आदरणीय प्रशांत भूषण जी

सादर नमस्ते
अन्ना हजारे और सिविल सोसाइटी के नेतृत्व में जन लोकपाल कानून बनाने के लिए राष्ट्र व्यापी आन्दोलन के आगे संसद और सरकार को झुकना पड़ा | कोई कानून बनवाने के लिए जनता का सड़क पर बड़ी संख्या में निकल आना बेमिसाल घटना है | लोकतंत्र में जनता की भागीदारी का इससे बड़ा कोई उदाहरण सामने नहीं है | पूरे आन्दोलन का अहिंसक रहना बहुत बड़ी बात है | जन लोकपाल से आगे जाकर यह लड़ाई व्यवस्था परिवर्तन की ओर बदती हुई नज़र आती है | जिसकी कोशिश लम्बे अरसे से की जा रही है | इस सफलता के लिए आप और आपके साथियों को समाजवादी जन परिषद की पिपरिया इकाई( जिला होशंगाबाद ) मध्यप्रदेश की ओर से हार्दिक बधाई |
अप्रैल और अभी अगस्त में समाजवादी जन परिषद् के हम साथियों ने जन लोकपाल बिल और अन्ना के समर्थन में बहुत कार्यक्रम किये | हमारी पार्टी जमीनी स्तर पर इस तरह के मुद्दों को लेकर संघर्ष करती रही है अत स्वाभाविक रूप से आम लोग भी हमें आप लोगो का करीबी मानते है |
समाजवादी जन परिषद् पिछले 25 सालो से मध्यप्रदेश के 5-6 जिलो में किसान- मजदूर- आदिवासी- हम्माल- दलित के साथ उनके संगठन बनाकर काम कर रही है |जल जंगल और जमीन के मुद्दों के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, विस्थापन,पुनर्वास, इज्जत, अधिकार ओर भ्रष्टाचार आदि मुद्दों पर अनेको आन्दोलन हुए है |दमन जेल ओर झूठे मुकदमो का खमियाजा आज भी हमारे साथी भुगत रहे है | सुनील भाई की भ्रष्टाचार पर लिखी किताब जिसका आपने भोपाल में अपने हाथो लोकार्पण किया था रामलीला मैदान में ना बिकने देना अत्यंत दुर्भाग्य पूर्ण घटना है | साहित्य और वैचारिक प्रक्रिया से आन्दोलन के कार्यकर्ताओ की बेरुखी और अड़ियल रवैया चिंता जनक है |

समाजवादी जन परिषद् (चुनाव आयोग में पंजीकृत राजनैतिक दल ) बुनियादी बदलाव के दृष्टि से मौजूदा राजनैतिक दलो को अप्रसांगिक मानता है |हमारे नेता किशन पटनायक का मानना था कि जनांदोलनो के गर्भ से ही वैकल्पिक व क्रातिकारी राजनीति पैदा होगी | इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर जन आन्दोलन समन्वय समिति ,NAPM , लोक राजनैतिक मंच ,सोशलिस्ट फ्रंट एवं राज्य स्तर पर जन संघर्ष मोर्चा जैसी प्रक्रियाओ में स ज प की महत्वपूर्ण भूमिका व आस्था है | देश के जन आंदोलनों के साथी भले ही चुनाव की प्रक्रिया में भाग ना ले परन्तु वे हमारे संघर्ष के साथी है ,उन्हें हमारी पार्टी को लेकर कभी कोई सवाल नहीं रहा | परन्तु आपके कार्यकर्ताओ ने हमारे साथियों के साथ जो वर्ताव किया वह अत्यंत दुखद है |
हमारे नगर पिपरिया जिला होशंगाबाद में अन्ना हजारे कि गिरफ्तारी के विरोध में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओ ने अन्ना टोपी पहन कर मोटर साइकिल रेली निकली ,आमसभा की | RSS से जुड़े विश्व हिन्दू परिषद् ने अपने स्थापना दिवस जन्माष्टमी पर अन्ना हजारे के समर्थन में सुन्दर कांड का पाठ किया || RSS से जुड़े विद्यार्थी परिषद् ने राष्ट्रीय स्तर के आव्हान के तहत स्कूल =कालेज बंद कराये | बजरंग दल व दुर्गा वाहिनी ने भी अन्ना के समर्थन में कार्यक्रम किये | RSS से जुड़े भारतीय किसान संघ ने विरोध प्रदर्शन किया |अखबारों में छपे समाचारों के अनुसार उज्जैन में आयोजित RSS के अभ्यास वर्ग में साफ़ साफ़ निर्देश दिए गए कि अन्ना या अन्ना कि टीम हमसे चाहे दूरी बनाये रखे परन्तु हमें भ्रष्टाचार के इस मुद्दे का पूरा लाभ लेना चाहिए | ये सभी संगठन अन्ना कि आड़ में कांग्रेस विरोधी माहोल बनाकर चुनाव की वैतरणी पार करना चाहते है | RSS के बंधु स्वदेशी जागरण मंच की तरह इंडिया अगेंस्ट करप्शन एवं यूथ अगेंस्ट करप्शन को अपना घटक संगठन बताकर लोगो को गुमराह कर रहे है | आप लोग सरकार से दो कदम आगे चल रहे है परन्तु RSS वालो से चार कदम पीछे है यह सत्य है |

रामलीला मैदान में समर्थन देने आये जातीय संगठनो के बेनर हमने टी वी पर देखे |,आरक्षण के विरोध में नारे भी हमने टी वी पर सुने | कई बाबाओ को मंच पर देखा ,अभिनेताओ को देखा |सरकार की सद्बुध्दि के लिए रामलीला मैदान में हवन होते हुए देखा | हद तो जब हो गई तब आपके सहयोगी सिसोदिया जी ने पत्रकारों को बताया कि जेल कि जिस बैरक में अन्ना ठहरे थे वहाँ कैदी और जेल कर्मचारी आकर सर झुका रहे है | वो जगह तीर्थ बन गई है | आपको याद होगा कि जे पी आन्दोलन में हर तरह के अन्धविश्वास का विरोध किया गया था | वर्ण व्यवस्था के प्रतीक जनेऊ तोड़कर कई युवको ने अपने नाम से जाति सूचक शब्दों तक को हटा दिया था | गाँधी जी ने धार्मिक होते हुए भी कई अंध विश्वासों का विरोध किया था इसलिए उन्हें सनातनी हिन्दुओ का विरोध सहना पड़ा |

आन्दोलन का व्यक्ति केन्द्रित होना इसकी खूबी नहीं कमजोरी थी |आपातकाल में देवकांत बरुआ द्वारा इंदिरा जी की चापलूसी में कहे गए वे शब्द( इंदिरा इज इंडिया ) नए स्वरूप में दोहराए गए | संसद में जन लोकपाल के मुद्दे पर चर्चा करने के बजाय सभी को इस बात की चिंता थी की अन्ना का अनशन कैसे ख़त्म किया जाय | जिन आर्थिक नीतियों के चलते हजारो किसान आत्महत्या कर रहे है,घोटालो की बाढ़ आ गई है, गैर बराबरी बढ़ी है,शिक्षा और स्वास्थ्य की दुकाने खुल गई है इस पर किसी ने कुछ कहना उचित नहीं समझा | आन्दोलन के दौर में जनता और कार्यकर्ताओ को शिक्षित करने के प्रयास होना चाहिए थे |

जन लोकपाल या चुनाव सुधार जैसे मुद्दे धार्मिक या सामाजिक नहीं बल्कि राजनैतिक है i इसलिए मुझे लगता है कि जनता में अराजनैतिक होने का भ्रम नहीं फैलाना चाहिए | आपके आन्दोलन को मिले अभूतपूर्व जनसमर्थन को कोई राजनैतिक दिशा नहीं मिली तो जनता को निराशा होगी | लोगो के पास उन्ही लुटेरी पार्टियों के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा |इसलिए अराजनैतिक होने मुखौटा त्याग कर आप और आपके साथियों को वैकल्पिक राजनीति को खड़ा करने की चुनौती को स्वीकार करना चाहिए | साम्प्रदायिक शक्तिया अन्ना के आन्दोलन की ऊर्जा लेकर और ताकतवर ना हो जाये हमें इस बात का डर है |
अंत में इतना बड़ा आन्दोलन खड़ा करने वाले कार्यकर्ताओ को दोस्त और दुश्मन की पहचान नहीं है यह आश्चर्य जनक है |
यह पत्र सामान विचारधारा और आन्दोलन के साथियों को भी भेजा जा रहा है |

गोपाल राठी
समाजवादी जनपरिषद्
सांडिया रोड, पिपरिया 461775
मोबाइल न.09425608762, 09425408801