कार्यकर्त्ता और पूर्व आई आई टी प्रोफेसर आलोक सागर को जेल में डालने की धमकी
नई दिल्ली। मोदी राज में आए अच्छे दिनों में सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनता के अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद करने वालों पर जुल्म बढ़ता ही जा रहा है। अंवैधानिक अघोषित आपातकाल की परिस्थियां बनती जा रहीहैं। ताजा मामला कार्यकर्त्ता और पूर्व आई आई टी प्रोफेसर अलोक सागर को जेल में डालने की धमकी का सामने आया है।
पूर्व आईआईटी प्रोफेसर आलोक सागर जी बैतूल जिले में आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं, वे भौरा तहसील के एक छोटे से गाँव में झोपड़ी बना कर रहते है और बच्चों को पढ़ाते हैं। आज पुलिस ने उन्हें संघर्ष से बाज न आने पर जेल में डाल देने की धमकी दी हैं।
समाजवादी जन परिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अनुराग मोदी ने कहा अब अधिकारों की लड़ाई पर जेल जाना होगा। घटना की जानकारी अनुराग मोदी ने निम्न शब्दों में व्यक्त की है-

पुलिस ने RBI गवर्नर के शिक्षक रहे आई आई टी प्रोफेसर को जेल में डालने की धमकी दी
32 साल से आदिवासी गाँव में गुमनामी जिंदगी जीता
भले ही, नरेन्द्र मोदी की डिग्री खोजने पर भी नहीं मिल रही हो, लेकिन, म. प्र. के बैतूल जिले की पुलिस ने पिछले 32 साल से एक शख्स - जो, आई आई टी में प्रोफेसर की नौकरी छोड़, म. प्र. के एक छोटे से आदिवासी गाँव में अपनी तमाम शैक्षणिक योग्यता को छुपाकर एक आम आदिवासी की तरह रह रहा था; उसे अपनी सारी डिग्रीयां बताने पर मजबूर कर दिया।
आलोक सागर वैसे तो मूलत: दिल्ली के रहने वाले है; लेकिन, पिछले 32 सालों से बैतूल और होशंगाबाद जिले के आदिवासी गाँव में गुमनामी कार्यकर्त्ता की जिन्दगी जी रह रहे हैं - जिसमें, 1990 से बैतूल जिले के एक ही छोटे से आदिवासी गाँव कोचामाऊ में रह रहे हैं। वो अपनी इस शैक्षणिक योग्यता को छिपाए, जंगल को हर-भरा करने के अपने मिशन में लगे थे; क्योंकि, वो उस आधार पर औरों से अलग नहीं खड़े होना चाहते थे।
किस्सा यूं है: बैतूल जिले की पुलिस ने, उस जिले के घोडाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव का बहाने लेकर, आलोक सागर को चुनाव तक गाँव ना छोड़ने पर जेल में डालने की धमकी दी; उन्हें आचार सहिंता का बहाना बताया गया। वो, जेल जाने हेतु, आज दो जोड़ी कपड़े लेकर शाहपुर थाने पहुंचे| जबकि, ना तो इस तरह का कोई नियम है और ना भाजपा के जो तमाम लोग वहां घूम रहे – जिसमें मुख्यमंत्री के ओ एस डी तक शामिल हैं, से यह सवाल नहीं किया जा रहा है।
लेकिन, वहां मौजूद मीडिया के साथियों के आग्रह पर आखिर आलोक सागर ने अपनी शैक्षणिक योग्यता 32 साल में पहली बार बताई: उन्होंने 1973 में आई. आई. टी., दिल्ली से एम टेक किया; 1977 में हयूस्टन यूनिवर्सिटी, टेक्सास, अमेरिका से शोध डिग्री ली; फिर, टेक्सास यूनिवर्सिटी से डेंटल ब्रांच में पोस्ट डॉक्टरेट और; समाजशास्त्र विभाग, डलहोजी यूनिवर्सिटी, कनाडा में फेलोशिप की। उन्होंने 1982 में दिल्ली आई आई टी में प्रोफेसर की नौकरी से त्याग पत्र दे दिया; वो वहां RBI गवर्नर के शिक्षक रहे।
आलोक सागर के छोटे भाई आज भी आईआईटी में प्रोफेसर हैं। उनकी माँ मिरंडा ङाउस में फिजिक्स की प्रोफेसर थीं और पिता इंडियन रेवेन्यू सर्विस में अधिकारी।