अच्छे दिन आए- किताबों पर ऑटो सेंसर
अच्छे दिन आए- किताबों पर ऑटो सेंसर
वीरेंद्र यादव
हिन्दुत्ववादी तत्वों की किताबों पर निगहबानी तेज हो गई है। इस बार उनके निशाने पर शेखर बन्द्योपाध्याय की बहुचर्चित पुस्तक 'From Plassey to Partition' है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की 'शिक्षा बचाओ आन्दोलन समिति' के संयोजक दीनानाथ बत्रा का आरोप है कि इस पुस्तक में आर एस एस की नकारात्मक छवि पेश की गयी है।
यह बत्रा वहीं है जिन्होंने कुछ महीने पूर्व पेंगुइन द्वारा 'हिन्दुइज्म' पर प्रकाशित पुस्तक की लुगदी बनवाने में सफलता प्राप्त की थी। दस वर्ष पूर्व ओरियंट ब्लैक स्वान द्वारा प्रकाशित शेखर बद्योपाध्याय की पुस्तक आधुनिक भारतीय इतिहास की श्रेष्ठतम पुस्तकों में मानी जाती है। प्रकाशक ने निर्णय लिया है कि बदली हुयी राजनीतिक परिस्थितियों के चलते अब वह स्वयं द्वारा पूर्वप्रकाशित सारी पुस्तकों का पुनरीक्षण करेगा ताकि प्रकाशन गृह के मालिक, कर्मचारियों और लेखकों की जान माल को कोई खतरा न पैदा हो। फिलहाल प्रकाशक ने पहली कार्यवाही के रूप में डॉ.मेघा कुमार की विगत अप्रैल में प्रकाशित पुस्तक 'Communalism and Sexual violence: Ahmedabad Since 1969’ को वापस लेने का फैसला लिया है। हिन्दुत्ववादी शक्तियों के दबाव में प्रकाशक का यह ऑटो सेंसर भारत के बौद्धिक समाज और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए आने वाले 'अच्छे दिनों' की आहट है। उम्मीद की जानी चाहिए कि हम इन पदचापों को सुन कर चुप न रहेंगे।


