Hastakshep.com-आपकी नज़र-Demand for modernization of madrasas-demand-for-modernization-of-madrasas-Madrasa education reform-madrasa-education-reform-madrasa in Hindi-madrasa-in-hindi-National Council of Minority Educational Institution-national-council-of-minority-educational-institution-Violence has nothing to do with religion-violence-has-nothing-to-do-with-religion-नेशनल काउंसिल ऑफ माइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन-neshnl-kaaunsil-onph-maainonrittii-ejukeshnl-insttiittyuushn-मदरसा शिक्षा में सुधार-mdrsaa-shikssaa-men-sudhaar-मदरसों के आधुनिकीकरण की मांग-mdrson-ke-aadhunikiikrnn-kii-maang

Violence has nothing to do with religion

असंतोष को लोकतंत्र का सार माना जाता है,जबकि असंतोष व्यक्त करने के लिए हिंसा में लिप्तता का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है। सीएए के खिलाफ भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, इसके अलावा कई लोगों की जान चली गई। राष्ट्रीय एवं निजी संपति को नुकसान पहुंचाना, भीड़ को जुटाने में शामिल लोगों के असंवेदनशीलता और सीएए के बारे में बहुत अज्ञानता को दर्शाता है। वे निहित स्वार्थों को बढ़ावा देने के लिए गलत धारणा फैला रहे हैं। मनुष्य केवल हिंसा का सहारा तब लेता है जब वो अपने दिमाग और चेतना को अच्छी चीजों पर केंद्रित करने में विफल रहता है।

केवल पुराण ही नहीं बल्कि कुरान में भी स्पष्ट उल्लेख है कि बिना किसी कारण या अपनी गलती के बिना दूसरों के लिए असुविधा का कारण बनना हिंसा का सबसे उग्र रूप है और जो इस तरह की बातें करता है, वह अल्लाह के सामने फैसले के दिन जवाबदेह होगा। इसलिए एक सच्चे मुसलमान को किसी भी परिस्थिति में किसी भी प्रकार की क्षति का कारण नहीं बनना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में दूसरों की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए चाहे वह अपने शब्दों या कार्यों के साथ हो।

अब यह समय है की इमामों, मौलानाओं और मुस्लिम विद्वानों के लिए कि वे आगे आएं और मुस्लिम समुदाय के लोगों और विशेष रूप से कुछ विभाजनकारी शक्तियों द्वारा सीएए में निहित वास्तविकता और तथ्यों के बारे में बताये और गलत व्याख्या से गुमराह होने से रोकें।

मदरसों में शैक्षणिक सुधार की जरूरत है | Madrasas need educational reform

हिंदुस्तान में मदरसों को राष्ट्रीय मुख्य धारा से जोड़ने और इसके आधुनिकीकरण की आवयश्कता है। हिन्दुस्तानी मुसलमान शिक्षा तक पहुँच के मामले में पीछे हैं और इनके शैक्षिक पिछड़ेपन पर काबू पाने के लिए प्राथमिक शिक्षा को

मजबूत करना होगा। अगर कोई बच्चा मदरसा जा रहा है तो ये समझान चाहिए कि उसे स्कूल जाने का मौका नहीं मिला है।

प्राथमिक शिक्षा के ठोस आधार के बिना, उच्च शिक्षा और उसके परिणामस्वरूप जॉब मार्किट में प्रतिनिधित्व की उम्मीद नहीं की जा सकतीं है।

मदरसों में आज जो पढ़ाते हैं, वह पूरी तरह असम्बद्ध और समय के साथ साम्य पाठयक्रम प्राचीन है और समकालीन स्थिति में जिसे नहीं रखता है इसकी शिक्षा पाठ्यक्रम में सम्मलित नहीं है। वास्तव में पाठयक्रम में केवल धर्म की जानकारी ही दी जाती है और ऐसा लगता है जैसे एक मुसलमान के लिए अपने धर्म से अलग कुछ भी शोध करने की अनुमति नहीं है। इसलामी सिद्धांतों के साथ इस जुनून का मतलब है कि मदरसों में शिक्षा प्राप्त करने वाले मुस्लिम बच्चों को अपने देश समाज और राजनीनि के बारे में लगभग कोई जानकारी नहीं होती है और न ही उस शानदार रफ्तार से जिससे दुनिया विकास कर रहीं है उसका ज्ञान होता है।

मदरसों में पहले विज्ञान और अर्थशास्त्र पढ़ाया जाता था अब उन्हीं मदरसों में केवल धार्मिक शिक्षा ही दी जाती है। आज मदरसे मुसलमानों को शिक्षित करने के स्थान पर बेरोज़गारी दे रहे हैं, धर्म की सेवा करने के बजाय आज धर्म को नुकसान पहुँचा रहे हैं।

Hina Hassan wife of Shahamawaz hasan Ranchi हिना हसन, लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।

जब कभी मदरसों के आधुनिकीकरण की मांग (Demand for modernization of madrasas) उठती है तो मुस्लिम धार्मिक नेता इसके खिलाफ हाय तौबा मचाना शुरू कर देते हैं, उन्हें इस्लाग खतरे नज़र आने लगता है। वे मदरसों में शिक्षा में सुधार को रोकने के लिये हर तरह का षड्यंत्र रचते हैं। उनकी कोशिश होती है कि सुधार की किसी भी कोशिश को किस तरह रोका जाए।

मदरसों को मुस्लिम पहचान का विषय बनाना मुस्लिम वर्ग को सिर्फ शैक्षिक नुकसान पहुँचा सकता है। इसी भावना के तहत मुसलमानों के एक वर्ग ने खुद ही मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव की मॉग शुरू कर दी है ताकि उसे समकालीन आवयश्कता के अनुसार बनाया जा सके। अब मुसलमानों के बीच शिक्षा को लेकर प्यास पैदा हुई है और मुसलमान माता-पिता भी अपने ब्रच्चो को आधुनिक शिक्षा के उपर जोर दे रहे हैं। नेशनल काउंसिल ऑफ माइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन (NCMEL.) ने भी एक रिपोर्ट में दलील देते हुए कहा है कि देश में मदरसा शिक्षा में सुधार (Madrasa education reform) की फौरन आवशयकता है।

हिना हसन

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