सरकार आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को रिहा तो करेगी पर ज़िन्दगी से
खालिद के परिजनों द्वारा मुआवजा लौटा दिया जाना सपा और दलाल उलेमाओं के मुँह पर तमाचा- रिहाई मंच
जारी रहा खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिये रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना
लखनऊ। खालिद मुजाहिद के हत्यारों की गिरफ्तारी और आरडी निमेष रिपोर्ट लागू करने की माँग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना जारी रहा। मंच ने शहीद खालिद के चचा जहीर आलम फलाही द्वारा सपा सरकार की तरफ से भेजे गये सपा नेता पारसनाथ यादव के हाथों भेजे गये मुआवजे को लौटा देने को सपा हुकूमत और उसके दलाल उलेमाओं के मुँह पर तमाचा करार दिया। मंच ने कहा कि इस घटना से सपा हुकूमत को समझ लेना चाहिये कि मुसलमान अब मुआवजे के लिये नहीं इंसाफ के लिये लड़ाई लड़ रहा है।

रिहाई मंच ने काँग्रेसी नेता और केन्द्रीय मन्त्री बेनी प्रसाद वर्मा के उस बयान पर कि खालिद की हत्या की जाँच एनआईए से होनी चाहिये पर कहा कि काँग्रेस को पहले बटला हाउस फर्जी मुठभेड़ की जाँच करानी चाहिये। मंच ने कहा कि कुछ मुस्लिम नेता जो सपा और काँग्रेस की चाटुकारिता करके राज्य सभा में पहुँचे हैं वो लगातार इस न्याय की लड़ाई को सिर्फ अपनी राज्य सभा की सदस्यता को बचाने के लिये कमजोर करने की कोशिश में लगे हैं। मुसलमानों को ऐसे बहुरुपियों से भी सावधान होना होगा क्योंकि जैसे-जैसे चुनाव करीब आयेगा ये तमाम बहुरूपिये इन्हीं सपा, काँग्रेस जैसी मुसलमानों के बच्चों का खून पीने वाली पार्टियों के लिये दुकानें खोल लेंगे।

तारिक़ कासमी के चचा हाफिज फैयाज ने कहा कि अबू आसिम आज़मी (सपा नेता) ने उनसे जब तारिक़ से जेल में मिलने के लिये चलने के लिये कहा तो हम लोगों ने मना कर दिया, जिसके बाद अबू आसिम ने तारिक के ससुर मोहम्मद असलम से सम्पर्क साधा लेकिन उनके मना कर देने के बाद रात डेढ़ बजे गाड़ी भेजकर ज़बरदस्ती मेरे भाई मुमताज को ले गये। तारिक़ के चचा ने अबू आसिम पर सपा के लिये मुसलमानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुये कहा कि खालिद की हत्या पर अगर सरकार सचमुच ईमानदार है तो अबू आसिम जैसे लोगों से गलत बयानी करवाने के बजाय खालिद की हत्या की सीबीआई जाँच कराये और निमेष कमीशन की रिपोर्ट तत्काल जारी करे जिससे मेरे बेटे तारिक की रिहाई हो सके। धरने में तारिक़ के ससुर मोहम्मद असलम और खालिद के चचेरे भाई शाहिद भी मौजूद थे।

साल भर पहले 13 मई को सपा हुकूमत में सीतापुर के शकील को आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उनके भाई इशहाक अपने परिजनों के साथ घरने में शामिल हुये और कहा कि इसी सपा हुकूमत में एक साल पहले यूपी एटीएस ने मेरे भाई को दिल्ली क्राइम ब्रांच को दे दिया था, सपा सरकार कहती है कि उसकी हुकूमत में कोई गिरफ्तारी नहीं हुयी यह सफेद झूठ है। मैंने सपा के नेता राजेन्द्र चौधरी से कई बार मुलाकात की। हर बार आश्वासन मिला कोई कार्रवाई नहीं हुयी। इशहाक ने कहा कि जिस तरह से सपा हुकूमत में खालिद का कत्ल हुआ उससे साफ हो गया है कि सरकार आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को रिहा तो करेगी पर ज़िन्दगी से। खालिद की हत्या के बाद हमारा परिवार बहुत भयभीत हो गया है पर हम इस लड़ाई को अन्तिम दम तक लड़ेगे क्योंकि आतंकवाद का यह ठप्पा मेरे भाई पर नहीं लगा है यह पूरे मुस्लिम समुदाय पर लगा है और इस धब्बे को मिटाने के लिये हम अन्तिम दम तक लड़ेंगे।

आज़मगढ़ के मोहम्मद हबीब जो अहमदाबाद की साबरमती जेल में बन्द हैं, के भाई अबू आमिर ने कहा कि पिछले दिनों साबरमती जेल में सुरंग खुदने के प्रकरण में मेरे भाई समेत पचासों लड़कों जिसमें आज़मगढ़ के सात लड़कों को पिछले चार महीने से अंडा सेल में रखा गया है। जिस सुरंग का कोई ओर-छोर नहीं निकला। कभी कहा गया कि 20 मीटर तो कभी 220 मीटर तो कभी पेन, प्लेट तो कभी चम्मच ऐसी झूठी घटना के नाम पर हमारे बच्चे फँसाये गये हैं पर यूपी सरकार जिसने चुनाव में प्रदेश के लड़के जो अन्य प्रदेशों की जेलों में बन्द हैं, को रिहाई दिलाने के लिये हर सम्भव सहायता देने का वादा किया था, इतनी बड़ी घटना में अब तक कुछ नहीं बोला।

धरने को सम्बोधित करते हुये दिल्ली से आये ऑल इंडिया मुस्लिम मशावरत के अध्यक्ष और मिल्ली गज़ट के संपादक जफ़र उल इस्लाम खान ने कहा कि जिस तरह से आज आंतकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई का सवाल पूरे देश में उठ रहा है और सरकारें कोई जवाब नहीं दे पा रहीं हैं, इससे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतन्त्र शर्मशार हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सपा सरकार के एजेण्डे में आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों की रिहाई का सवाल था तो आज रिहाई मंच द्वारा ग्यारह दिन के अनिश्चित कालीन धरने की ग्यारह सूत्री माँगों पर अब तक उसने कोई जवाब क्यों नहीं दिया। किसी भी जाँच आयोग का गठन जनता के पैसे से होता है और जनता को उस रिपोर्ट को जानने का अधिकार है लेकिन सरकार आर.डी. निमेष कमीशन की रिपोर्ट को छिपाकर सिर्फ दोषी पुलिस अधिकारियों को ही नहीं बचा रही है, बल्कि जनता को उसके लोकतान्त्रिक अधिकारों से भी वंचित कर रही है।

धरने पर सीआरपीएफ कैंप पर हुये कथित आतंकी हमले जिसमें सीआरपीएफ के जवानों ने शराब पीकर आपस में गोली बारी कर ली थी उस घटना में फँसाये गये मुरादाबाद के जंगबहादुर के बेटे शेर खान, रामपुर के शरीफ के भाई शाहीन और कुंडा प्रतापगढ़ के कौसर फारुकी के भाई ने कहा कि सरकार के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने नवंबर में कहा था कि रामपुर का केस वापस होगा पर अब तक केस वापस करने के लिये सरकार ने कुछ नहीं किया. हम पिछले पाँच साल से ज्यादा समय से रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हुये कथित आतंकी हमले की सीबीआई जाँच की माँग कर रहे हैं पर सरकार के कान पर जूँ तक नहीं रेंग रही है।

वेलफेयर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तसलीम रहमानी ने कहा कि लोकतन्त्र में जिस तरह आईबी ने एक एजेण्डे के तहत मुस्लिम युवकों को आतंकवाद के नाम पर फँसाने की एक नीति बना ली है और सरकार आज उसी आईबी को बचाने के लिये किस तरह काम कर रही है वो खालिद की हत्या में साफ दिख रहा है। उन्होंने कहा कि आईबी के अधिकारियों को बचाने के लिये कभी सूबे के मुख्यमन्त्री तो कभी कुछ कथित उलेमा तो कभी किसी अबू आसिम आज़मी जैसे मुस्लिम नेताओं से खालिद की हत्या का कारण बीमारी बताया जा रहा है।

धरने का संचालन एसआईओ के साकिब ने किया। धरने को रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे, अलग दुनिया के केके वत्स, नेलोपो के चौधरी चन्द्र पाल सिंह, टीपू सुल्तान, हाजी मोहम्मद फहीम सिद्किी, तारिक शफीक, पिछड़ा समाज संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एहसानुल हक मलिक, सोशलिस्ट फ्रंट के आफाक, शाने इलाही, सादिक अली, जावेद, मोहम्म्द रईस, आईपीएफ के दिनकर कपूर, हरेराम मिश्रा, अखिल भारतीय मुस्लिम समाज के एमए हसीब, शकील रिजवान, शहजादे मंसूर, शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने सम्बोधित किया।