सरकार के मातहत अंग की तरह कार्य कर रहा है चुनाव आयोग
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अंतागढ़ जांच प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा है कि इस प्रकरण से कांग्रेस-भाजपा दोनों बुर्जुआ पार्टियों का यह दावा तार-तार हो गया है कि वे जनतंत्र में यकीन करती हैं. वास्तव में उन्हें जनतंत्र से ज्यादा धनतंत्र पर ही यकीन है और पूरे प्रदेश में चुनाव प्रक्रिया दोनों पार्टियों के बीच महज नूरा-कुश्ती बनकर रह गई है.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार तथा अन्य निर्दलीयों द्वारा नाम वापसी के साथ ही लेन-देन के आरोप लगे थे, लेकिन चुनाव आयोग ने इसकी जांच करवाना उचित नहीं समझा. टेप धमाका सामने आने के बाद इन आरोपों की विश्वसनीयता को ही बल मिला है. पार्टी ने कहा है कि रमन-जोगी का पूरा इतिहास जहां राजनैतिक खरीद-फरोख्त का रहा है, वहीँ कांग्रेस उम्मीदवार पवार का इतिहास भी हमेशा बिकने के लिए तैयार नेता का रहा है. पार्टी ने कहा है कि इस प्रकरण से साफ़ है कि किस तरह पूरे प्रदेश में जनतंत्र का मखौल उड़ाने में दोनों पार्टियों की मिलीभगत है.
पराते ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग राज्य सरकार के मातहत अंग की तरह कार्य कर रहा है. इससे चुनाव आयोग की साख को ही धक्का लगा है. उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव के जांच के निष्कर्ष सबको पहले से मालूम है.
माकपा ने पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच की मांग की है तथा चुनाव आयोग से मांग की है कि पैसों के बल पर जनतांत्रिक प्रक्रिया के हनन के अपराध में मंतूराम पवार व भोजलाल नाग दोनों पर चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाएं.