राष्ट्रीय पर्व पर मदरसों की हकीकत का पता लगाने के लिए वीडियोग्राफी कराने वालों ये तो बताओ सरस्वती शिशु मंदिरों और नागपुर संघ कार्यालय की वीडियोग्राफी कब होगी.
झंडा रोहण से लेकर राष्ट्रगान तक की हकीकत जानने के सरकार का फौरी मकसद बताने वालों सही कर रहे हो क्यों कि संघ कार्यालय से ये हकीकत तो मालूम ही नहीं पड़ सकती.
पर डॉ साहब और गुरु जी से कभी नहीं पूछा कि जंग ए आजादी के वक्त कहाँ आराम फरमा रहे थे. अरे कम से कम वीर जी से ही पूछ लेते और कोई नहीं तो अटल जी तो हैं ही इन्हीं से पूछ लो.
उनसे ये भी पूछ लेना कि 1942 में जब लोग अंग्रेज़ों से आज़ादी के लिए भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा ले रहे थे तब संघ के कार्यकर्ता के बतौर वो अटल बिहारी वाजपेयी ने अंग्रेज़ों को लिखकर क्यों दिया था कि वे लोग अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ नहीं लड़ेंगे.
और हां अटल जी से ये भी पूछना कि क्रांतिकारी लीलाधर वाजपेयी के खिलाफ उन्होंने क्यों गवाही दी और उन्हें उम्रकैद की सज़ा दिलवाई.
उनसे इस बात का ज्ञान जरूर लीजिएगा कि आजादी के लिए क़ुरबानी देने वालों की मुखबिरी अंग्रेजों से करने वाले, अंग्रेजों से बार-बार माफ़ी मांगने वाले, तिरंगा फहराने से परहेज करने वाले, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या को 'वध' बताने वाले, गोडसे की पूजा करने वाले भक्त कैसे देश भक्त हो जाते हैं और देश के लिए लड़ने वाले देश द्रोही. और हां जैसा उनकी भक्ति का प्रमाण मिलता है वैसा कुछ मिले तो जरूर लेते आइयेगा. जिसे देश देखकर धन्य हो जाए कि भक्त उस वक्त कैसे अंग्रेजों की भक्ति करते थे.
स्वतंत्रता दिवस पर मदरसे में वीडियो रिकार्डिंग करने वालों अपने प्राइम मिनिस्टर ऑफ वेटिंग जो बीजेपी ओल्ड होम में जीवन काट रहे हैं, उनसे भी पूछ
और हां एक सलाह है कि मदरसों के वीडियो शिशु मंदिरों और ज्ञान मंदिरों में मत दिखाना.
अगर ऐसी कोई भूल हुई तो देश हित में होगी...
जिसके लिए अग्रिम साधुवाद
राजीव यादव. लेखक स्वतंत्र पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, ऑपरेशन अक्षरधाम के लेखक व राज्य प्रायोजित आतंकवाद के विशेषज्ञ हैं.