नई दिल्ली, 31 अक्तूबर। स्वतन्त्र भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' (Statue of Unity) का आज यानी 31 अक्टूबर को उनकी जयंती पर उद्घाटन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' (Statue of Unity) का अनावरण किया, लेकिन क्या कांग्रेसी नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल ने RSS पर देशद्रोह का आरोप लगाया था !
सरदार पटेल की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मुझे हैरानी होती है, जब हमारे ही देश के कुछ लोग इस पहल (सरदार पटेल की प्रतिमा स्थापित किया जाना) को राजनीतिक नज़र से देखते हैं, और इस तरह हमारी आलोचना करते हैं, जैसे हमने कोई अपराध किया हो... क्या देश के महापुरुषों को याद करना अपराध है...?"
प्रधानमंत्री के इस प्रश्न, "क्या देश के महापुरुषों को याद करना अपराध है...?" का मंगल पांडे सेना प्रमुख वरिष्ठ पत्रकार व इतिहासकार अमरेश मिश्र ने जवाब देते हुए कहा है कि भारत के प्रथम गृह मन्त्री ने RSS पर देशद्रोह का आरोप लगाया था!
“स्वतन्त्र भारत के लौह पुरुष, सरदार वल्लभ भाई पटेल की 143वी जयंती पर विशेष : भारत के प्रथम गृह मन्त्री ने कैसे RSS पर देशद्रोह का आरोप लगाया था!
आज RSS की मदद से प्रधान मन्त्री बने 'स्वयं सेवक' श्री नरेंद्र मोदी, सरदार पटेल की 143वी जयंती पर भारत के उस निर्माता की विश्व मे बनी सबसे ऊंची
यह अच्छी पहलकदमी है। मंगल पांडे समेत, भारत के सभी सपूतों और वीरांगनाओं की भव्य से भव्य प्रतिमायें बननी-लगनी चाहिये।
पर श्री नरेंद्र मोदी को देश को यह भी बताना चाहिये कि महापुरुषों के विचार क्या थे।
30 जनवरी 1948 के दिन, नाथूराम गोडसे, जो अंग्रेज़ों के इशारे पर RSS और हिन्दू महासभा द्वारा की गयी राष्ट्रवाद की विकृत और गलत परिभाषा को सच मान बैठा था, ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी।
सरदार पटेल ने RSS पर बैन लगाया।
18 जुलाई, 1948 को, RSS और हिन्दू महासभा के नेता, श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखे एक पत्र मे सरदार पटेल ने लिखा:
"इन दो (RSS और हिन्दू महासभा) संगठनो की वजह से, और इसमे RSS की खास भूमिका रही है, इस देश मे ऐसा माहौल बनाया गया, जिसके फलस्वरूप यह जघन्य त्रासदी (महात्मा गांधी की हत्या) सम्भव हुई। मैं बिना संदेह यह कह सकता हूं, कि हिन्दू महासभा महात्मा गांधी की हत्या की साज़िश मे शामिल थी। RSS राष्ट्रद्रोह मे शामिल है। RSS का वजूद, भारत देश की सरकार और राज्य के मूलभूत सिद्धान्तों को चुनौती देता है।"”