर्चा का पर्याप्त समय दिये बगैर ही अपने बहुमत के बल पर उसे लागू कराना ही इस बात का प्रमाण है कि केंद्र की सरकार ने संविधान और राज्य के लोगों, दोनों, के साथ तमाम तकनीकी तर्कों को देकर छ्ल किया है।
उन्होंने कहा कि संविधान में अनुच्छेद 370 (Article 370 in the constitution) को शामिल करने के पीछे कश्मीरियों की कुर्बानी का इतिहास (History of Kashmiri sacrifice) है जो वहाँ के लोगों ने स्वतंत्रता के तुरंत बाद पाकिस्तानी घुसपैठियों के साथ लड़ते हुए दीं और धर्मनिरपेक्ष भारत के साथ अपना भविष्य जोड़ा। नव-आजाद भारत ने उनकी स्वायत्तता की मांग (Demand for autonomy) की पूर्ति संविधान में अनुच्छेद 370 को शामिल करके पूरी की थी। अनुच्छेद 370 को रद्द करने की कार्यवाही भारत के उस संवैधानिक ढाँचे के ऊपर आघात है, जिसकी सुरक्षा करने की कसम सरकार में शामिल लोगों और भाजपा ने खाई थी।
जम्मू-कश्मीर भारत में एक राज्य के रूप में शामिल हुआ था। पूरे जम्मू-कश्मीर को मिलिट्री कर्फ्यू के साये में रखकर प्रदेश के दो टुकड़े कर देना और लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों
Snatching Article 370 from Jammu and Kashmir fraud with Indian Constitution and democracy
Tags: