अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर 10 दिनों में 5 बार हमला, मोदी सरकार के मन में चोर है ?
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर 10 दिनों में 5 बार हमला, मोदी सरकार के मन में चोर है ?
लखनऊ, 20 अगस्त 2019. बीती 11 व 16 अगस्त, 2019 को एडवोकेट मोहम्मद शोएब, संदीप पाण्डेय, राजीव यादव व अन्य को कश्मीर के लोगों के समर्थन में मोमबत्ती प्रदर्शन से रोकने के लिए घरों में नजरबंद किया गया। 17 अगस्त, 2019 को प्रोफेसर राम पुनियानी व संदीप पाण्डेय, राजीव यादव, हफीज किदवई व अन्य को अयोध्या में साम्प्रदायिक सद्भावना पर बैठक में जाते हुए रौनाही में रोक कर वापस कर दिया गया। 19 अगस्त, 2019 को आचार्य युगल किशोर शास्त्री, फैसल खान व संदीप पाण्डेय को अयोध्या में प्रेस वार्ता न करने देकर पुलिस द्वारा राम स्नेही घाट पर लाकर छोड़ दिया गया ताकि बाहर से आए लोग लखनऊ लौट जाएं और प्रेस से कोई वार्ता न हो सके। और आज, 20 अगस्त को जब संदीप पाण्डेय, फैसल खान, गोपाल कृष्ण वर्मा, अलोक सिंह, ऊषा विश्वकर्मा, शरद पटेल, रवीन्द्र आदि अपने संगठन की अंदरूनी बैठक करने लखनऊ के गांधी भवन पहुंचे तो खुफिया विभाग के व्यक्ति ने पूछा कि बैठक की अनुमति ली गई है क्या?
संदीप पाण्डेय व मुहम्मद शुएब ने इस पर सवाल किया है कि आखिर सरकार को किस बात का खतरा है? यदि चंद लोग एक कमरे में बैठकर कोई बातचीत करना चाह रहे हैं तो इससे सरकार क्यों घबरा रही है? सरकार का यह व्यवहार तो वैसा है जब कोई गलत काम करने के बाद होता है। यदि ऐसा नहीं होता तो सरकार हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संगठन बनाने की स्वतंत्रता, बैठक करने की स्वतंत्रता का इतना घोर उल्लंघन करती।
दोनों सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि जम्मू व कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35ए हटाने (Removal of Articles 370 and 35A from Jammu and Kashmir) व राज्य को दो केन्द्र शासित क्षेत्रों में विभाजित करने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के मन में चोर है।


