एंटी ब्लैकमनी डे से पहले सरकार, कॉरपोरेट्स को बड़ा झटका

नई दिल्ली। पनामा पेपर्स के बाद काले धन को लेकर अब पैराडाइज पेपर्स में एक और बड़ा खुलासा सामने आया है।

'पैराडाइज पेपर्स' में 1.34 करोड़ दस्तावेज शामिल हैं, जिनमें दुनिया के कई अमीर और शक्तिशाली लोगों के गुप्त निवेश की जानकारी दी गई है।

इन नामचीन हस्तियों में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई मंत्रियों, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रू़डो के मुख्य फंडरेजर सहित कई भारतीयों के नाम शामिल हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन लोगों ने विदेशी फर्मों और फर्जी कंपनियों की मदद से अपने धन को ठिकाने लगाया।

पैराडाइज पेपर्स में उन विदेशी फर्मों और फर्जी कंपनियों के बारे में बताया गया है, जो इन हस्तियों के पैसे विदेशों में भेजने में उनकी मदद करते हैं।

एक जर्मन अखबार जीटॉयचे साइटुंग ने टैक्स हेवेन के नाम से जाने जाने वाले 19 देशों से ये दस्तावेज हासिल किए और दुनिया भर के 90 मीडिया संस्थानों के साथ मिलकर खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम (ICIJ) ने इनकी जांच की।

714 भारतीयों के भी नाम हैं पैराडाइज पेपर्स में

इस कंसोर्टियम में शामिल अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पैराडाइज पेपर्स में 180 देशों के लोगों की जानकारियां मिली हैं, इसमें 714 भारतीयों के भी नाम हैं।

अखबार के मुताबिक, यह बस शुरुआती खुलासा है और अभी ऐसे 40 से ज्यादा बड़े खुलासे और किए जाएंगे।

पैराडाइज पेपर्स ने 18 महीने पहले आए पनामा पेपर्स की याद एक बार फिर ताजा कर दी है, जिसने दुनिया भर में खूब हलचल मचाई थी। पनामा पेपर्स में नाम आने के कारण पाकिस्तान में नवाज शरीफ सहित कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को अपने पद से हाथ धोना पड़ा था परन्तु भारत में जिन लोगों के नाम इन पेपर्स में आए उनकाकुछ नहीं बिगड़ा।

#ParadisePapers में बताया गया है कि रूसी-स्वामित्व वाली कंपनियों ने फेसबुक और ट्विटर में बड़ा निवेश किया हैं।

#ParadisePapers के मुताबिक कैनेडियन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्राइड्यू के मुख्य फंडरेज़र के ऑफशोर टैक्स मैन्युवर्स से लिंक थे।

जयंत सिन्हा पर उठी उंगली

2014 में झारखंड के हजारीबाग से लोकसभा सांसद चुने जाने और केंद्र में एक राज्य मंत्री बनने से पहले, जयंत सिन्हा ओमियदीयर नेटवर्क Omidyar Network के भारत में प्रबंध निदेशक थे।

ओमिडीर नेटवर्क ने यूएस कंपनी डी लाइट डिज़ाइन D.Light Design में निवेश किया है जो केमैन द्वीप में कैरेबियन सागर में एक सहायक कंपनी है।

अपतटीय कानूनी फर्म एप्पलबी के रिकॉर्ड दिखाते हैं कि सिन्हा ने जब 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा था तब उन्होंने चुनाव आयोग को अपनी घोषणा में इस बात का जिक्र नहीं किया कि वे डी लाइट डिज़ाइन के निदेशक के रूप में कार्य कर चुके हैं। जब 2016 में राज्य मंत्री के रूप में भी उन्होंने न ही लोकसभा सचिवालय या प्रधान मंत्री कार्यालय को इसकी जानकारी दी।

सिन्हा ने सितंबर 2009 में ओमिडियार नेटवर्क ज्वाइन किया और दिसंबर 2013 में इस्तीफा दे दिया।