रायपुर, 27 मार्च 2020. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आज शाम जारी मुख्यमंत्री के संदेश (Chief Minister's message,) को निराशाजनक बताते हुए कहा है कि उनके संदेश में अनुनय-विनय-बधाई के सिवा कुछ नहीं था और परिस्थितियों की गंभीरता से वे आंखें चुराने की कोशिश कर रहे हैं।
माकपा ने एक सर्व समावेशी आर्थिक पैकेज की घोषणा करने की मांग मुख्यमंत्री से की है।
माकपा राज्य सचिव मंडल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि लॉक डाउन के इन तीन दिनों में ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। महंगाई और कालाबाजारी आसमान छू रही है। ऐसे में यह आशा की जा रही थी कि वे रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं के वितरण को कानून के दायरे में लाकर आम जनता को सहजता से उपलब्ध कराने तथा उनके अधिकतम खुदरा मूल्य तय करने की घोषणा करेंगे। लेकिन कालाबाजारी में लगे व्यापारियों से अनुनय-विनय करना उनकी लाचारगी को ही प्रकट करता है। इसी प्रकार लॉकआउट के चलते सबसे गरीब तबकों को आजीविका का जो नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई के लिए भी उनके पास कोई योजना नहीं है।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते का कहना है कि बीते तीन दिनों में पूरे प्रदेश में आम जनता पर पुलिसिया हमले हुए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने इन शर्मनाक घटनाओं पर भी न केवल चुप्पी साध ली है, बल्कि पुलिस की पीठ थपथपाने का ही काम किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए हमारे प्रदेश की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था सक्षम नहीं है और जैसे-जैसे इसका हमला बढ़ेगा, हमारी सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त नजर आएगी। ऐसे में इस संकट से
माकपा नेता ने मांग की है कि छत्तीसगढ़ सरकार केरल की तर्ज पर एक सर्व समावेशी आर्थिक पैकेज की घोषणा करें, जो ग्रामीण गरीबों, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, छोटे स्वरोजगार के जरिये रोज कमाने-खाने वाले और सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की आजीविका को हो रही क्षति की भरपाई पर केंद्रित हो। इस पैकेज में नाइट शेल्टर में सभी जरूरतमंदों के लिए मुफ्त खाने, सामाजिक कल्याण से जुड़े हर पेंशन धारी को दो माह का अतिरिक्त अग्रिम पेंशन देने, लॉक डाउन के दौरान प्राइवेट संस्थानों के किसी भी मजदूर की मजदूरी कटने पर सरकार द्वारा उसकी भरपाई करने, कोरोना के संदिग्ध लोगों के मुफ्त इलाज और निजी अस्पतालों को भी मुफ्त इलाज के निर्देश, रोज कमाने-खाने वाले लोगों व मनरेगा मजदूरों के लिए अग्रिम रूप से 10000 रुपयों की एकमुश्त सहायता और इस रबी मौसम की फसल को सोसाइटियों के जरिए समर्थन मूल्य पर खरीदने की घोषणा आदि शामिल हो।