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10 जून विश्व नेत्रदान दिवस (world eye donation day 2019)

विश्व की शान्ति की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ की इकाई विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कॉर्निया की बीमारियां- Diseases of cornea (कार्निया की क्षति, जो कि आँखों की अगली परत हैं) मोतियाबिंद (Cataract) और ग्लूकोमा (glaucoma) के बाद, होने वाली दृष्टि हानि और अंधापन के प्रमुख कारणों में से एक हैं। प्रत्येक वर्ष विश्व के विभिन्न देशों में नेत्रदान की महत्ता को समझते हुए 10 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय दृष्टिदान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसके जरिए लोगों में नेत्रदान करने की जागरूकता (Awareness of eye donation) फैलाई जाती है। विश्व दृष्टिदान दिवस का उद्देश्य (Aim of world eye donation day) नेत्रदान के महत्व (Importance of eye donation) के बारे में व्यापक पैमाने पर जन जागरूकता पैदा करना है तथा लोगों को मृत्यु के बाद अपनी आँखें दान करने की शपथ लेने के लिए प्रेरित करना है। विकासशील देशों में प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं (Public health problems) में से एक दृष्टिहीनता (Blindness) है।

आँखों का हमारे जीवन में जो महत्व है वह हम भलीभांति जानते हैं। संसार की प्रत्येक वस्तु का परिचय हमारी आँखें ही तो हमें देती हैं और इस रंगबिरंगी दुनिया का आनंद भी हम अपनी आँखों द्वारा ही उठा पाते हैं। बिना आँखों के रंगों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वर्तमान समय में बदलते लाइफ स्टाइल, अनियमित दिनचर्या, प्रदूषण तथा मानसिक तनाव की अधिकता होने से अधिकांश लोग आँखों से जुड़ी समस्याओं का सामना करते हैं कुछ को बचपन से ही आँखों की समस्या होती है तो कुछ को आयु के मध्यकाल में यह समस्या जकड़ लेती है।

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यह दुनियां बहुत खूबसूरत है। हमारे आसपास की हर वस्तु में एक अलग

ही सुंदरता छिपी होती है जिसे देखने के लिए एक अलग नजर की जरूरत होती है। दुनियाँ में हर चीज का नजारा लेने के लिए हमारे पास आंखों का ही सहारा होता है। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि बिन आंखों के यह दुनियां कैसी होगी? चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा मालूम होगा। दुनियाँ की सारी खूबसूरती आंखों के बिना कुछ नहीं है। आंखें ना होने का दुख वही समझ सकता है जिसके पास आंखें नहीं होतीं।

थोड़ी देर के लिए अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर देखें, दुनियां कैसी लगती है। ऐसा करने से अंधेरी दुनिया में अपने पाकर डर लगता है। आंखों के बिना तो सही से चला भी नहीं जा सकता और यही वजह है कि इंसान सबसे ज्यादा रक्षा अपनी आंखों की ही करता है। लेकिन कुछ अभागों की दुनियां में परमात्मा ने ही अंधेरा लिखा होता है जिन्हें आंखें नसीब नहीं होतीं। कई बच्चे इस दुनियां में बिना आंखों के ही आते हैं तो कुछ हादसों में आंखें गंवा बैठते हैं।

दुनियां भर में नेत्रहीनों की संख्या काफी अधिक है जिनमें से कई तो जन्मजात ही नेत्रहीन होते हैं। ब्लड केंसर जैसी बीमारियों के कारण कई अभागे अपनी आंखों के साथ जान भी गंवा देते हैं।

आंखों का महत्व (Importance of eyes) तो हम सब समझते हैं और इसीलिए इसकी सुरक्षा भी हम बड़े पैमाने पर करते हैं लेकिन हममें से बहुत कम होते हैं जो अपने साथ दूसरों के बारे में भी सोचते हैं। आंखें ना सिर्फ हमें रोशनी दे सकती हैं बल्कि हमारे मरने के बाद वह किसी और की जिंदगी से भी अंधेरा हटा सकती हैं। लेकिन जब बात नेत्रदान की होती है तो काफी लोग इस अंधविश्वास में पीछे हट जाते हैं कि कहीं अगले जन्म में वह नेत्रहीन ना पैदा हो जाएं। इस अंधविश्वास की वजह से दुनियाँ के कई नेत्रहीन लोगों को जिंदगी भर अंधेरे में ही रहना पड़ता है। हमारे द्वारा उठाए गए एक कदम से किसी की जिंदगी आबाद हो सकती है।

नेत्रों की मदद से बाहरी दुनिया से हमारा संपर्क संभव है, अतः नेत्रों की उपयोगिता हमारे दैनिक जीवन के लिये सबसे अधिक है। नेत्रों की महत्ता का पता हमें तब चलता है जब हम किसी नेत्रहीन व्यक्ति की क्रियाओं को देखते हैं। मार्ग पर चलना तो दूर, घर पर चलने-फिरनें में भी उन्हें असुविधा होती है। नेत्रहीन व्यक्ति को हर समय किसी न किसी के सहारे की आवश्यकता होती है, उसका दैनिक जीवन भी मुश्किलों से भर जाता है।

कैसे करें आँखों की देखभाल How to care for eyes

आँखों की ठीक प्रकार से देखभाल निम्न प्रकार से की जा सकती है:-

  1. अच्छी दृष्टि के लिए संतुलित आहार का सेवन करें। अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों, अंडे, फलियों एवं गाजर को अधिक से अधिक मात्रा में शामिल करें।
  2. धूम्रपान, मोतियाबिंद, आप्टक एवं तंत्रिका क्षति के साथ-साथ दृष्टि से संबंधित कई तरह की समस्याओं को पैदा कर सकता है।
  3. सूर्य की रोशनी के प्रत्यक्ष प्रभाव को रोकने के लिए यूवी संरक्षित धूप का चश्मा पहनें जो कि आपकी आंखों की सुरक्षा के लिए बेहत्तर है।
  4. यदि आप कार्यस्थल पर खतरनाक पदार्थों से काम करते हैं, तो आपको अपनी आंखों की रक्षा करने के लिए सुरक्षा चश्मा अवश्य पहनना चाहिए।
  5. यदि आप लंबी अवधि तक कंप्यूटर पर काम करते हैं, तो यह सुनिश्चित करें, कि आप अक्सर बीच-बीच में उठेंगे। आँखों का सूखापन कम करने के लिए आँखों को अधिक से अधिक बार झपकें। आंखों को पानी से धोयेंगे।
  6. टेलीविजन देखते या कंप्यूटर पर काम करते हुए एंटी ग्लेयर चश्मा पहनने की सलाह दी जाती है।
  7. मंद प्रकाश में न पढ़े। यह आँखों को होने वाली परेशानियों के प्रमुख कारणों में से एक है।
  8. आँखों के बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अपनी आँखों की नियमित जांच कराएं।
  9. खिड़कियों एवं लाइट द्वारा कंप्यूटर पर पड़ने वाली चकाचौंध से बचने की कोशिश करें। यदि आवश्यक हों, तो एंटी ग्लेयर स्क्रीन का उपयोग करें।
  10. यदि आप कान्टेक्ट लेंस पहनते हैं, तो उन्हें लंबी अवधि तक पहनने से बचें। कान्टेक्ट लेंस पहनते हुए तैराकी एवं सोने से बचें।

ऐसे कई कारण है, जिनकी वजह से लोग अपनी आँखें दान नहीं करते हैं। भारत में नेत्रदान करने वालों की संख्या निम्नलिखित कारणों की वजह से बेहद कम हैं:-

  1. सामान्य जनता के बीच जागरूकता का अभाव।
  2. संस्थानों एवं अस्पतालों में अपर्याप्त सुविधाएं।
  3. प्रशिक्षित कर्मियों के बीच दूसरों को प्रेरित करने की क्षमता का अभाव।
  4. सामाजिक और धार्मिक मिथक

कैसे करते हैं नेत्रदान How to eye Donation 

नेत्रदान की प्रकिया मृत्यु के कुछ घंटों के अंतराल में की जाती है और इससे किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती। एक मृत व्यक्ति के नेत्र को एक नेत्रहीन को दे दी जाती है जिससे उस नेत्रहीन के जीवन में उजाला हो जाता है। आप भी अगर किसी की जिंदगी में उजाला करना चाहते हैं तो अपने निकटतम अस्पताल से संपर्क कर नेत्रदान के लिए पंजीकरण करा सकते हैं। किसी की दुनियां में उजाला फैलाने के लिए एक कदम आगे बढ़ाइए।

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एक आंकड़े के अनुसार भारत में लगभग 1.25 करोड़ लोग दृष्टिहीन हैं, जिसमें करीब 30 लाख व्यक्ति नेत्र प्रत्यारोपण के माध्यम से नवदृष्टि प्राप्त कर सकते हैं। जितने लोग हमारे देश में एक साल में मरते हैं, अगर वे मरने के बाद अपनी आँखें दान कर जाएँ तो देश के सभी नेत्रहीन लोगों को एक ही साल में आँखें मिल जाएंगी। छोटे से छत्तीसगढ़ राज्य में 70,000 से अधिक लोग कार्निया प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में रजिस्टर्ड हैं ।

ऐसा नहीं है कि लोग नेत्रदान के महत्व व आवश्यकता को नहीं समझते हैं, हम में से बहुत से लोग मरणोपरांत नेत्रदान करना चाहते हैं, किन्तु कैसे करें, कहाँ करें, ये जानकारी न होने के अभाव में वे चाहकर भी अपनी आँखें जरूरतमंदों को देने का पुण्य लाभ नहीं कमा पाते हैं।

- प्रदीप कुमार सिंह (लखनऊ)

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