अखिलेंद्र ने योगी को लिखा पत्र, आदिवासियों के साथ हो न्याय, जनजाति की पहचान दो
अखिलेंद्र ने योगी को लिखा पत्र, आदिवासियों के साथ हो न्याय, जनजाति की पहचान दो
लखनऊ, 22 जुलाई 2019. स्वराज अभियान के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह (National Working Committee member of Swaraj Abhiyan, Akhilendra Pratap Singh) ने कोल समेत प्रदेश के आदिवासियों को जनजाति की पहचान (Tribal Identity of Tribals of the State) देने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
मुख्यमंत्री को लिखे गए अखिलेन्द्र प्रताप सिंह के पत्र का मजमून निम्न है -
प्रति,
मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश
लखनऊ।
विषय:- कोल समेत प्रदेश के आदिवासियों को जनजाति की पहचान देने के संदर्भ में:-
महोदय,
सोनभद्र के उभा गांव में हुई दर्दनाक घटना के बाद हमने आपको दिनांक 19 जुलाई को पत्रक भेजा था। पत्रक में प्रमुख बात थी कि प्रदेश सरकार जमीन के सवाल को हल करे। हमने आपसे आग्रह किया था कि प्रदेश में इसके लिए भूमि आयोग का गठन किया जाए, भूमि सुधार किया जाए और वनाधिकार कानून को लागू किया जाए।
इस पत्र के अनुक्रम में एक बात और कहना चाहता हूं कि प्रदेश में आदिवासियों की सिर्फ जमीन ही नहीं हड़पी गयी है, उन्हें जनजाति की पहचान तक से वंचित कर दिया गया है। बड़ी संख्या में आदिवासी कोल प्रदेश के कुछ जिलों में रहते है लेकिन उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिला है। जबकि कोल को जनजाति का दर्जा मिले इसके लिए प्रदेश सरकार की 2013 में की गयी संस्तुतियों के साथ कई बार पत्रक हमने भारत सरकार और उ0 प्र0 शासन को दिए परन्तु इन्हें जनजाति का दर्जा नहीं दिया गया। इसी प्रकार चंदौली जनपद में रहने वाली गोंड़, खरवार, चेरों को जनजाति का दर्जा नहीं मिला है। उन्हें दरअसल जनजाति का दर्जा इसलिए नहीं मिला क्योंकि वाराणसी जनपद से अलग हुए चंदौली जनपद में रहने वाली इन जनजातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने के लिए प्रदेश सरकार को केन्द्र सरकार के पास जो संस्तुति भेजनी थी, उसे हमारे दिए तमाम प्रत्यावेदनों के बावजूद प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार को नहीं भेजा। ज्ञातव्य है कि चंदौली जनपद की नौगढ़ तहसील में इन आदिवासी जातियों की अच्छी खासी संख्या है। सरकार द्वारा जनजाति का दर्जा न देने के कारण प्रदेश की आदिवासी जातियां वनाधिकार कानून के लाभ समेत तमाम संवैधानिक अधिकारों से वंचित हो रही है।
सोनभद्र जनपद में ही मूलतः रहने वाले आदिवासी धांगर के साथ तो इतना बड़ा अन्याय किया गया कि उसे आदिवासी का दर्जा देने की कौन कहे पूर्व में मिल रहे अनुसूचित जाति के दर्जे से भी संविधान के अनुच्छेद 341 के प्रावधान के विरूद्ध जाकर प्रदेश सरकार ने वंचित कर दिया और उनके जाति प्रमाणपत्र को जारी करने तक पर रोक लगा दी। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश और इस पर भी कई बार पत्रक देने के बावजूद सोनभद्र जिला प्रशासन धांगर जाति को जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहा है।
इसलिए हम चाहेंगे कि प्रदेश सरकार कोल को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल कराने, चंदौली जनपद के गोंड़, खरवार व चेरों को जनजाति का दर्जा दिलाने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजे और केन्द्र में भी भाजपा की ही सरकार है इसलिए इन सवालों को हल कराकर आदिवासियों को जनजाति की पहचान प्रदान करे। धांगर जाति के अनुसूचित जाति के दर्जे को तत्काल बहाल करे।
अंत में हम उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करते है कि आदिवासियों के साथ न्याय किया जाए, उन्हें जनजाति की पहचान दी जाए और सम्मान के साथ जीने के उनके अधिकार को सुनिश्चित किया जाए।
सधन्यवाद!
(अखिलेन्द्र प्रताप सिंह)
राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य
स्वराज अभियान।
22 जुलाई 2019


