पलाश विश्वास

उत्तराखंड की तराई के दिनेशपुर से पिछले 32 सालों से नियमित प्रकाशित हो रही साहित्यिक पत्रिका #प्रेरणा_अंशु के कार्यकारी संपादक बतौर मैंने पिछले मार्च में काम शुरु ही किया था कि पत्रिका के संस्थापक संपादक मास्साब प्रताप सिंह का कैंसर से लगातार तीन साल तक जूझते रहने के बाद निधन हो गया।

मास्साब एक प्रतिबद्ध सामाजिक कार्यकर्ता थे और अद्भुत संपादक भी। उनकी दृष्टि प्रखर वैज्ञानिक सोच से लैस थी और वे गांव, किसान और खेती को अपने सामाजिक राजनीतिक सक्रियता का आधार बनाये हुए थे, तो उनकी सारी रचनात्मक ऊर्जा का स्रोत भी यही था। मास्साब दिनेशपुर जैसे छोटे से कस्बे से इस पत्रिका के मार्फत हाशिये पर चले गये कृषि और किसान को फिर केद्रीय मुद्दा बनाना चाहते थे और इस पर नये सिरे से राष्ट्रव्यापी बहस शुरु करना चाहते थे। अपनी अदम्य जीजिविषा के चलते इसके लिए उनकी निश्चित योजना थी, जिस पर हमारी उनसे अंतिम दिनों में लगातार बातें हुई हैं। उन्हीं के मुताबिक हम इस पत्रिका को साहित्यिक सांस्कृतिक रचनात्मकता के साथ-साथ समस्त विधाओं और विषयों पर विमर्श गांव और किसान के नजरिया से करना चाहते थे।

अब मास्साब हमारे बीच नहीं हैं तो अपनी करीब पांच दशक की पत्रकारिता और सामाजिक सक्रियता की बुनियाद पर उनके इस अधूरे कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी उनके परिजनों, मित्रों, साथियों और पत्रिका टीम के साथ मेरी भी है। इस सिलसिले में रिटायर हो जाने के बाद सीमित संसाधनों और सीमित क्षमता और समय की सीमाओं के मद्देनजर मुझे देश भर के अपने मित्रों साथियों से सहयोग की अपेक्षा है।

मास्साब से हुए संवाद के आधार पर हम इस पत्रिका में युवाजनों, छात्रों और नवोदित रचनाकारों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता देने वाले हैं। वंचित, कमजोर और उपेक्षितों की सुनवाई के साथ-साथ समता और न्याय पर आधारित समाज के लिए रची गई आपकी मौलिक रचनाओं का इंतजार रहेगा, जिनका कि सामाजिक सरोकार और प्रासंगिकता जरूर हो। पत्रिका बाजार और विज्ञापन के आधार पर नहीं, सामाजिक नेटवर्क और जनसहयोग से ही निकाली जानी है। यह मास्साब की नीति रही है। इसलिए इस सामाजिक नेटवर्क को देशव्यापी बनाने में भी आपसे सहयोग की उम्मीद है।

आर्थिक, सामाजिक राजनीतिक विषयों के अलावा विज्ञान, कृषि, इतिहास, आदि विषयों पर दो सौ शब्दों में आप सारगर्भित लेख भेज सकते हैं। लघुकथाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है तो कहानी भी दो तीन पेज से ज्यादा लंबी नहीं होनी चाहिए। गंगा-जमुनी संस्कृति के मुताबिक गीत, ग़ज़ल और कविताओं को समान महत्व दिया जाता है।

आप अपनी रचनाएं समाजोत्थान संस्थान, वार्ड नंबर 3, दिनेशपुर, ऊधमसिंह नगर, उत्तराखंड, पिन 263160 के पते पर भेज सकते हैं।

ई मेलः[email protected]

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