मुल्क के हाल बेहाल : मोदी शासन के तीन साल

आलोक वाजपेयी

मोदी शासन के तीन साल आरएसएस भाजपा के लिहाज से और इसीलिए देश के लिहाज से सफल हैं।

मोदी जी के शासन काल मे सभी आर्थिक मुद्दे गौड़ हो गए। बेरोजगारी, गरीबी, मंहगाई अब देश मे बहस का मुद्दा ही नही रहा।

विदेश नीति पर भी यह सरकार बहुत ही सफल है। यह पहली बार है कि विदेश नीति का सुंदर उपयोग देश की आंतरिक नीतियों के लिए किया जा रहा है। पाकिस्तान, चीन, नेपाल कुछ भी करें वो मोदी जी की सरकार को मजबूत ही बनाता है।

लोकतंत्र के चौथे खंभे का अभी तक सरकारों की बुराई करने के लिए ही प्रयोग होता था। मोदीं जी के शासन में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, अखबार,और अन्य हिस्से पहली बार देश हित मे सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।

दलित चेतना में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है और दलित अपने को सवर्ण ब्राह्मणवादी चेतना से युक्त कर रहे हैं।

महिला मुद्दे भी पहली बार ही विशुद्ध भारतीय परंपरा से डील किये जा रहे हैं जिससे महिलाओं में उश्रृंखलता पर भारी कमी आयी है और वो अपनी स्त्रियोचित भूमिका में खुश हैं। महिलाएं यह समझ गयी हैं कि उनकी सुरक्षा आदि के लिए उन्हें घर की देवी टाइप रोल ही सूट करता है।

अगर बिहार छोड़ दें तो ज्यादातर चुनाव भाजपा के माफिक ही रहे हैं। दिल्ली की सत्ता जिस सोची समझी नीति के तहत आप पार्टी को दे दी गयी थी उसका बहुत अच्छा परिणाम सामने आया है। हर हफ्ते भाजपा सरकार और आप की भिड़ंत दिखाई जाती है जिससे मनोरंजन भी होता है और अनावश्यक मुद्दे चर्चा में ही नही आते। उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में इतने साल बाद सरकार बनी है और भारत की महान योगी परम्परा को आगे बढ़ाया गया है।

विपक्षी दलों को लगभग असर हीन कर दिया गया है। कांग्रेस समाप्ति का मिशन भी शनैः शनैः आगे बढ़ रहा है।

यह मोदी सरकार की उत्कृष्ट रणनीति ही है कि एक पल के लिए भी मुस्लिम चर्चा से लोगों का ध्यान नही हटा है और मोदी सरकार मुस्लिम सुधार के लिए दृढ़ संकल्प है।

जो लोग मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाने के नाम पर उसकी आलोचना कर रहे हैं वे पक्षपाती और दुर्भावना ग्रस्त हैं। हम नही भूलना चाहिए कि भारत के इतिहास में पहली बार हिन्दू ह्रदय सम्राट गद्दी पर बैठा है जिसे अनगिनत ऐतिहासिक कार्य करने हैं जिनमे बहुत वक्त लगेगा। एक ही टर्म में वे सभी कार्य नही हो सकते। कम से कम तीन टर्म हमेx मोदी जी को देने होंगे तभी सम्पूर्ण विश्व मे भारत की विजय पताका फहरा सकेगी और भारत विश्व गुरु की अपनी खोई उपाधि धारण कर सकेगा।