मदानी में हुआ कविता का चर्चा

नया जमाना ऐसा ही है

यहाँ हिसाब किताब होता है नफा घाटा का

यहाँ कारोबार होता है सदा किनबेचका

तुम आ चुके हो

बाजार के इस मूल धार में

पीछे लौटना अब सम्भव नहीं है

वचन में भरोसा के दिन भी चले गये

कसम में विश्वास करने का दिन भी गया

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मानवता का अब मोल मोलाई करो

कारोबार करो बेच विखन करो

(बाजार : कविता)

नेपालके युवा कवि “संगीत स्रोता” बीते शनिवार नेपाल के राप्ती अञ्चल के दाङ जिला में पाठकों के बीच कविताओं की हरफों के मार्फत वर्तमान की यथार्थता को प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने पाठकों के बीच अपनी प्रकाशित और अप्रकाशित एक दर्जन कविताओं का वाचन किया। मदानी साहित्य समूह नेपाल द्वारा आयोजित उनके हाल ही प्रकाशित कविता संग्रह ‘म काठमाडौं आइपुगें कविता संग्रह पर परिचर्चा कार्यक्रम में उन्होंने अपनी कविता लेखन की शुरूआत, रचना गर्भ और अनुभव भी सुनाया। लेखन के अनुभव पर चर्चा करते हुये संगीत स्रोता ने कहा–“मेरे हृदय में कुछ घटना जब गम्भीर चोट करती है, तब मैं उस समय कविता लिखता हूँ। कविता लेखन के लिये मुझे किसी अलग परिवेश की आवश्यकता नहीं पड़ती है।”

कार्यक्रम में मौजूद वरिष्ठ कवि एवम् समालोचक यज्ञबहादुर डाँगी ने कहा कि कवि संगीत की कवितायें वर्तमान परिवेशके काव्यात्मक दस्तावेज के रुप में ली जा सकती हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि हरेक जिम्मेवार कवि अपने समय की खराबी के विरुद्ध कविता लिखता है।

समीक्षक प्रमोद धिताल ने कहा कि पाठक के मस्तिष्क में सम्वेदना पैदा करने के लिये संगीत स्रोता की कविता सफल है, जो कवि की संवेदनशीलता का परिचायक है।

पचास से अधिक साहित्यिक सर्जक और पाठकों के बीच सम्पन्न कार्यक्रम का सञ्चालन कार्यक्रम के संयोजक श्रीधर भावुक ने किया। मदानी साहित्य समूह, नेपाल पश्चिम नेपाल के युवा साहित्यिक अभियन्ताओं की एक क्रियाशील साहित्यिक संस्था है जो मासिक रूप में नेपाल के स्थापित साहित्यकार, लेखक और पुस्तक के बारे में चर्चा करता आ रहा है।

( दाङ, नेपाल से प्रमोद धिताल)