अमरीका, यजीदी और बगदादी
अमरीका, यजीदी और बगदादी
इराक के एक बड़े हिस्से पर आधिपत्य जमाने के बाद आईएसआईएस ने यजीदियों पर हमला बोल दिया है। आईएसआईएस का कहना है कि वह "अशुद्ध" लोगों को इराक में नहीं रहने देंगे। पश्चिमी मीडिया के जरिए प्राप्त खबरों में कहा गया है कि आईएसआईएस ने सैकड़ों यजीदियों को मार डाला है। आईएसआईएस के खौफ से ईसाई भी कुर्दों के प्रभाव वाले शहर इरबील भाग रहे हैं। इराक और सीरिया के बीच सरहद पर आइसिस ने इस्लामी स्टेट की घोषणा कर दी है। संगठन ने इस्लाम के सख्त शरीया कानून को लागू करने की घोषणा की है। उत्तर इराक के सबसे बड़े शहर मोसुल पर आईएसआईएस का क़ब्ज़ा है। इस घटना के बाद अब सोया हुआ अमरीका भी जाग गया है।
- जर्मनी में राजनेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, कलाकारों और धार्मिक प्रतिनिधियों के एक दल ने जर्मन सरकार से अपील की है कि वह उत्तरी इराक में रहने वाले ईसाई, यजीदी और दूसरे अल्पसंख्यकों को मानवीय राहत बढ़ाएं। इस दल की चिंता है कि जर्मनी मदद में बहुत देर कर रहा है और इलाके में संकट को खत्म करने के लिए जरूरी सहायता नहीं दे रहा। जर्मनी के अखबार के मुताबिक इस दल ने खुले पत्र में लिखा है, "कट्टरपंथी इस्लामी आतंकी संगठन आईएसआईएस का उभरना इराक में हजारों लोगों के जीवन के लिए खतरा बन रहा है।" इस पत्र पर जर्मनी की सत्ताधारी पार्टी सीडीयू, एसपीडी के अलावा ग्रीन पार्टी, फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी और वामपंथी पार्टी के सदस्यों ने भी हस्ताक्षर किए हैं।
- पश्चिमी मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक आईएसआईएस से डरकर इराक के अल्पसंख्यक यजीदी समुदाय के करीब 40,000 लोग देश के उत्तरी पर्वत श्रृंखला सिंजर में शरण लिए हुए हैं। यहां बच्चों की भूख से मौत हो रही है। इसके अलावा इस समुदाय के लोगों को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है। खबरें आई हैं कि पुरुषों की सड़क पर हत्याएं की जा रही हैं जबकि महिलाओं का अपहरण किया जा रहा है।
2 लाख लोग घर छोड़कर भागे-
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यजीदी बहुसंख्यक शहर सिंजर पर आईएसआईएस के कब्जे के बाद करीब दो लाख लोग घर छोड़कर भाग गए हैं। करीब डेढ़ लाख लोगों ने कुर्द इलाकों में स्थित शरणार्थी कैंपों में शरण ली है जबकि 40,000 लोग शहर के नजदीक स्थित सिंजर पर्वत पर फंसे हुए हैं।
उधर खबरें आई हैं कि आईएसआईएस ने इराक के लगभग तीस प्रतिशत गेहूँ भंडार पर कब्जा कर लिया है।
दुनिया में कहीं कोई संकट हो, तो अमेरिका हर बार हस्तक्षेप नहीं कर सकता. न ही करना चाहिए. लेकिन इस पर्वत पर जब असंख्य निर्दोष लोग संहार का सामना कर रहे हों और हममें उसे रोकने की क्षमता हो, तब अमेरिका नजरें नहीं फेर सकता.
बराक ओबाम, राष्ट्रपति, अमेरिका
कौन है बगदादी
बग़दादी जोकि न केवल आईएसआईएस का मुखिया है बल्कि उसे उसके समर्थकों द्वारा नवगठित तथाकथित इस्लामी राज्य का ख़लीफ़ा भी घोषित किया जा चुका है। वह अलक़ायदा में एमन-अल-जवाहिरी के बराबर की हैसियत रखने वाला कमांडर था तथा 2003 तक इराक़ की एक मस्जिद में मौलवी था। उस के पश्चात इराक़ में हुए अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप के बाद वह एक लड़ाके के रूप में खुलकर अलकायदा में शामिल हो गया। इसने अलक़ायदा में अपना अलग गुट भी बनाना शुरू कर दिया। स्वयं को एक मज़बूत कमांडर के रूप में स्थापित करने के बाद इसने सीरिया के चरमपंथी संगठन अल नसरा से हाथ मिलाने का प्रयास किया था। जबकि एमन-अल-जवाहिरी बग़दादी की इस कोशिश के खि़लाफ़ था। जवाहिरी का मत था कि सीरिया के हालात से निपटने का काम अलनसरा पर ही छोड़ दिया जाना चाहिए। जबकि बग़दादी सीरिया से लेकर इराक़ तक के कथित इस्लामी साम्राज्य का सपना उसी समय देखने लगा था। बग़दादी, अबुदुआ, डॉक्टर इब्राहिम अवाद तथा इब्राहिम अलीअल बद्री अल समाराई जैसे अनेक नामों से अपनी पहचान बनाने वाले बग़दादी ने इराक से अमेरिकी सेना के पैर उखाडऩे में अपनी अहम भूमिका निभाई। वह ओसामा बिन लादेन व एमन अल जावाहिरी की तरह गुफाओं या बंकरों में छुपकर अपने किसी दुश्मन से मुक़ाबला करने पर विश्वास नहीं करता है बल्कि स्वयं मोर्चे पर मौजूद रहकर युद्ध की रणनीति तैयार करता है तथा हमलों को संचालित करता है। बगदादी के इसी दु:स्साहसी व आक्रामक रवैये के चलते अमेरिका ने 2011 में उसे आतंकी घोषित कर दिया था तथा उसे जि़ंदा या मुर्दा पकड़ऩे के लिए एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया था।
कहा जाता है कि बगदादी का मकसद सिर्फ और सिर्फ इराक और सीरिया को जीतना नहीं है बल्कि वो तो तमाम साइप्रस, इजरायल, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, फिलिस्तीन और टर्की को मिलाकर एक इस्लामिक अमीरात बनाना चाहता है।
बगदादी इराक और सीरिया पर कब्जा करने के अपने मकसद में काफी हद तक सफल भी हो चुका है। उसके लड़ाकों ने सीरिया के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर रखा है। इसके साथ ही इराक के कई शहरों पर भी आईएसआईएस का कब्जा हो चुका है।
बगदादी की गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वाले को अमेरिका ने एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम देने की घोषणा की है। उस पर यह इनाम 2011 से घोषित है।
आईएसआईएस दरअसल अमरीका और उसके समर्थक खाड़ी देशों का ही उत्पाद है। कुछ खबरों में कहा गया है कि आईएसआईएस के मातृ संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक Islamic State of Iraq (ISI) का असल संस्थापक अबू मुसाब अल-जरकावी (Abu Musab Al-Zarqawi) जो इराक में अल-कायदा का प्रमुख भी था, को सीआईए ने अफगानिस्तान में युद्ध के लिए भर्ती किया था और अबू बकर बगदादी को मोसाद ने प्रशिक्षित किया था।
“डेली बीस्ट” नामक एक साइट पर “America’s Allies Are Funding आईएसआईएस,” शीर्षक से प्रकाशित लेख में कहा गया है “Gulf donors support आईएसआईएस, the Syrian branch of al Qaeda called the al Nusrah Front, and other Islamic groups fighting on the ground in Syria because they feel an obligation to protect Sunnis suffering under the atrocities of the Assad regime. Many of these backers don’t trust or like the American backed moderate opposition, which the West has refused to provide significant arms to.”
कई धर्मों के मिले जुले रिवाज वाला धर्म यजीदी है। इसमें इस्लाम, ईसाइयत और कुछ दूसरे धर्मों के मिले जुले पुट हैं। इराक में रहने वाले इन लोगों पर आईएसआईएस ने हमला बोला है। हालांकि उन्हें कुर्दों का समर्थन प्राप्त है। यजीदी एक ईश्वर में विश्वास करते हैं और मानते हैं कि उसके सात फरिश्ते दुनिया में उनकी मदद करते हैं। मोर के रूप में मलिक ताउस उनमें सबसे अहम है।
दुनिया भर में करीब आठ लाख यजीदी हैं, जिनमें से ज्यादातर निनेवेह प्रांत में पहाड़ियों के पास रहते हैं। कुर्द भाषा बोलने वाले यजीदियों को 1990 के बाद से सीरिया और तुर्की जैसे देशों से भागना पड़ा था। उनमें से कई ने अब यूरोप में पनाह ली हुई है।
अमरीका का इराक में हस्तक्षेप कोई सदिच्छा में नहीं हुआ है। पिछली जून में जब हाल ही में नामित इराकी प्रधानमंत्री हैदर-अल-आब्दी ने आईएसआईएस के खिलाफ अमरीका के हवाई हमलों की मांग करते हुए इस चेतावननी के साथ बयान दिया था कि यदि अमरीका इराक की मदद के लिए आगे न आया तो ईरान की मदद लेनी पड़ेगी तब अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा था कि अमरीका का इस तरह वायु सैन्य आक्रमण पूर्णतः गैर जिम्मेदारान कदम होगा जो इराक के अंदर सांप्रदायिक विभाजन को और तेज करेगा।
Edward Snowden's ACLU lawyer on the online claim that Snowden said the Mossad created आईएसआईएस https://t.co/jtQ6YiY50S
— Glenn Greenwald (@ggreenwald) August 13, 2014
Obama also claimed that US air strikes against Islamic State in Iraq and Syria (आईएसआईएस), an offshoot of Al Qaeda, conducted over the previous three days had advanced what he claimed were Washington’s “limited military objectives” in Iraq, where he has ordered the first direct US armed intervention since the withdrawal of US troops from the country at the end of 2011.
Global research
बगदादी का भारत कनेक्शन
कहा जा रहा है कि बगदादी को भारत के देवबंदी-बहावी फिरकों की सहानुभूति भी प्राप्त है। पिछले दिनों जब लखनऊ के दारुल उलूम नदवातुल उलेमा (नदवा कॉलेज, लखनऊ) के मौलाना सलमान नदवी ने आतंकी संगठन 'इस्लामिक स्टेट इन इराक ऐंड अल शाम' (आईएसआईएस) चीफ अबु बकर अल-बगदादी को खत लिखा तो काफी विवाद हुआ। मौलाना सलमान नदवी ने अपने खत में इराकी प्रधानमंत्री को शैतान बताते हुए आईएसआईएस की जीत की बात कही थी। जब, मौलाना नदवी के इस खत के औचित्य पर खुद मुस्लिम जगत में ही सवाल उठे तो उन्होंने अपनी सफाई में तर्क दिया कि उन्होंने न तो बगदादी को खलीफा के रूप में मान्यता दी है और न ही उन्हें किसी प्रकार की बधाई दी है। बस उसे कुछ सलाह दी है कि ताकि निर्दोष लोगों के कत्ल-ए-आम को रोका जा सके।


