अपनी आने वाली बरबादी से बेखबर है आम आदमी
अपनी आने वाली बरबादी से बेखबर है आम आदमी
अपनी आने वाली बरबादी से बेखबर है आम आदमी
बाराबंकी। आर्थिक उदारीकरण की नीतियों से देश का आम आदमी बुरी तरह प्रभावित हुआ है और आश्चर्य की बात यह भी है की वह अपनी आने वाली बरबादी से बेखबर है।
यह उद्गार सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री कमल नयन काबरा ने व्यक्त किये। वह राम सेवक यादव स्मारक इण्टर कॉलेज में लोक संघर्ष पत्रिका के तत्वावधान में ’उदारीकरण का प्रभाव आम आदमी पर’ विषय पर मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे। देश का आर्थिक आँकलन प्रस्तुत करते हुये उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था निरन्तर गर्त की ओर जा रही है। औद्योगिक प्रगति में गिरावट आ रही है, महँगाई का दानव दिन -प्रतिदिन आम आदमी को खाये जा रहा है। विडम्बना यह कि आम आदमी चाह कर कुछ नहीं कर पा रहा है। देश के प्रमुख राजनीतिक दलों की नीति एवम् नीयत समान नजर आ रही है। जिस देश में केवल एक अंबानी परिवार की आय देश की सम्पूर्ण आय का सात प्रतिशत हो, जिस देश में पूँजीपतियों द्वारा प्रायोजित भ्रष्टचार नये घोटाले कर रहा हो और इन घोटालों से अर्जित धन बाहर के देशों में फर्जी कम्पनियाँ बना कर वहाँ खपाया जा रहा हो उस देश में आम आदमी का भविष्य कैसा? इसकी कल्पना आज नहीं की जा सकती है।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे गिरि विकास संस्थान के निदेशक प्रो0 सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि उनका संस्थान सरकार द्वारा प्रतिपादित आर्थिक नीतियों का मूल्याँकन करता है तथा समाजिक समस्याओं का विश्लेषण कर सरकार के सामने अपने सुझाव व प्रस्ताव देता है। देश की स्वतन्त्रता के पश्चात् जवाहर लाल नेहरू द्वारा जो आर्थिक व औद्योगिक नीतियाँ बनाई गयी थीं उनका आधार सार्वजनिक क्षेत्रो में निवेश पद केन्द्रित था। वर्ष1990 तक देश में यही नीतियाँ चलती रहीं और हमारा औद्यौगिक विकास एवम् औद्यौगिक स्थायित्व इसी का नतीजा था परन्तु वर्ष 1991 में अमरीकी दबाव के चलते हमार्री आर्थिक नीतियो में जो परिवर्तन किये गये उन्हें आर्थिक उदारीकरण की संज्ञा दी गयी। आर्थिक उदारीकरण केवल विदेशी औद्योगिक इकाईयों की देश में स्थापना एवम् विदेशी पूँजी निवेश की राह में लाइसेंस पद्धति के रूप में चली आ रही बाधाओं को दूर करना ही था।
प्रो0 सुरेन्द्र कुमार ने कहा की वह आर्थिक उदारीकरण के सैद्धान्तिक रूप से विरोधी नहीं हैं। उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुये कहा कि जापान एक वर्ष 1968 में सर्वप्रथम इन्ही नीतियों को अपना कर अपनी आर्थिक प्रगति अर्जित की थी फिर उसी नक्शे कदम पर चलते हुये उसके पड़ोसी मुल्क चीन ने आर्थिक समृद्धि प्राप्त की और आज विश्व में एक प्रबल आर्थिक शक्ति के रूप में खड़ा हुआ है। हमारे देश में आर्थिक नीतियों का लाभ आम आदमी तक पहुँचाने में हमारा लोकतान्त्रिक ढाँचा अपना वह योगदान नहीं दे पा रहा है जो उसे देना था। जब तक ग्रामीण स्तर पर पंचायत राज व्यवस्था मजबूत और पारदर्शी नहीं होगी तब तक आम आदमी उदारीकरण का लाभ नहीं मिल पायेगा और परिणाम स्वरूप अमीर और गरीब की दूरी बढ़ती जायेगी।
कार्यक्रम में बृजेश कुमार दीक्षित, वसीम राईन, हुमाँयू नईम खान, विनय कुमार सिंह, श्री राम सुमन, पवन वैश्य, पुष्पेन्द्र कुमार सिंह बलराम सिंह, विजय प्रताप, उपेन्द्र, प्रदीप सिंह, विनय दास, अजय सिंह, महन्त गुर सरन दास, नीरज वर्मा, निर्मल वर्मा, जावेद, एखलाख एडवोकेट, सूफी उबैद-उर-रहमान, जगन्नाथ वर्मा सहित अनेकों गणमान्य व्यक्ति थे। संचालन रणधीर सिंह सुमन तथा धन्यवाद बृजमोहन वर्मा ने ज्ञापित किया।


