मुजफ्फर नगर को दंगे की आग में झोंकने वाले टीवी पर दिख रहे
संगीत सिंह को क्यों नहीं किया जा रहा है गिरफ्तार- रिहाई मंच
रिहाई मंच के घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन को प्रभावित करने के लिये
लखनऊ में पुलिस फाड़ रही है रिहाई मंच के पोस्टर
यूपी में सांप्रदायिकता के अंधेरे राज के खिलाफ 15 सितंबर को रिहाई मशाल मार्च
लखनऊ, 12 सितम्बर 2013, रिहाई मंच धरना 114 वां दिन। रिहाई मंच के प्रवक्ताओं राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने सपा की कार्यकारिणी बैठक में दंगों के चलते नाराज बताये जा रहे आजम खान के न शामिल होने और समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा उन्हें निकालने की माँग करने को समाजवादी पार्टी और आजम के बीच एक सुनियोजित नूराकुश्ती बताया है जिसका एजेंडा एक साथ सांप्रदायिक हिन्दू वोटों और दंगे के चलते नाराज मुस्लिम वोटों को साधने की कोशिश है। इस पूरे नाटक में आजम को निकालने की माँग करके दंगों में अपनी प्रशासनिक और शासनिक अक्षमता पर उठ रहे सवालों पर अंकुश लगाने की कोशिश है तो वहीं आजम खान की नाराजगी को प्रचारित करके यह साबित करने की कोशिश है कि आजम ही मुसलमानों के एकमात्र नेता हैं जिनके बाद में सामान्य हो जाने से मुसलमान सपा द्वारा मुजफ्फरनगर दंगों में निभाई गयी सांप्रदायिक भूमिका को भूल जायेंगे और फिर सब कुछ सपा के पक्ष में मैनेज हो जायेगा।

रिहाई मंच का मानना है कि अगर आजम खान सचमुच सपा के शासन काल में हो रहे दंगों से नाराज होते तो कोसी कलां से लेकर बरेली, अस्थान, फैजाबाद समेत 100 से अधिक हुये दंगों पर सपा सरकार को क्लीन चिट नहीं देते कि इन दंगों में विपक्षी पार्टियों की भूमिका है। वे यह नहीं कहते कि कोसी कलां दंगे, जिसमें कि 4 लोग मारे गये और जिनमें कलुवा और भूरा नाम के जुडवाँ भाइयों को गुजरात की तर्ज पर जिंदा जला दिया गया उस दंगे की सीबीआई जाँच कराने की जरूरत नहीं है। और न वे पीलीभीत में खुलेआम मुसलमानों के हाथ काट देने की धमकी देने वाले वरुण गांधी पर से सपा सरकार और खास कर खादी मंत्री रियाज अहमद व पीलीभीत के आला पुलिस अधिकारियों के गठजोड़ से वरुण गांधी पर से मुकदमा हटवाने और उनके खिलाफ खड़े हुये गवाहों से बयान बदलवाने पर, या अस्थान में प्रवीण तोगड़िया की मौजूदगी में मुसलमानों के घर जलाये जाने के बावजूद भी सपा सरकार द्वारा तोगडिया पर एफआईआर नहीं दर्ज करने पर भी आपराधिक चुप्पी नहीं साधते। उन्होंने कहा कि सपा, मुलायम और आजम खान को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि जनता उनकी इस नूरा कुश्ती को नही समझ रही है।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक घटना है कि मुजफ्फर नगर सांप्रदायिक दंगों की भीषण आग में जल रहा हो, भाजपा जिसने सपा के सहयोग से इस दंगे को अंजाम दिया उसके विधायक माहौल को और खराब करने के लिये मुजफ्फर नगर कूच करने का आह्वान करते हों लेकिन सत्ता के नशे में चूर मुलायम और उनका सपाई कुनबा 2014 में मुलायम को प्रधानमंत्री बनाने की रणनीति बगल के ही जिले आगरा में बैठकर बना रहा हो। जिससे साबित होता है कि मुजफ्फर नगर को जलाने के पीछे सपा और भाजपा का सांप्रदायिक गठजोड़ काम कर रहा था जिसमें दोनों पार्टियों ने अपनी-अपनी भूमिका पहले से तय कर ली थी।

धरने को सम्बोधित करते हुये भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोईद अहमद तथा मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारूकी ने कहा कि मुजफ्फर नगर दंगों को भड़काने के आरोपी सरधना के विधायक ठाकुर संगीत सिंह सोम का टीवी चैनलों पर सपा के अबू आसिम आजमी और अन्य के साथ खुलेआम बहस मे शामिल हो रहे हैं जबकि उन्हें फरार बताया जा रहा है। जबकि सन् 2009 में सपा के लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी और इस समय भाजपा के विधायक संगीत सिंह सोम टीवी चैनलों पर लगातार यह कह रहे हैं कि वे फरार नहीं हैं तथा अपने घर में ही हैं और जिले के डीएम और एसपी से लगातार बात कर रहे हैं, यह साबित करता है कि सपा सरकार जिसके हाथ मुजफ्फर नगर और आस-पास हुये दंगों में बेगुनाहों के खून से रंगे हैं उसने 2014 के चुनावों के लिये भाजपा के साथ मिलकर इंसानों का कत्लेआम करवाया।

आमिर महफूज ने कहा कि सपा हर उस दंगाई और हत्यारों का साथ देकर पूरे प्रदेश में एक अराजकता की स्थिति पैदा कर दी है। तकरीबन 4 माह हो रहे हैं मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या को, पर नामजद पुलिस के आईपीएस रैंक के बड़े अधिकारियों समेत आईबी अधिकारियों को अब तक नहीं गिरफ्तार किया गया और ऐसे आपराधिक सांप्रदायिक अधिकारियों के हौसले लगातार बढ़ा रही है जिन्होंने इससे पहले प्रदेश में हुये सांप्रदायिक दंगों में अपनी आपराधिक भूमिका निभाई थी। इसके प्रत्यक्ष उदाहरण एडीजी लॉ एण्ड आर्डर अरुण कुमार हैं जिनकी देखरेख में मुजफ्फर नगर में दंगाइयों ने कत्लेआम मचाया। वे इसी तरह 2001 में भी सांप्रदायिक दंगों में कत्लेआम मचा चुके हैं। जिसमें कानपुर में 13 मुसलमानों को पुलिस ने गोलियों से छलनी कर दिया था।

धरने को सम्बोधित करते हुये पत्रकार हरे राम मिश्र ने कहा कि आज जिस तरह से यूपी दंगों की आग में जल रहा है ऐसे में जरूरी है कि एक सार्थक प्रतिरोध किया जाय। इन दंगों में सपा सरकार की संलिप्तता के खिलाफ रिहाई मंच 15 सितंबर को शाम 6 बजे एक मशाल जुलूस का आयोजन कर रहा है। उन्होंने कहा कि सपा सरकार की सांप्रदायिक नीति के खिलाफ जन सैलाब सड़कों पर होगा तथा खालिद के न्याय के सवाल पर भी लफ्फाजी कर रही सरकार को चेताया जायेगा कि वह अगर सत्र में निमेष आयोग की रिपोर्ट पर ऐक्शन टेकेन रिपोर्ट सदन में नहीं रखती है तो उसे अपने वजूद के खत्म हो जाने के लिये तैयार हो जाना चाहिए।

इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता गुफरान सिद्दीकी ने कहा कि मुलायम सिंह का यह कहना कि मुजफ्फर नगर दंगे के दोषियों को सजा मिलेगी लफ्फाजी के अलावा कुछ नहीं है। उन्हें यह कहने से पहले अपनी पिछली सरकार में पूर्वांचल में हुये दंगों के इतिहास को देखना चाहिए जहाँ इतने साल बीत जाने के बाद भी आज तक पीड़ित परिवार न्याय के लिये तरस रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुलायम ने ही सिंघल के साथ गुप्त समझौता किया था। जब वे खुद इस साजिश में शामिल थे तो फिर न्याय का सवाल ही कहाँ पैदा होता है। उनकी यह लफ्फाजी पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसी है।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि यूपी में हो रहे दंगों के खिलाफ, आरडी निमेष अयोग की रिपोर्ट को लागू करने, शहीद मौलाना खालिद मुजाहिद समेत आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को इंसाफ दिलाने के लिये 15 सितंबर से रिहाई मशाल मार्च से शुरु होने वाले घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन को प्रभावित करने के लिये लखनऊ में पुलिस लगातार रिहाई मंच के पोस्टरों को फाड़ रही है। घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन के पोस्टरों को फाड़ने में खुफिया विभाग के अधिकारी भी शामिल है। उन्होंने बताया कि कल माडल हाउस में खुफिया विभाग के व्यक्ति ने पोस्टर लगाने से मना किया और बाद में अमीनाबाद की पुलिस ने मौलवीगंज में पोस्टर लगाते हुये रिहाई मंच के कार्यकर्ताओं को पोस्टर लगाने से मना किया। मना करने का कारण पूछा गया तो उसने कहा कि इसमें लिखा है कि सपा सरकार वादा निभाओ आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को रिहा करो और यूपी में हो रहे सांप्रदायिक दंगों की सीबीआई जाँच कराओ, यह आपत्तिजनक है। रिहाई मंच के जिम्मेदारो द्वारा इस पर कहा गया कि यह कहीं से भी आपत्तिजनक नहीं है। पूछताछ करने वाले पुलिस आलोक ने अपने आप को अमीनाबाद थाने का बताया और उसने पूछा कि कहाँ-कहाँ पोस्टर लगाया गया है और उसने पोस्टर लगाने वालों का नाम पता धमकाने के अंदाज में लिखा। बाद में अमीनाबाद में रात की ड्यूटी पर तैनात पुलिस कांस्टेबल गौरव सिंह ने पोस्टर लगाने से मना किया। बाद में जब पहले से लगे पोस्टरों की जाँच की गई मालूम चला कि माडल हाउस इलाके में जहाँ खुफिया के अधिकारी ने रिहाई मंच के कार्यकर्ताओं से पूछताछ की थी वहाँ के पोस्टरों को पुलिस ने फाड़ दिया। स्थानीय लोगों ने बताया कि आप के पोस्टर लगाने के बाद एक पुलिस की जीप आई जिसमें 7-8 पुलिस वाले आये और आप लोगों को पूछा और पोस्टर फाड़ दिया।

यूपी की कचहरियों में 2007 में हुये धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फँसाये गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की माँग को लेकर रिहाई मंच का धरना गुरुवार को 114 वें दिन भी लखनऊ विधानसभा धरना स्थल पर जारी रहा।

धरने का संचालन पत्रकार हरे राम मिश्र ने किया। इस दौरान भागीदारी आंदोलन के पीसी कुरील, इनायतुल्ला खान, सैयद मोईद अहमद, राजीव यादव, जैद अहमद फारूकी, आमिर महफूज, गुफरान सिद्दीकी, इसहाक नदवी, शाहनवाज आलम आदि मौजूद थे।