अगर बेनी मानते हैं कि खालिद की हत्या हुयी तो सीबीआई जाँच के लिये दबाव डालें - रिहाई मंच
अगर बेनी मानते हैं कि खालिद की हत्या हुयी तो सीबीआई जाँच के लिये दबाव डालें - रिहाई मंच
आतंकी घटनाओं और आईबी की भूमिका पर केन्द्र सरकार जारी करे श्वेत पत्र- रिहाई मंच
42 वें दिन भी जारी रहा रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना
आज क्रमिक उपवास पर रिहाई मंच के नेता शाहनवाज आलम बैठे
रिहाई मंच ने उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र बुलाये जाने के सम्बन्ध में राज्यपाल को ज्ञापन भेजा है
लखनऊ, 2 जुलाई। उत्तर प्रदेश सरकार से खुंस निकालने के चक्कर में सच बोलने पर केन्द्रीय मन्त्री बेनी प्रसाद वर्मा फँस गये हैं। रिहाई मंच ने कहा है कि अगर बेनी मानते हैं कि खालिद की हत्या जहर देकर हुयी तो सीबीआई जाँच के लिये दबाव डालें। उधर रिहाई मंच ने उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र बुलाये जाने के सम्बन्ध में राज्यपाल को ज्ञापन भेजा है।
मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी, निमेष आयोग की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने की माँग के साथ चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना आज 42 वें दिन भी जारी रहा। आज उपवास पर रिहाई मंच के नेता शाहनवाज आलम बैठे।
धरने के समर्थन में आये पूर्व विधायक रामलाल ने कहा कि मुसलमानों के वोट से सत्ता में पहुँची समाजवादी पार्टी के लिये यह शर्म की बात है कि खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने की माँग को लेकर लोग 42 दिन से अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे हैं। जिन पुलिस अधिकारियों ने खालिद की हत्या की उन पुलिस वालों को बचाकर सपा ने साफ कर दिया है कि अब उसके एजेण्डे में सामाजिक न्याय का सवाल नहीं है। इसीलिये सपा के मुखिया मुलायम को बाबरी मस्जिद के गुनहगार आडवाणी जी अच्छे लगने लगे हैं और उनके मन्त्री रियाज अहमद मुसलमानों को गाली देने वाले वरुण गांधी पर से मुकदमा हटवाने लगे हैं।
इस दौरान सीपीआई एमएल के सेंन्ट्रल कमेटी मेंबर मो सलीम ने कहा कि सपा के कुछ मुस्लिम मन्त्री और नेता यह कह कर मुसलमानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं कि सरकार आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों को तो छोड़ना चाहती है लेकिन अदालतें उन्हें नहीं छोड़ना चाहती। जो बिल्कुल गलत है क्योंकि अधिकतर मामलों में अभी भी सरकार की तरफ से मुकदमा वापसी की अर्जी ही नहीं दी गयी है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस मसले पर सचमुच ईमानदार होती तो वो अब तक आतंकवाद के सभी मामलों में पुनर्विवेचना के आदेश दे चुकी होती। मामलों के पुनर्विवेचना से तो किसी अदालत ने सरकार को नहीं रोका है। लेकिन सरकार की नीयत ही ठीक नहीं है। मो0 सलीम ने कहा कि आतंकवाद के मामलों में पुलिस के मुस्लिम विरोधी मानसिकता की वजह इजरायल और अमरीका में पुलिस और सुरक्षा एजेन्सियों की ट्रेनिंग है जो लगातार जारी है। यह पुलिस अधिकारी इजराइल के आतंकी ट्रेनिंग कैम्पों से सीखकर आते हैं किस तरह से देश में आतंकी वारदातें करके बेगुनाह मुस्लिम युवकों को फँसाकर पूरे विश्व में मुस्लिमों की छवि बिगाड़नी है।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब और इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहमम्द सुलेमान ने कहा कि अगर कांग्रेस के नेता बेनी प्रसाद वर्मा यह मानते हैं कि खालिद की मौत जहर देकर हुयी है, तो उन्हें केन्द्र सरकार की गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली सीबीआई पर क्यों नहीं दबाव बनाते कि वो इस मामले कि जल्द-जल्द से जल्द शुरु करे। केन्द्र की सरकार सपा के समर्थन से चल रही है ऐसे में बेनी प्रसाद को यह बताना चाहिये कि उनकी पार्टी ने सपा जैसे राजनीतिक दल से किस आधार पर गठजोड़ किया है जिसने खालिद मुजाहिद को जहर देकर मार डाला। नेताओं ने कहा कि हमने खालिद की मौत के बाद 22 मई से जो अनिश्चितकालीन धरना चला रहे हैं वो इन कातिल हुक्मरानों को हद में रहने के लिये चेतावनी है कि अब किसी इशरत जहाँ, साजिद-आतिफ को फर्जी मुठभेड़ में नहीं मारने देंगे, अब किसी कतील सिद्दीकी की जेल में हत्या नहीं होगी और अब किसी शाहिद आजमी अधिवक्ता के चेम्बर में घुस कर हिन्दुत्ववादी गोली नहीं मारेंगे।
रिहाई मंच के प्रवक्तओं शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि जिस तरह इशरत जहाँ की हत्या की जाँच कर रही सीबीआई को धमकियाँ मिल रही हैं कि वह आईबी अधिकारियों को जाँच के दायरे में न लाये उससे साबित हो जाता है कि आईबी अपने को बचाने के लिये कुछ भी कर सकती है। प्रवक्ताओं ने कहा कि इसी तरह की धमकी मालेगांव मामले में हिन्दुत्ववादियों का हाथ उजागर करने वाले मुंबई एटीएस के चीफ हेमन्त करकरे को भी भगवा संगठनों और सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े हिन्दुत्वादी तत्वों द्वारा भी दी गयी थी। जिसके बाद मुंबई में 26/11 की बड़ी आतंकी घटना के दौरान सन्देहास्पद स्थितियों में उनकी हत्या हो गयी थी। ऐसे में इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि आईबी इस देश में कोई बड़ी आतंकी घटना करवाकर अपने ऊपर उठ रहे सवालों की दिशा मोड़ दे और राजेन्द्र कुमार जैसे इशरत जहाँ के हत्यारे को बचाने के लिये सीबीआई के ईमानदार अफसरों पर हमले करवा दे। उन्होंने कहा कि इशरत जहाँ और सादिक जमाल मेहतर की हत्या और दूसरी आतंकी घटनाओं में जिस तरह आईबी की भूमिका का खुलासा हो रहा है उसमें जरुरी हो जाता है कि केन्द्र सरकार आतंकी घटनाओं और आईबी की भूमिका पर आगामी मानसून सत्र में श्वेत पत्र लाये।
हाजी फहीम सिद्किी, जैद अहमद फारुकी, रिजवान अहमद, एहशानुल हक मलिक और सैयद मोइद अहमद, ने कहा कि जिस तरह अखिलेश यादव ने रिहाई मंच के आन्दोलन के दबाव में आकर आरडी निमेष रिपोर्ट स्वीकारते हुये यह घोषणा की थी कि उनकी सरकार आगामी मानसून सत्र में आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी करेंगे, पर अब तक मानसून सत्र की घोषणा न करके सरकार ने साफ कर दिया है कि वो इस सवाल को हल नहीं करना चाहती। निमेष कमीशन पर एक्शन लेकर सरकार जेल में बन्द तारिक कासमी के लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन कर रही है। सरकार ने पहले ही रिपोर्ट को दाबकर दोषी पुलिस अधिकारियों को खालिद की हत्या करने का मौका मुहैया करवाया और आज फिर निमेष कमीशन पर एक्शन न लेकर तारिक कासमी के जीवन को भी खतरे में डाल दिया है। ऐसे में हमने आज महामहिम राज्यपाल महोदय से माँग की की वो सरकार को मानसून सत्र बुलाने के लिये निर्देषित करे। पिछले 16 दिनों से दिवियापुर औरैया में भूमाफियाओं से कब्रिस्तान और मरघट पर से अवैध कब्जे हटवाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठै हाजी मसीद कादरी ने कहा कि आज जब 16 दिनों से हमारी बात पर सपा सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया तो हमने महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन देकर यह माँग की की वो निर्देषित करें कि हमारी मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाये।
रिहाई मंच के धरने का संचालन रिहाई मंच के नेता राजीव यादव ने किया। धरने में पूर्व सांसद इलियास आजमी, सोशलिस्ट फ्रंट के मो0 आफाक, अली अहमद कासमी, सीपीआईएम के सुधीर सिंह, हाजी फहीम सिद्किी, जैद अहमद फारुकी, रिजवान अहमद, पिछड़ा महासभा के एहसाानुल हक मलिक और भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोइद अहमद, शिवनारायण कुशवाहा, भवननाथ पासवान, फैज, डा0 हारिज सिद्किी, शुऐब, फैज, मकसूदुल हक, कमर और शाहनवाज आलम शामिल रहे।


