अगला चुनाव गर्मी में हो सकना होगा नामुमकिन, जानिए क्यों ?
It will be impossible to hold the next elections in summer, know why? 2023 से लगभग दोगुना ज़्यादा गर्म हो सकता है 2024

It will be impossible to hold the next elections in summer, know why?
मार्च -अप्रैल मेंही अभूतपूर्व ताप लहर से जूझ रहा है भारत
इस साल मार्च-अप्रैल में गर्मी के मौसम की शुरुआत से ही भारत अभूतपूर्व ताप लहर से जूझ रहा है। ऐसे मौहोल में भारत में शुरू लोकसभा चुनाव, पहले चरण में 19 अप्रैल को और दूसरे चरण में 26 अप्रैल को चुनाव हो चुके हैं और ही 07 मई को तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव गर्मी से जूझ रहे त्रस्त वोटरों के साथ संपन्न हो गया। बाक़ी बचे 13 मई को आज मतदान हो रहा है और, 20 मई और 25 मई और 01 जून को पाँच चरणों के चुनाव भी जैसे तैसे गर्मी से त्रस्त वोटरों और पोलिंग एजेंट, पोलिंग ऑफिसर आदि के बहते पसीने के साथ किसी तरह हो जाएँगे। लेकिन शायद गर्मी जिस तर्ज़ से बढ़ रही है उससे साफ़ ज़ाहिर है कि अगले पाँच साल बाद 2029 का चुनाव गर्मी में करा पाना असंभव है।
ऐसा करवा सकने के लिए जानलेवा गर्मी से बचाव के लिए सेंट्रल एयर कंडीशनर पोलिंग बूथ और पोलिंग स्टेशन (Central Air Conditioner Polling Booth and Polling Station) के अलावा मतदाताओं के वोट डालने के लिए भी एयर कंडीशन वहाँ चाहिए होंगे। क्योंकि पूरा एशियाई क्षेत्र गर्मी से जूझ रहा है। जो संयुक्त राष्ट्र की नवीनतम मौसम एजेंसी की चेतावनी - जलवायु परिवर्तन पूरे एशिया में बड़े प्रभाव पैदा कर रहा है, से मेल खाता है। पूर्वी मैदानी राज्यों एवं गंगा के मैदानी इलाक़ों में गर्मी अपने चरम पर है।
देश के कुछ हिस्सों में पारा 42-45 डिग्री के बीच बना हुआ है यहाँ तक कि यह 47 डिग्री तक भी पहुंच रहा है। अप्रैल में 15 दिनों तक लू चलने का सबसे लम्बा दौर भी देखा गया है। केरल रिकॉर्ड तोड़ लू की चपेट में है और मतदान के लिए कतार में प्रतीक्षा करते समय गर्मी के कारण 10 लोगों की मौत की सूचना मिली है। केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) के अनुसार इस साल 22 अप्रैल तक सनबर्न, चकत्ते और हीट स्ट्रोक जैसी गर्मी से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लगभग 413 मामले सामने आए हैं। ओडिशा में भी एक मौत दर्ज की गई है और 16 जिलों में गर्मी से जुड़ी बीमारियों के चलते लगभग 124 लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं।
पूरे भारत में अधिकतम तापमान देश के बड़े हिस्से को एक बड़े लाल रंग में दिखाया गया है। यह देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य दिन के तापमान से अधिक होने का संकेत देता है।
2023 से लगभग दोगुना ज़्यादा गर्म हो सकता है 2024
जलवायु परिवर्तन पर काम करने वाले एक अमेरिकी संगठन क्लाइमेट सेंट्रल के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण दिन के तापमान में कम से कम दोगुनी वृद्धि होने की संभावना है। चुनावी इतिहास में पहली बार केंद्रीय चुनाव आयोग ने इस स्थिति से निपटने के लिए एक ‘टास्क फोर्स’ का गठन किया है। वहीं जलवायु परिवर्तन का असरात की वजह से लगातार पिछले पाँच साल से बढ़ रही हीटवेव की बढ़ती तीव्रता से यह साफ़ ज़ाहिर है कि हर साल पिछले से और ज़्यादा गर्म होता जा रहा। 2024 के 2023 से लगभग दोगुना ज़्यादा गर्म होने का अंदाज़ा लगे जा रहा है। 2023, सन 2022 से ज़्यादा गर्म था।वहीं 2022, सन 2021 से ज़्यादा गर्म रहा। जलवायु परिवर्तन पर चल रहे तमाम बहस मुबाहसे के बावजूद और इसके लगातार सुर्ख़ियों में रहने और इस पर लगाम कसने के सब विमर्शों का नतीजा अब तक तो ढाँक के तीन पात ही निकला है।
ग्लोबल वार्मिंग के चलते धरती की तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री की लक्ष्मण रेखा पार कर चुकी है। वैज्ञानिकों के समूह अर्थ कमीशन ने एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि धरती के अस्तित्व के लिए जरूरी आठ में से सात सीमाओं का उल्लंघन हो चुका है और विश्व की 80% से अधिक आबादी पर इसका प्रभाव होगा। इन सीमाओं को लांघने वाले अग्रणी देशों में भारत भी है। 2023 पहले ही 2016 के सबसे अधिक गर्म होने के रिकॉर्ड को तोड़ चुका है। अगर गर्मी और ग्लोबल वार्मिंग का तर्ज़ ऐसा ही बना रहा तो साफ़ ज़ाहिर है कि अगले पाँच सालों के बाद 2029 में पड़ने वाली जानलेवा गर्मी और तपिश ऐसी असामान्य स्थिति में होंगे जो उस मौसम में चुनाव कराने की इजाज़त हरगिज़ नहीं देगा। अइस ईमें अभी से इस बात पर गौर करने का वक़्त आ गया है कि आम चुनावों का समय बदलकर इसे बेहतर जलवायु परिस्थितियों के दौरान कराया जाना चाहिए।
डॉ. सीमा जावेद
पर्यावरणविद & साइंस, जलवायु परिवर्तन & साफ़ ऊर्जा की कम्युनिकेशन एक्सपर्ट


