शहरी जीवन की व्यस्तता ने मनुष्य को मशीन बना दिया है। अपने परिवार और व्यवसाय में व्यक्ति इस कदर खो जाता है कि उसे स्वयं के लिए भी फुरसत नहीं मिलती। और इसी आपाधापी में व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो जाता है। उसे पता भी नहीं चलता और वह गंभीर रोगों का शिकार हो जाता है। और रोग यदि उच्च रक्तचाप जैसा खतरनाक हो तो स्थिति सचमुच चिंताजनक हो जाती है।
उच्च रक्तचाप शहरी जीवन की सामान्य बीमारियों में से एक हो गई है। आज यदि अपने आस-पास नज़र दौडाएं तो आपको कोई न कोई एक व्यक्ति उच्च रक्तचाप से पीड़ित दिख ही जाएगा।
एक सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय शहरों में रहने वाले हर चार वयस्क में से एक उच्च रक्तचाप का शिकार पाया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस विषय पर चेताया है कि ‘उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण करना दुनिया भर में सरकारी स्वास्थ अधिकारियों के लिए एक बड़ी चुनौती है, मरीजों में भी और आबादी के स्तर पर भी।’
हमारा दिल लगातार रक्त वाहिकाओं के जरिये शरीर के विभिन्न हिस्सों को खून सप्लाई करता है। खून के बहाव का दबाव वाहिका की दीवार पर पड़ता है। इसी दबाव की माप को रक्तचाप कहते हैं। जब यह दबाव एक निश्चित मात्रा से बढ़ जाता है तो इसे हाइपर-टेंशन या उच्च-रक्तचाप कहा जाता है।
किसी भी व्यक्ति में उच्च रक्तचाप को समान्य के बाद तीन भागों में बांट सकते हैं। इसमें प्रारंभिक, मध्यम व अत्यधिक उच्च रक्तचाप को अलग-अलग स्तरों पर रखते
प्रारंभिक और मध्यम स्तर तक बढ़े हुए रक्तचाप के आमतौर पर कोई खास लक्षण व्यक्ति में नज़र नहीं आते। इसी कारण इसे ‘साइलेंट किलर’ की संज्ञा भी दी जाती है।
symptoms of high blood pressure
यदि लक्षणों पर गौर करें तो बार-बार होने वाला सिर दर्द, धुंधला दिखाई देना, नींद न आना, चक्कर आना आदि उच्च रक्तचाप के संकेत हो सकते हैं।
उच्च रक्तचाप के द्वारा स्वास्थ संबंधी गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती है। इसके कारण हृदय और गुर्दा रोग, मस्तिष्क आघात (ब्रेन स्ट्रोक) आंखों को क्षति पहुंचना जैसे गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
A large number of children are becoming victims
जन सामान्य में फैले कुछ मिथकों के कारण स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है।
सबसे पहली गलतफहमी यह है कि उच्च रक्तचाप केवल बड़ी उम्र के व्यक्तियों में ही होता है। लेकिन यह गलत धारणा है।
आंकड़े बताते हैं कि आज-कल युवक और बच्चे भी बड़ी संख्या में उच्च रक्तचाप का शिकार हो रहे हैं।
उच्च रक्तचाप का इलाज दवाइयां ही नहीं
High blood pressure treatment not only medicines
दूसरा मिथक यह है कि केवल दवांइयां खा कर ही उच्च रक्तचाप को ठीक किया जा सकता है सच तो यह है कि सिर्फ दवाइयां ही इसका इलाज नहीं है।
दवाइयां केवल अस्थाई रूप से रक्तचाप कम कर देतीं हैं परन्तु इससे पूर्ण रूप से छुटकारा नहीं दिला पातीं।
उच्च रक्तचाप का इलाज – क्या करें
Treatment of Hypertension - What to do
यदि आप उच्च रक्तचाप से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करना होगा। किसी अच्छे डॉक्टर की उचित सलाह से नियमित रूप से दवाईयां तो लें ही, परन्तु इसके साथ ही व्यायाम करना व रोज 30-45 मिनट पैदल चलना आवश्यक है। रेशेदार फल और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। संतरे जैसे फल, अंकुरित गेहूं, समुद्री भोजन आदि खाएं जिनमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं।
यदि आपका वजन ज्यादा है तो उसे कम करें। मोटे व्यक्तियों में उच्च रक्तचाप का खतरा दो से पांच गुना तक ज्यादा होता है।
उच्च रक्तचाप का इलाज (Treatment of high blood pressure) – क्या न करें
अपने खान-पान का समय व्यवस्थित करें। भोजन में चिकनाई कम करें। प्रतिदिन के भोजन में नमक की मात्रा 6 ग्राम से ज्यादा कतई न हो इसका ध्यान रखें। सिगरेट व शराब को उच्च रक्तचाप के रोगी स्वयं के लिए जहर समान समझें।
(डॉ.अनुज मल्होत्रा, सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली में वरिष्ठ परामर्शदाता व विभागाध्यक्ष, ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट, आर्थोस्कोपी हैं।) (सम्प्रेषण)
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