अटैच लैट-बाथ से बढ़ता सेहत को खतरा
अटैच लैट-बाथ से बढ़ता सेहत को खतरा

नीरी
का नया शोध न सिर्फ चौंकाने वाला है बल्कि देश के उन करोड़ों लोगों को सोचने
पर मजबूर करने वाला भी है जो मकान या फ्लैट लेते समय अटैच लैट्रिन-बाथरूम (Attached
Latrine-Bathroom) की
मांग बिल्डरों से करते हैं। वैसे भी आजकल जो मकान और फ्लैट बन रहे हैं वे अधिकांश अटैच
लैट-बाथ ही होते हैं। नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट -
National Environmental Engineering Research Institute, (नीरी) की खोज में दावा किया गया है कि
सर्दी-खांसी, जुकाम और एलर्जी के बढ़ते मामलों में
घरों में अटैच लैट-बाथ का रोल बहुत बड़ा है। बल्कि इन सब चीजों के लिए यह भी उतना
ही जिम्मेदार है जितना कि बाहर का प्रदूषण और वातावरण।
नीरी
के नागपुर स्थित मुख्यालय को नेशनल क्लीन एयर मिशन (National
Clean Air Mission) के
तहत नागपुर को मॉडल सिटी बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी के तहत नीरी के
वैज्ञानिक इन दिनों शहर में बढ़ते प्रदूषण के लिए जिम्मेदार सारे कारकों और स्रोतों
का अध्ययन कर रहे हैं। इसमें औद्योगिक और वाहनों के प्रदूषण (Industrial
and vehicular pollution) के
अलावा घरों में होने वाला प्रदूषण भी शामिल है।
इस
परियोजना की मुखिया डॉ. पद्मा राव का कहना है, हम
केवल बाहर के प्रदूषण के बारे में ही विचार करते हैं, लेकिन हमारे घरों में होने वाला प्रदूषण (Indoor
pollution) भी
उतना ही घातक होता है जितना कि बाहर का प्रदूषण (Outdoor
pollution)।
घर में बाहर से आने वाली धूल और कचरा, रेफ्रीजरेटर, कम्प्यूटर जैसे विभिन्न उपकरणों से ‘इमिशंस’
(उत्सर्जन) होता रहता है। उसी तरह हमारे घरों में स्थित शौचालय और बाथरूम से भी
कुछ बायोऑर्गेनिज्म निकलते रहते हैं, जो
धूल और इमिशंस से मिलकर रिएक्शन करते हैं। ये जीवाणु दीवारों और अन्य स्थानों पर
चिपक जाते हैं। घर में पर्याप्त हवा के नहीं आने-जाने और क्रॉस वेंटिलेशन की
सुविधा के अभाव में ये जीवाणु लंबे समय के लिए वहीं चिपके रहते हैं। इसके कारण ही
लगातार सर्दी-जुकाम, खांसी और गले का इन्फेक्शन जैसी
बीमारियां फैलती रहती हैं। शहरों में ये मामूली सी लगने वाली बीमारियां लगातार बढ़
रही हैं। इन बीमारियों का फैलाव इस पर भी निर्भर करता है कि घर के आसपास कितनी
साफ-सफाई है और हवा कितनी शुद्ध है।
डॉ.
राव का कहना है कि इसके उपाय के रूप में हमें अपने घरों के स्वच्छतागृहों को
साफ-सुथरा रखना चाहिए। घरों में स्थित लैट-बाथ में अच्छे किस्म के वेंटिलेटर्स और
एक्जॉस्ट फैन लगाने चाहिए। साथ ही कोशिश करनी चाहिए कि घर में पर्याप्त हवा आती
रहे और पर्याप्त सूर्यप्रकाश पहुंचता रहे।
(मनोहर गौर, लेखक नागपुर (महाराष्ट्र) स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
Attached latrine-bathrooms increases health risks


